< Ephesians 1 >
1 Paul, an apostle of Christ Jesus through the will of God, to the saints (in Ephesus) who are faithful in Christ Jesus:
१पौलुस की ओर से जो परमेश्वर की इच्छा से यीशु मसीह का प्रेरित है, उन पवित्र और मसीह यीशु में विश्वासी लोगों के नाम जो इफिसुस में हैं,
2 Grace to you and peace from God our Father and the Lord Jesus Christ.
२हमारे पिता परमेश्वर और प्रभु यीशु मसीह की ओर से तुम्हें अनुग्रह और शान्ति मिलती रहे।
3 Blessed be the God and Father of our Lord Jesus Christ, who has blessed us with every spiritual blessing in the heavenly places in Christ;
३हमारे परमेश्वर और प्रभु यीशु मसीह के पिता का धन्यवाद हो कि उसने हमें मसीह में स्वर्गीय स्थानों में सब प्रकार की आत्मिक आशीष दी है।
4 even as he chose us in him before the foundation of the world, that we would be holy and without blemish before him in love;
४जैसा उसने हमें जगत की उत्पत्ति से पहले उसमें चुन लिया कि हम उसकी दृष्टि में पवित्र और निर्दोष हों।
5 having predestined us for adoption as sons through Jesus Christ to himself, according to the good pleasure of his desire,
५और प्रेम में उसने अपनी इच्छा के भले अभिप्राय के अनुसार हमें अपने लिये पहले से ठहराया कि यीशु मसीह के द्वारा हम उसके लेपालक पुत्र हों,
6 to the praise of the glory of his grace, which he freely bestowed on us in the Beloved One,
६कि उसके उस अनुग्रह की महिमा की स्तुति हो, जिसे उसने हमें अपने प्रिय पुत्र के द्वारा सेंत-मेंत दिया।
7 in whom we have our redemption through his blood, the forgiveness of our trespasses, according to the riches of his grace,
७हमको मसीह में उसके लहू के द्वारा छुटकारा, अर्थात् अपराधों की क्षमा, परमेश्वर के उस अनुग्रह के धन के अनुसार मिला है,
8 which he made to abound toward us in all wisdom and prudence,
८जिसे उसने सारे ज्ञान और समझ सहित हम पर बहुतायत से किया।
9 making known to us the mystery of his will, according to his good pleasure which he purposed in him
९उसने अपनी इच्छा का भेद, अपने भले अभिप्राय के अनुसार हमें बताया, जिसे उसने अपने आप में ठान लिया था,
10 to an administration of the fullness of the times, to sum up all things in Christ, the things in the heavens, and the things on the earth, in him;
१०कि परमेश्वर की योजना के अनुसार, समय की पूर्ति होने पर, जो कुछ स्वर्ग में और जो कुछ पृथ्वी पर है, सब कुछ वह मसीह में एकत्र करे।
11 in whom also we were assigned an inheritance, having been foreordained according to the purpose of him who works all things after the counsel of his will;
११मसीह में हम भी उसी की मनसा से जो अपनी इच्छा के मत के अनुसार सब कुछ करता है, पहले से ठहराए जाकर विरासत बने।
12 to the end that we should be to the praise of his glory, we who had before hoped in Christ:
१२कि हम जिन्होंने पहले से मसीह पर आशा रखी थी, उसकी महिमा की स्तुति का कारण हों।
13 in whom you also, having heard the word of the truth, the Good News of your salvation, —in whom, having also believed, you were sealed with the Holy Spirit of promise,
१३और उसी में तुम पर भी जब तुम ने सत्य का वचन सुना, जो तुम्हारे उद्धार का सुसमाचार है, और जिस पर तुम ने विश्वास किया, प्रतिज्ञा किए हुए पवित्र आत्मा की छाप लगी।
14 who is a pledge of our inheritance, to the redemption of God's own possession, to the praise of his glory.
१४वह उसके मोल लिए हुओं के छुटकारे के लिये हमारी विरासत का बयाना है, कि उसकी महिमा की स्तुति हो।
15 For this cause I also, having heard of the faith in the Lord Jesus which is among you, and the love which you have toward all the saints,
१५इस कारण, मैं भी उस विश्वास जो तुम लोगों में प्रभु यीशु पर है और सब पवित्र लोगों के प्रति प्रेम का समाचार सुनकर,
16 do not cease to give thanks for you, making mention of you in my prayers,
१६तुम्हारे लिये परमेश्वर का धन्यवाद करना नहीं छोड़ता, और अपनी प्रार्थनाओं में तुम्हें स्मरण किया करता हूँ।
17 that the God of our Lord Jesus Christ, the Father of glory, may give to you a spirit of wisdom and revelation in the knowledge of him;
१७कि हमारे प्रभु यीशु मसीह का परमेश्वर जो महिमा का पिता है, तुम्हें बुद्धि की आत्मा और अपने ज्ञान का प्रकाश दे।
18 having the eyes of your heart enlightened, that you may know what is the hope of his calling, and what are the riches of the glory of his inheritance in the saints,
१८और तुम्हारे मन की आँखें ज्योतिर्मय हों कि तुम जान लो कि हमारे बुलाहट की आशा क्या है, और पवित्र लोगों में उसकी विरासत की महिमा का धन कैसा है।
19 and what is the exceeding greatness of his power toward us who believe, according to that working of the strength of his might
१९और उसकी सामर्थ्य हमारी ओर जो विश्वास करते हैं, कितनी महान है, उसकी शक्ति के प्रभाव के उस कार्य के अनुसार।
20 which he worked in Christ, when he raised him from the dead, and made him to sit at his right hand in the heavenly places,
२०जो उसने मसीह के विषय में किया, कि उसको मरे हुओं में से जिलाकर स्वर्गीय स्थानों में अपनी दाहिनी ओर,
21 far above all rule, and authority, and power, and dominion, and every name that is named, not only in this age, but also in that which is to come. (aiōn )
२१सब प्रकार की प्रधानता, और अधिकार, और सामर्थ्य, और प्रभुता के, और हर एक नाम के ऊपर, जो न केवल इस लोक में, पर आनेवाले लोक में भी लिया जाएगा, बैठाया; (aiōn )
22 He put all things under his feet, and gave him to be head over all things for the church,
२२और सब कुछ उसके पाँवों तले कर दिया और उसे सब वस्तुओं पर शिरोमणि ठहराकर कलीसिया को दे दिया,
23 which is his body, the fullness of him who fills all in all.
२३यह उसकी देह है, और उसी की परिपूर्णता है, जो सब में सब कुछ पूर्ण करता है।