< Genesis 9 >
1 So God blessed Noah and his sons, —and said to them Be fruitful and multiply, and fill the earth;
१फिर परमेश्वर ने नूह और उसके पुत्रों को आशीष दी और उनसे कहा, “फूलो-फलो और बढ़ो और पृथ्वी में भर जाओ।
2 and let the fear of you and the dread of you be upon every living creature of the earth, and upon every bird of the heavens, —over everything that moveth along on the ground, and over all the fishes of the sea, —into your hand, have they been given.
२तुम्हारा डर और भय पृथ्वी के सब पशुओं, और आकाश के सब पक्षियों, और भूमि पर के सब रेंगनेवाले जन्तुओं, और समुद्र की सब मछलियों पर बना रहेगा वे सब तुम्हारे वश में कर दिए जाते हैं।
3 As for every moving thing that hath life, yours, shall it be, for food, —Like the green herb, have I given you all things.
३सब चलनेवाले जन्तु तुम्हारा आहार होंगे; जैसे तुम को हरे-हरे छोटे पेड़ दिए थे, वैसे ही तुम्हें सब कुछ देता हूँ।
4 Yet flesh with the life thereof, the blood thereof, shall ye not eat;
४पर माँस को प्राण समेत अर्थात् लहू समेत तुम न खाना।
5 And surely your blood, of your lives, will I require, From the hand of every living creature, will I require it, —and from the hand of man From the hand of each one’s brother, will I require the life of man:
५और निश्चय मैं तुम्हारा लहू अर्थात् प्राण का बदला लूँगा: सब पशुओं, और मनुष्यों, दोनों से मैं उसे लूँगा; मनुष्य के प्राण का बदला मैं एक-एक के भाई-बन्धु से लूँगा।
6 He that sheddeth man’s blood, by man, shall his blood be shed, —For, in the image of God, made he man.
६जो कोई मनुष्य का लहू बहाएगा उसका लहू मनुष्य ही से बहाया जाएगा क्योंकि परमेश्वर ने मनुष्य को अपने ही स्वरूप के अनुसार बनाया है।
7 Ye, therefore, be fruitful and multiply, swarm in the earth and multiply therein.
७और तुम तो फूलो-फलो और बढ़ो और पृथ्वी पर बहुतायत से सन्तान उत्पन्न करके उसमें भर जाओ।”
8 And God spake unto Noah, and unto his sons with him saying:
८फिर परमेश्वर ने नूह और उसके पुत्रों से कहा,
9 I, therefore, behold me! establishing my covenant with you, —and with your seed after you;
९“सुनो, मैं तुम्हारे साथ और तुम्हारे पश्चात् जो तुम्हारा वंश होगा, उसके साथ भी वाचा बाँधता हूँ;
10 and with every living soul that is with you, of birds, of tame-beasts and of all wild-beasts of the earth that are with you, —of all coming forth out of the ark, even to all wild-beasts of the earth;
१०और सब जीवित प्राणियों से भी जो तुम्हारे संग हैं, क्या पक्षी क्या घरेलू पशु, क्या पृथ्वी के सब जंगली पशु, पृथ्वी के जितने जीवजन्तु जहाज से निकले हैं।
11 yea, I will establish my covenant with you, so that all flesh shall not be cut off any more, by reason of the waters of a flood, —neither shall there be any more a flood to destroy the earth.
११और मैं तुम्हारे साथ अपनी यह वाचा बाँधता हूँ कि सब प्राणी फिर जल-प्रलय से नाश न होंगे और पृथ्वी का नाश करने के लिये फिर जल-प्रलय न होगा।”
12 And God said, This, is the sign of the covenant which I am granting betwixt me and you, and every living soul that is with you, —to age-abiding generations: —
१२फिर परमेश्वर ने कहा, “जो वाचा मैं तुम्हारे साथ, और जितने जीवित प्राणी तुम्हारे संग हैं उन सब के साथ भी युग-युग की पीढ़ियों के लिये बाँधता हूँ; उसका यह चिन्ह है:
13 My bow, have I set in the cloud, —and it shall be for a sign of a covenant, betwixt me and the earth;
१३कि मैंने बादल में अपना धनुष रखा है, वह मेरे और पृथ्वी के बीच में वाचा का चिन्ह होगा।
14 and it shall be when I draw a veil of cloud over the earth, —and the bow in the cloud appeareth,
१४और जब मैं पृथ्वी पर बादल फैलाऊं तब बादल में धनुष दिखाई देगा।
15 then will I remember my covenant which is betwixt me and you, and every living soul among all flesh, —that the waters may no more become a flood, to destroy all flesh:
१५तब मेरी जो वाचा तुम्हारे और सब जीवित शरीरधारी प्राणियों के साथ बंधी है; उसको मैं स्मरण करूँगा, तब ऐसा जल-प्रलय फिर न होगा जिससे सब प्राणियों का विनाश हो।
16 so the bow shall be in the cloud, —and I will behold it, to remember an age-abiding covenant, between God, and every living soul among all flesh that is on the earth.
१६बादल में जो धनुष होगा मैं उसे देखकर यह सदा की वाचा स्मरण करूँगा, जो परमेश्वर के और पृथ्वी पर के सब जीवित शरीरधारी प्राणियों के बीच बंधी है।”
17 And God said unto Noah, This is the sign of the covenant which have established, between me and all flesh that is on the earth.
१७फिर परमेश्वर ने नूह से कहा, “जो वाचा मैंने पृथ्वी भर के सब प्राणियों के साथ बाँधी है, उसका चिन्ह यही है।”
18 And the sons of Noah who came forth out of the ark, were—Shem and Ham and Japheth, —now, Ham, was the father of Canaan.
१८नूह के जो पुत्र जहाज में से निकले, वे शेम, हाम और येपेत थे; और हाम कनान का पिता हुआ।
19 These three, were the sons of Noah, —and from these, was all the earth overspread.
१९नूह के तीन पुत्र ये ही हैं, और इनका वंश सारी पृथ्वी पर फैल गया।
20 And Noah began to be a husbandman, —so he planted a vineyard:
२०नूह किसानी करने लगा: और उसने दाख की बारी लगाई।
21 and dank of the wine and became drunk, and uncovered himself in the midst of his tent.
२१और वह दाखमधु पीकर मतवाला हुआ; और अपने तम्बू के भीतर नंगा हो गया।
22 And Ham the father of Canaan saw his father’s shame, —and told his two brethren outside.
२२तब कनान के पिता हाम ने, अपने पिता को नंगा देखा, और बाहर आकर अपने दोनों भाइयों को बता दिया।
23 And Shem and Japheth took a mantle, and put it on the shoulder of them both and went backwards, and covered the shame of their father, but their faces were backwards, and the shame of their father, saw they not.
२३तब शेम और येपेत दोनों ने कपड़ा लेकर अपने कंधों पर रखा और पीछे की ओर उलटा चलकर अपने पिता के नंगे तन को ढाँप दिया और वे अपना मुख पीछे किए हुए थे इसलिए उन्होंने अपने पिता को नंगा न देखा।
24 And Noah awoke from his wine, —and came to know what his youngest son had done to him.
२४जब नूह का नशा उतर गया, तब उसने जान लिया कि उसके छोटे पुत्र ने उसके साथ क्या किया है।
25 And he said, Accursed be Canaan, —a servant of servants, shall he be to his brethren!
२५इसलिए उसने कहा, “कनान श्रापित हो: वह अपने भाई-बन्धुओं के दासों का दास हो।”
26 And he said, Blessed be Yahweh, God of Shem, —And let Canaan be their servant:
२६फिर उसने कहा, “शेम का परमेश्वर यहोवा धन्य है, और कनान शेम का दास हो।
27 God give extension to Japheth, But make his habitation in the tents of Shem, And let Canaan be their servant.
२७परमेश्वर येपेत के वंश को फैलाए; और वह शेम के तम्बुओं में बसे, और कनान उसका दास हो।”
28 And Noah lived after the flood, —three hundred and fifty years:
२८जल-प्रलय के पश्चात् नूह साढ़े तीन सौ वर्ष जीवित रहा।
29 so, all the days of Noah, were—nine hundred and fifty years, —and he died.
२९इस प्रकार नूह की कुल आयु साढ़े नौ सौ वर्ष की हुई; तत्पश्चात् वह मर गया।