< Job 35 >

1 Moreover Elihu proceeded, and said:
फिर एलीहू इस प्रकार और भी कहता गया,
2 Dost thou then think this to be right? Thou hast said, “I am more righteous than God.”
“क्या तू इसे अपना हक़ समझता है? क्या तू दावा करता है कि तेरी धार्मिकता परमेश्वर की धार्मिकता से अधिक है?
3 For thou askest, “What advantage have I? What have I gained, more than if I had sinned?”
जो तू कहता है, ‘मुझे इससे क्या लाभ? और मुझे पापी होने में और न होने में कौन सा अधिक अन्तर है?’
4 I will answer thee, And thy companions with thee.
मैं तुझे और तेरे साथियों को भी एक संग उत्तर देता हूँ।
5 Look up to the heavens, and see! And behold the clouds, which are high above thee!
आकाश की ओर दृष्टि करके देख; और आकाशमण्डल को ताक, जो तुझ से ऊँचा है।
6 If thou sinnest, what doest thou against Him? If thy transgressions be multiplied, what doest thou to him?
यदि तूने पाप किया है तो परमेश्वर का क्या बिगड़ता है? यदि तेरे अपराध बहुत ही बढ़ जाएँ तो भी तू उसका क्या कर लेगा?
7 If thou art righteous, what dost thou give him? Or what receiveth he at thy hand?
यदि तू धर्मी है तो उसको क्या दे देता है; या उसे तेरे हाथ से क्या मिल जाता है?
8 Thy wickedness injureth only a man like thyself, And thy righteousness profiteth only a son of man.
तेरी दुष्टता का फल तुझ जैसे पुरुष के लिये है, और तेरी धार्मिकता का फल भी मनुष्यमात्र के लिये है।
9 The oppressed cry out on account of the multitude of wrongs; They cry aloud on account of the arm of the mighty.
“बहुत अंधेर होने के कारण वे चिल्लाते हैं; और बलवान के बाहुबल के कारण वे दुहाई देते हैं।
10 But none saith, “Where is God, my Maker, Who giveth songs in the night;
१०तो भी कोई यह नहीं कहता, ‘मेरा सृजनेवाला परमेश्वर कहाँ है, जो रात में भी गीत गवाता है,
11 Who teacheth us more than the beasts of the earth, And maketh us wiser than the birds of heaven?”
११और हमें पृथ्वी के पशुओं से अधिक शिक्षा देता, और आकाश के पक्षियों से अधिक बुद्धि देता है?’
12 There they cry aloud on account of the pride of the wicked; But he giveth no answer.
१२वे दुहाई देते हैं परन्तु कोई उत्तर नहीं देता, यह बुरे लोगों के घमण्ड के कारण होता है।
13 For God will not hear the vain supplication, Nor will the Almighty regard it;
१३निश्चय परमेश्वर व्यर्थ बातें कभी नहीं सुनता, और न सर्वशक्तिमान उन पर चित्त लगाता है।
14 Much less when thou sayest thou canst not see him: Justice is with him, —only wait thou for him!
१४तो तू क्यों कहता है, कि वह मुझे दर्शन नहीं देता, कि यह मुकद्दमा उसके सामने है, और तू उसकी बाट जोहता हुआ ठहरा है?
15 But now, because he hath not visited in his anger, Nor taken strict note of transgression,
१५परन्तु अभी तो उसने क्रोध करके दण्ड नहीं दिया है, और अभिमान पर चित्त बहुत नहीं लगाया;
16 Therefore hath Job opened his mouth rashly, And multiplied words without knowledge.
१६इस कारण अय्यूब व्यर्थ मुँह खोलकर अज्ञानता की बातें बहुत बनाता है।”

< Job 35 >