< Hebrews 4 >

1 Let us fear therefore, lest perhaps anyone of you should seem to have come short of a promise of entering into his rest.
इसलिए जबकि उसके विश्राम में प्रवेश करने की प्रतिज्ञा अब तक है, तो हमें डरना चाहिए; ऐसा न हो, कि तुम में से कोई जन उससे वंचित रह जाए।
2 For indeed we have had good news preached to us, even as they also did, but the word they heard did not profit them, because they were not united by faith with those who heard.
क्योंकि हमें उन्हीं के समान सुसमाचार सुनाया गया है, पर सुने हुए वचन से उन्हें कुछ लाभ न हुआ; क्योंकि सुननेवालों के मन में विश्वास के साथ नहीं बैठा।
3 For we who have believed do enter into that rest, even as he has said, "As I swore in my wrath, they will not enter into my rest;" although the works were finished from the foundation of the world.
और हम जिन्होंने विश्वास किया है, उस विश्राम में प्रवेश करते हैं; जैसा उसने कहा, “मैंने अपने क्रोध में शपथ खाई, कि वे मेरे विश्राम में प्रवेश करने न पाएँगे।” यद्यपि जगत की उत्पत्ति के समय से उसके काम हो चुके थे।
4 For he has said this somewhere about the seventh day, "And God rested on the seventh day from all his works;"
क्योंकि सातवें दिन के विषय में उसने कहीं ऐसा कहा है, “परमेश्वर ने सातवें दिन अपने सब कामों को निपटा करके विश्राम किया।”
5 and in this place again, "They will not enter into my rest."
और इस जगह फिर यह कहता है, “वे मेरे विश्राम में प्रवेश न करने पाएँगे।”
6 Since therefore it remains for some to enter it, and they to whom the good news was before preached failed to enter in because of disobedience,
तो जब यह बात बाकी है कि कितने और हैं जो उस विश्राम में प्रवेश करें, और इस्राएलियों को, जिन्हें उसका सुसमाचार पहले सुनाया गया, उन्होंने आज्ञा न मानने के कारण उसमें प्रवेश न किया।
7 he again appoints a certain day, "Today," saying through David so long a time afterward (just as has been said), "Today if you will hear his voice, do not harden your hearts."
तो फिर वह किसी विशेष दिन को ठहराकर इतने दिन के बाद दाऊद की पुस्तक में उसे ‘आज का दिन’ कहता है, जैसे पहले कहा गया, “यदि आज तुम उसका शब्द सुनो, तो अपने मनों को कठोर न करो।”
8 For if Joshua had given them rest, he would not have spoken afterward of another day.
और यदि यहोशू उन्हें विश्राम में प्रवेश करा लेता, तो उसके बाद दूसरे दिन की चर्चा न होती।
9 There remains therefore a Sabbath rest for the people of God.
इसलिए जान लो कि परमेश्वर के लोगों के लिये सब्त का विश्राम बाकी है।
10 For he who has entered into his rest has himself also rested from his works, as God did from his.
१०क्योंकि जिसने उसके विश्राम में प्रवेश किया है, उसने भी परमेश्वर के समान अपने कामों को पूरा करके विश्राम किया है।
11 Let us therefore give diligence to enter into that rest, lest anyone fall after the same example of disobedience.
११इसलिए हम उस विश्राम में प्रवेश करने का प्रयत्न करें, ऐसा न हो, कि कोई जन उनके समान आज्ञा न मानकर गिर पड़े।
12 For the word of God is living, and active, and sharper than any two-edged sword, and piercing even to the dividing of soul and spirit, of both joints and marrow, and is able to discern the thoughts and intentions of the heart.
१२क्योंकि परमेश्वर का वचन जीवित, प्रबल, और हर एक दोधारी तलवार से भी बहुत तेज है, प्राण, आत्मा को, गाँठ-गाँठ, और गूदे-गूदे को अलग करके, आर-पार छेदता है; और मन की भावनाओं और विचारों को जाँचता है।
13 There is no creature that is hidden from his sight, but all things are naked and laid open before the eyes of him with whom we have to do.
१३और सृष्टि की कोई वस्तु परमेश्वर से छिपी नहीं है वरन् जिसे हमें लेखा देना है, उसकी आँखों के सामने सब वस्तुएँ खुली और प्रगट हैं।
14 Having then a great high priest, who has passed through the heavens, Jesus, the Son of God, let us hold tightly to our confession.
१४इसलिए, जब हमारा ऐसा बड़ा महायाजक है, जो स्वर्गों से होकर गया है, अर्थात् परमेश्वर का पुत्र यीशु; तो आओ, हम अपने अंगीकार को दृढ़ता से थामे रहें।
15 For we do not have a high priest who cannot be touched with the feeling of our infirmities, but one who has been in all points tempted like we are, yet without sin.
१५क्योंकि हमारा ऐसा महायाजक नहीं, जो हमारी निर्बलताओं में हमारे साथ दुःखी न हो सके; वरन् वह सब बातों में हमारे समान परखा तो गया, तो भी निष्पाप निकला।
16 Let us therefore draw near with boldness to the throne of grace, that we may receive mercy, and may find grace for help in time of need.
१६इसलिए आओ, हम अनुग्रह के सिंहासन के निकट साहस बाँधकर चलें, कि हम पर दया हो, और वह अनुग्रह पाएँ, जो आवश्यकता के समय हमारी सहायता करे।

< Hebrews 4 >