< Ezra 8 >
1 Now these are the heads of their fathers’ [houses], and this is the genealogy of them that went up with me from Babylon, in the reign of Artaxerxes the king.
१उनके पूर्वजों के घरानों के मुख्य-मुख्य पुरुष ये हैं, और जो लोग राजा अर्तक्षत्र के राज्य में बाबेल से मेरे संग यरूशलेम को गए उनकी वंशावली यह है:
2 Of the sons of Phinehas, Gershom: of the sons of Ithamar, Daniel: of the sons of David, Hattush.
२अर्थात् पीनहास के वंश में से गेर्शोम, ईतामार के वंश में से दानिय्येल, दाऊद के वंश में से हत्तूश।
3 Of the sons of Shecaniah; of the sons of Parosh, Zechariah: and with him were reckoned by genealogy of the males an hundred and fifty.
३शकन्याह के वंश के परोश के गोत्र में से जकर्याह, जिसके संग डेढ़ सौ पुरुषों की वंशावली हुई।
4 Of the sons of Pahath-moab, Eliehoenai the son of Zerahiah; and with him two hundred males.
४पहत्मोआब के वंश में से जरहयाह का पुत्र एल्यहोएनै, जिसके संग दो सौ पुरुष थे।
5 Of the sons of Shecaniah, the son of Jahaziel; and with him three hundred males.
५शकन्याह के वंश में से यहजीएल का पुत्र, जिसके संग तीन सौ पुरुष थे।
6 And of the sons of Adin, Ebed the son of Jonathan; and with him fifty males.
६आदीन के वंश में से योनातान का पुत्र एबेद, जिसके संग पचास पुरुष थे।
7 And of the sons of Elam, Jeshaiah the son of Athaliah; and with him seventy males.
७एलाम के वंश में से अतल्याह का पुत्र यशायाह, जिसके संग सत्तर पुरुष थे।
8 And of the sons of Shephatiah, Zebadiah the son of Michael; and with him fourscore males.
८शपत्याह के वंश में से मीकाएल का पुत्र जबद्याह, जिसके संग अस्सी पुरुष थे।
9 Of the sons of Joab, Obadiah the son of Jehiel; and with him two hundred and eighteen males.
९योआब के वंश में से यहीएल का पुत्र ओबद्याह, जिसके संग दो सौ अठारह पुरुष थे।
10 And of the sons of Shelomith, the son of Josiphiah; and with him an hundred and threescore males.
१०शलोमीत के वंश में से योसिव्याह का पुत्र, जिसके संग एक सौ साठ पुरुष थे।
11 And of the sons of Bebai, Zechariah the son of Bebai; and with him twenty and eight males.
११बेबै के वंश में से बेबै का पुत्र जकर्याह, जिसके संग अट्ठाईस पुरुष थे।
12 And of the sons of Azgad, Johanan the son of Hakkatan; and with him an hundred and ten males.
१२अजगाद के वंश में से हक्कातान का पुत्र योहानान, जिसके संग एक सौ दस पुरुष थे।
13 And of the sons of Adonikam, [that were] the last; and these are their names, Eliphelet, Jeuel, and Shemaiah, and with them threescore males.
१३अदोनीकाम के वंश में से जो पीछे गए उनके ये नाम हैं: अर्थात् एलीपेलेत, यूएल, और शमायाह, और उनके संग साठ पुरुष थे।
14 And of the sons of Bigvai, Uthai and Zabbud; and with them seventy males.
१४और बिगवै के वंश में से ऊतै और जक्कूर थे, और उनके संग सत्तर पुरुष थे।
15 And I gathered them together to the river that runneth to Ahava; and there we encamped three days: and I viewed the people, and the priests, and found there none of the sons of Levi.
१५इनको मैंने उस नदी के पास जो अहवा की ओर बहती है इकट्ठा कर लिया, और वहाँ हम लोग तीन दिन डेरे डाले रहे, और मैंने वहाँ लोगों और याजकों को देख लिया परन्तु किसी लेवीय को न पाया।
16 Then sent I for Eliezer, for Ariel, for Shemaiah, and for Elnathan, and for Jarib, and for Elnathan, and for Nathan, and for Zechariah, and for Meshullam, chief men; also for Joiarib, and for Elnathan, which were teachers.
१६मैंने एलीएजेर, अरीएल, शमायाह, एलनातान, यारीब, एलनातान, नातान, जकर्याह और मशुल्लाम को जो मुख्य पुरुष थे, और योयारीब और एलनातान को जो बुद्धिमान थे
17 And I sent them forth unto Iddo the chief at the place Casiphia; and I told them what they should say unto Iddo, [and] his brethren the Nethinim, at the place Casiphia, that they should bring unto us ministers for the house of our God.
१७बुलवाकर, इद्दो के पास जो कासिप्या नामक स्थान का प्रधान था, भेज दिया; और उनको समझा दिया, कि कासिप्या स्थान में इद्दो और उसके भाई नतीन लोगों से क्या-क्या कहना, वे हमारे पास हमारे परमेश्वर के भवन के लिये सेवा टहल करनेवालों को ले आएँ।
18 And according to the good hand of our God upon us they brought us a man of discretion, of the sons of Mahli, the son of Levi, the son of Israel; and Sherebiah, with his sons and his brethren, eighteen;
१८हमारे परमेश्वर की कृपादृष्टि जो हम पर हुई इसके अनुसार वे हमारे पास ईश्शेकेल को जो इस्राएल के परपोतो और लेवी के पोते महली के वंश में से था, और शेरेब्याह को, और उसके पुत्रों और भाइयों को, अर्थात् अठारह जनों को;
19 and Hashabiah, and with him Jeshaiah of the sons of Merari, his brethren and their sons, twenty;
१९और हशब्याह को, और उसके संग मरारी के वंश में से यशायाह को, और उसके पुत्रों और भाइयों को, अर्थात् बीस जनों को;
20 and of the Nethinim, whom David and the princes had given for the service of the Levites, two hundred and twenty Nethinim: all of them were expressed by name.
२०और नतीन लोगों में से जिन्हें दाऊद और हाकिमों ने लेवियों की सेवा करने को ठहराया था दो सौ बीस नतिनों को ले आए। इन सभी के नाम लिखे हुए थे।
21 Then I proclaimed a fast there, at the river Ahava, that we might humble ourselves before our God, to seek of him a straight way, for us, and for our little ones, and for all our substance.
२१तब मैंने वहाँ अर्थात् अहवा नदी के तट पर उपवास का प्रचार इस आशय से किया, कि हम परमेश्वर के सामने दीन हों; और उससे अपने और अपने बाल-बच्चों और अपनी समस्त सम्पत्ति के लिये सरल यात्रा माँगे।
22 For I was ashamed to ask of the king a band of soldiers and horsemen to help us against the enemy in the way: because we had spoken unto the king, saying, The hand of our God is upon all them that seek him, for good; but his power and his wrath is against all them that forsake him.
२२क्योंकि मैं मार्ग के शत्रुओं से बचने के लिये सिपाहियों का दल और सवार राजा से माँगने से लजाता था, क्योंकि हम राजा से यह कह चुके थे, “हमारा परमेश्वर अपने सब खोजियों पर, भलाई के लिये कृपादृष्टि रखता है और जो उसे त्याग देते हैं, उसका बल और कोप उनके विरुद्ध है।”
23 So we fasted and besought our God for this: and he was entreated of us.
२३इसी विषय पर हमने उपवास करके अपने परमेश्वर से प्रार्थना की, और उसने हमारी सुनी।
24 Then I separated twelve of the chiefs of the priests, even Sherebiah, Hashabiah, and ten of their brethren with them,
२४तब मैंने मुख्य याजकों में से बारह पुरुषों को, अर्थात् शेरेब्याह, हशब्याह और इनके दस भाइयों को अलग करके, जो चाँदी, सोना और पात्र,
25 and weighed unto them the silver, and the gold, and the vessels, even the offering for the house of our God, which the king, and his counsellors, and his princes, and all Israel there present, had offered:
२५राजा और उसके मंत्रियों और उसके हाकिमों और जितने इस्राएली उपस्थित थे उन्होंने हमारे परमेश्वर के भवन के लिये भेंट दिए थे, उन्हें तौलकर उनको दिया।
26 I even weighed into their hand six hundred and fifty talents of silver, and silver vessels an hundred talents; of gold an hundred talents;
२६मैंने उनके हाथ में साढ़े छः सौ किक्कार चाँदी, सौ किक्कार चाँदी के पात्र,
27 and twenty bowls of gold, of a thousand darics; and two vessels of fine bright brass, precious as gold.
२७सौ किक्कार सोना, हजार दर्कमोन के सोने के बीस कटोरे, और सोने सरीखे अनमोल चमकनेवाले पीतल के दो पात्र तौलकर दे दिये।
28 And I said unto them, Ye are holy unto the LORD, and the vessels are holy; and the silver and the gold are a freewill offering unto the LORD, the God of your fathers.
२८मैंने उनसे कहा, “तुम तो यहोवा के लिये पवित्र हो, और ये पात्र भी पवित्र हैं; और यह चाँदी और सोना भेंट का है, जो तुम्हारे पितरों के परमेश्वर यहोवा के लिये प्रसन्नता से दी गई।
29 Watch ye, and keep them, until ye weigh them before the chiefs of the priests and the Levites, and the princes of the fathers’ [houses] of Israel, at Jerusalem, in the chambers of the house of the LORD.
२९इसलिए जागते रहो, और जब तक तुम इन्हें यरूशलेम में प्रधान याजकों और लेवियों और इस्राएल के पितरों के घरानों के प्रधानों के सामने यहोवा के भवन की कोठरियों में तौलकर न दो, तब तक इनकी रक्षा करते रहो।”
30 So the priests and the Levites received the weight of the silver and the gold, and the vessels, to bring them to Jerusalem unto the house of our God.
३०तब याजकों और लेवियों ने चाँदी, सोने और पात्रों को तौलकर ले लिया कि उन्हें यरूशलेम को हमारे परमेश्वर के भवन में पहुँचाए।
31 Then we departed from the river of Ahava on the twelfth [day] of the first month, to go unto Jerusalem: and the hand of our God was upon us, and he delivered us from the hand of the enemy and the lier in wait by the way.
३१पहले महीने के बारहवें दिन को हमने अहवा नदी से कूच करके यरूशलेम का मार्ग लिया, और हमारे परमेश्वर की कृपादृष्टि हम पर रही; और उसने हमको शत्रुओं और मार्ग पर घात लगाने वालों के हाथ से बचाया।
32 And we came to Jerusalem, and abode there three days.
३२अन्त में हम यरूशलेम पहुँचे और वहाँ तीन दिन रहे।
33 And on the fourth day was the silver and the gold and the vessels weighed in the house of our God into the hand of Meremoth the son of Uriah the priest; and with him was Eleazar the son of Phinehas; and with them was Jozabad the son of Jeshua, and Noadiah the son of Binnui, the Levites;
३३फिर चौथे दिन वह चाँदी-सोना और पात्र हमारे परमेश्वर के भवन में ऊरिय्याह के पुत्र मरेमोत याजक के हाथ में तौलकर दिए गए। उसके संग पीनहास का पुत्र एलीआजर था, और उनके साथ येशुअ का पुत्र योजाबाद लेवीय और बिन्नूई का पुत्र नोअद्याह लेवीय थे।
34 the whole by number and by weight: and all the weight was written at that time.
३४वे सब वस्तुएँ गिनी और तौली गईं, और उनका तौल उसी समय लिखा गया।
35 The children of the captivity, which were come out of exile, offered burnt offerings unto the God of Israel, twelve bullocks for all Israel, ninety and six rams, seventy and seven lambs, twelve he-goats for a sin offering: all this was a burnt offering unto the LORD.
३५जो बँधुआई से आए थे, उन्होंने इस्राएल के परमेश्वर के लिये होमबलि चढ़ाए; अर्थात् समस्त इस्राएल के निमित्त बारह बछड़े, छियानबे मेढ़े और सतहत्तर मेम्ने और पापबलि के लिये बारह बकरे; यह सब यहोवा के लिये होमबलि था।
36 And they delivered the king’s commissions unto the king’s satraps, and to the governors beyond the river: and they furthered the people and the house of God.
३६तब उन्होंने राजा की आज्ञाएँ महानद के इस पार के अधिकारियों और अधिपतियों को दीं; और उन्होंने इस्राएली लोगों और परमेश्वर के भवन के काम में सहायता की।