< Genesis 30 >

1 And Rachel saw she had borne no children unto Jacob, so Rachel became envious of her sister, —and said unto Jacob, Come! give me children, or else, I die.
जब राहेल ने देखा कि याकूब के लिये मुझसे कोई सन्तान नहीं होती, तब वह अपनी बहन से डाह करने लगी और याकूब से कहा, “मुझे भी सन्तान दे, नहीं तो मर जाऊँगी।”
2 Then kindled the anger of Jacob with Rachel, —and he said, Am I, in the place of God, who hath withheld from thee the fruit of the womb?
तब याकूब ने राहेल से क्रोधित होकर कहा, “क्या मैं परमेश्वर हूँ? तेरी कोख तो उसी ने बन्द कर रखी है।”
3 And she said, Lo! my handmaid, Bilhah. Go in unto her, —that she may bear upon my knees, so that, I also, may be builded up by her!
राहेल ने कहा, “अच्छा, मेरी दासी बिल्हा हाजिर है; उसी के पास जा, वह मेरे घुटनों पर जनेगी, और उसके द्वारा मेरा भी घर बसेगा।”
4 And she gave him Bilhah her handmaid, to wife, —and Jacob went in unto her;
तब उसने उसे अपनी दासी बिल्हा को दिया, कि वह उसकी पत्नी हो; और याकूब उसके पास गया।
5 and Bilhah conceived, and bare unto Jacob a son;
और बिल्हा गर्भवती हुई और याकूब से उसके एक पुत्र उत्पन्न हुआ।
6 and Rachel said God hath vindicated me. Moreover also he hath hearkened unto my voice, and hath given me a son. For this cause, called she his name Dan.
तब राहेल ने कहा, “परमेश्वर ने मेरा न्याय चुकाया और मेरी सुनकर मुझे एक पुत्र दिया।” इसलिए उसने उसका नाम दान रखा।
7 And Bilhah, Rachel’s handmaid conceived again, and bare a second son to Jacob.
राहेल की दासी बिल्हा फिर गर्भवती हुई और याकूब से एक पुत्र और उत्पन्न हुआ।
8 Then said Rachel With wrestlings of God, have I wrestled with my sister Yea I have prevailed. So she called his name, Naphtali.
तब राहेल ने कहा, “मैंने अपनी बहन के साथ बड़े बल से लिपटकर मल्लयुद्ध किया और अब जीत गई।” अतः उसने उसका नाम नप्ताली रखा।
9 Then saw Leah, that she had left off bearing, —so she took Zilpah, her handmaid, and gave her to Jacob to wife.
जब लिआ ने देखा कि मैं जनने से रहित हो गई हूँ, तब उसने अपनी दासी जिल्पा को लेकर याकूब की पत्नी होने के लिये दे दिया।
10 And Zilpah, Leah’s handmaid, bare to Jacob a son:
१०और लिआ की दासी जिल्पा के भी याकूब से एक पुत्र उत्पन्न हुआ।
11 and Leah said, Victory hath come! So she called his name Gad.
११तब लिआ ने कहा, “अहो भाग्य!” इसलिए उसने उसका नाम गाद रखा।
12 And Zilpah, Leah’s handmaid bare a second son to Jacob;
१२फिर लिआ की दासी जिल्पा के याकूब से एक और पुत्र उत्पन्न हुआ।
13 and Leah said, For my happiness, surely happy have daughters pronounced me. So she called his name, Asher.
१३तब लिआ ने कहा, “मैं धन्य हूँ; निश्चय स्त्रियाँ मुझे धन्य कहेंगी।” इसलिए उसने उसका नाम आशेर रखा।
14 Then went Reuben, in the days of the wheat harvest, and found mandrakes, in the field, and brought them in unto Leah his mother, and Rachel said unto Leah, Pray give me, some of the mandrakes of thy son
१४गेहूँ की कटनी के दिनों में रूबेन को मैदान में दूदाफल मिले, और वह उनको अपनी माता लिआ के पास ले गया, तब राहेल ने लिआ से कहा, “अपने पुत्र के दूदाफलों में से कुछ मुझे दे।”
15 And she said to her, Is it, a small thing, that thou hast taken away my husband? And wouldst thou take away, even the mandrakes of my son? Then said Rachel, Therefore, shall he lie with thee to-night, for the mandrakes of thy son.
१५उसने उससे कहा, “तूने जो मेरे पति को ले लिया है क्या छोटी बात है? अब क्या तू मेरे पुत्र के दूदाफल भी लेना चाहती है?” राहेल ने कहा, “अच्छा, तेरे पुत्र के दूदाफलों के बदले वह आज रात को तेरे संग सोएगा।”
16 And Jacob came in from the field, in the evening, so Leah went out to meet him and said: Unto me, shalt thou come in, for I have hired, thee, even with the mandrakes of my son. And he lay with her that night,
१६साँझ को जब याकूब मैदान से आ रहा था, तब लिआ उससे भेंट करने को निकली, और कहा, “तुझे मेरे ही पास आना होगा, क्योंकि मैंने अपने पुत्र के दूदाफल देकर तुझे सचमुच मोल लिया।” तब वह उस रात को उसी के संग सोया।
17 And God hearkened unto Leah, —and she conceived and bare to Jacob a fifth son.
१७तब परमेश्वर ने लिआ की सुनी, और वह गर्भवती हुई और याकूब से उसके पाँचवाँ पुत्र उत्पन्न हुआ।
18 Then said Leah. God hath given my hire, in that I gave my handmaid to my husband. So she called his name, Issachar.
१८तब लिआ ने कहा, “मैंने जो अपने पति को अपनी दासी दी, इसलिए परमेश्वर ने मुझे मेरी मजदूरी दी है।” इसलिए उसने उसका नाम इस्साकार रखा।
19 And Leah conceived again and bare a sixth son to Jacob.
१९लिआ फिर गर्भवती हुई और याकूब से उसके छठवाँ पुत्र उत्पन्न हुआ।
20 Then said Leah, God hath dowered me even me with a hand-some dowry, Now! will my husband dwell with me, for I have borne him six sons. So she called his name, Zebulon.
२०तब लिआ ने कहा, “परमेश्वर ने मुझे अच्छा दान दिया है; अब की बार मेरा पति मेरे संग बना रहेगा, क्योंकि मेरे उससे छः पुत्र उत्पन्न हो चुके हैं।” इसलिए उसने उसका नाम जबूलून रखा।
21 And afterwards she bare a daughter, —so she called her name, Dinah.
२१तत्पश्चात् उसके एक बेटी भी हुई, और उसने उसका नाम दीना रखा।
22 Then God remembered Rachel, —and God hearkened unto her, and granted her to bear.
२२परमेश्वर ने राहेल की भी सुधि ली, और उसकी सुनकर उसकी कोख खोली।
23 So she conceived and bare a son, —and said, God hath taken away my reproach;
२३इसलिए वह गर्भवती हुई और उसके एक पुत्र उत्पन्न हुआ; तब उसने कहा, “परमेश्वर ने मेरी नामधराई को दूर कर दिया है।”
24 So she called his name Joseph, saying, Yahweh is adding unto me another son.
२४इसलिए उसने यह कहकर उसका नाम यूसुफ रखा, “परमेश्वर मुझे एक पुत्र और भी देगा।”
25 And it came to pass, when Rachel had borne Joseph, that Jacob said unto Laban, Let me go that I may take my journey, unto my place, and to my land.
२५जब राहेल से यूसुफ उत्पन्न हुआ, तब याकूब ने लाबान से कहा, “मुझे विदा कर कि मैं अपने देश और स्थान को जाऊँ।
26 Come, give me my wives and my children for whom I have served thee and let me take my journey, —for, thou, knowest my service wherewith I have served thee.
२६मेरी स्त्रियाँ और मेरे बच्चे, जिनके लिये मैंने तेरी सेवा की है, उन्हें मुझे दे कि मैं चला जाऊँ; तू तो जानता है कि मैंने तेरी कैसी सेवा की है।”
27 And Laban said unto him, If, I pray thee, I have found favour in thine eyes, …I have divined that Yahweh hath blessed me for thy sake.
२७लाबान ने उससे कहा, “यदि तेरी दृष्टि में मैंने अनुग्रह पाया है, तो यहीं रह जा; क्योंकि मैंने अनुभव से जान लिया है कि यहोवा ने तेरे कारण से मुझे आशीष दी है।”
28 And he said, —Come, fix thy wages for me, that I may give it!
२८फिर उसने कहा, “तू ठीक बता कि मैं तुझको क्या दूँ, और मैं उसे दूँगा।”
29 And he said unto him, Thou, knowest how I have served thee, —and how thy cattle have fared, with me.
२९उसने उससे कहा, “तू जानता है कि मैंने तेरी कैसी सेवा की, और तेरे पशु मेरे पास किस प्रकार से रहे।
30 For it was, little, that thou hadst—before I came and then it brake forth into multitude, and Yahweh blessed thee at my every step. Now, therefore, when am, I, also to do something for my own house?
३०मेरे आने से पहले वे कितने थे, और अब कितने हो गए हैं; और यहोवा ने मेरे आने पर तुझे आशीष दी है। पर मैं अपने घर का काम कब करने पाऊँगा?”
31 And he said, What shall I give thee? And Jacob said: Thou shall give me, nothing at all, If thou wilt do for me this thing, I will return, I will shepherd thy flock I will keep it:
३१उसने फिर कहा, “मैं तुझे क्या दूँ?” याकूब ने कहा, “तू मुझे कुछ न दे; यदि तू मेरे लिये एक काम करे, तो मैं फिर तेरी भेड़-बकरियों को चराऊँगा, और उनकी रक्षा करूँगा।
32 Let me pass through all thy flock to-day, removing from thence every young one that is speckled and spotted and every young one that is dark-coloured among the young sheep, and spotted and speckled among the goats, and they shall be my wages.
३२मैं आज तेरी सब भेड़-बकरियों के बीच होकर निकलूँगा, और जो भेड़ या बकरी चित्तीवाली या चितकबरी हो, और जो भेड़ काली हो, और जो बकरी चितकबरी और चित्तीवाली हो, उन्हें मैं अलग कर रखूँगा; और मेरी मजदूरी में वे ही ठहरेंगी।
33 And my righteousness shall answer for me on a future day, when thou shall come in respecting my hire that is before thee, Every one that is not speckled and spotted among the goats and dark-coloured among the young sheep, stolen, shall it be accounted, if found with me.
३३और जब आगे को मेरी मजदूरी की चर्चा तेरे सामने चले, तब धर्म की यही साक्षी होगी; अर्थात् बकरियों में से जो कोई न चित्तीवाली न चितकबरी हो, और भेड़ों में से जो कोई काली न हो, यदि मेरे पास निकलें, तो चोरी की ठहरेंगी।”
34 Then said Laban, Lo! would it might be according to thy word!
३४तब लाबान ने कहा, “तेरे कहने के अनुसार हो।”
35 So he removed, on that day, the he-goats that were striped and spotted and all the she-goats that were speckled and spotted, every one that had white in it, and every dark-coloured one among the young sheep, —and delivered them into the hand of his sons;
३५अतः उसने उसी दिन सब धारीवाले और चितकबरे बकरों, और सब चित्तीवाली और चितकबरी बकरियों को, अर्थात् जिनमें कुछ उजलापन था, उनको और सब काली भेड़ों को भी अलग करके अपने पुत्रों के हाथ सौंप दिया।
36 then put he a journey of three days between himself and Jacob, —but, Jacob himself, continued tending the flocks of Laban that were left.
३६और उसने अपने और याकूब के बीच में तीन दिन के मार्ग का अन्तर ठहराया; और याकूब लाबान की भेड़-बकरियों को चराने लगा।
37 So then Jacob took him rods of young storax, and hazel and maple, —and peeled in them white stripes, laying bare the white which was on the rods.
३७तब याकूब ने चिनार, और बादाम, और अर्मोन वृक्षों की हरी-हरी छड़ियाँ लेकर, उनके छिलके कहीं-कहीं छील के, उन्हें धारीदार बना दिया, ऐसी कि उन छड़ियों की सफेदी दिखाई देने लगी।
38 And he set the rods which he had peeled, in the channels in the troughs of water, —where the flocks came in to drink straight before the flocks, and the females of the flock used to be in heat when they came in to drink;
३८और तब छीली हुई छड़ियों को भेड़-बकरियों के सामने उनके पानी पीने के कठौतों में खड़ा किया; और जब वे पानी पीने के लिये आईं तब गाभिन हो गईं।
39 and the males of the flock were in heat before the rods, —so the flocks brought forth ring-straked, speckled, and spotted.
३९छड़ियों के सामने गाभिन होकर, भेड़-बकरियाँ धारीवाले, चित्तीवाले और चितकबरे बच्चे जनीं।
40 The rams also, did Jacob separate, and then set the faces of the flocks towards the ring-straked and all the dark-coloured, among the flocks of Laban, —and he put his own droves by themselves, and put them not with the flocks of Laban.
४०तब याकूब ने भेड़ों के बच्चों को अलग-अलग किया, और लाबान की भेड़-बकरियों के मुँह को चित्तीवाले और सब काले बच्चों की ओर कर दिया; और अपने झुण्डों को उनसे अलग रखा, और लाबान की भेड़-बकरियों से मिलने न दिया।
41 So it came to pass whensoever the stronger of the flocks were in heat, that Jacob set the rods before the eyes of the flocks in the channels, —that the females might be in heat among the rods;
४१और जब जब बलवन्त भेड़-बकरियाँ गाभिन होती थीं, तब-तब याकूब उन छड़ियों को कठौतों में उनके सामने रख देता था; जिससे वे छड़ियों को देखती हुई गाभिन हो जाएँ।
42 but, when the flocks were late in bearing, he did not set them, —and so the late-born were Laban’s, but the strong ones Jacob’s.
४२पर जब निर्बल भेड़-बकरियाँ गाभिन होती थी, तब वह उन्हें उनके आगे नहीं रखता था। इससे निर्बल-निर्बल लाबान की रहीं, और बलवन्त-बलवन्त याकूब की हो गईं।
43 Thus did the man break forth, exceedingly, —thus came he to have flocks in abundance, and maid-servants, and men-servants and camels and asses.
४३इस प्रकार वह पुरुष अत्यन्त धनाढ्य हो गया, और उसके बहुत सी भेड़-बकरियाँ, और दासियाँ और दास और ऊँट और गदहे हो गए।

< Genesis 30 >