< Ezra 3 >

1 When the seventh month had come, and the children of Israel were in their cities, the people gathered themselves together as one man to Jerusalem.
जब सातवाँ महीना आया, और इस्राएली अपने-अपने नगर में बस गए, तो लोग यरूशलेम में एक मन होकर इकट्ठे हुए।
2 Then Jeshua the son of Jozadak stood up with his brothers the priests, and Zerubbabel the son of Shealtiel and his brothers, and built the altar of the God of Israel, to offer burnt offerings thereon, as it is written in the law of Moses the man of God.
तब योसादाक के पुत्र येशुअ ने अपने भाई याजकों समेत और शालतीएल के पुत्र जरुब्बाबेल ने अपने भाइयों समेत कमर बाँधकर इस्राएल के परमेश्वर की वेदी को बनाया कि उस पर होमबलि चढ़ाएँ, जैसे कि परमेश्वर के भक्त मूसा की व्यवस्था में लिखा है।
3 In spite of their fear because of the peoples of the surrounding lands, they set the altar on its base; and they offered burnt offerings on it to Jehovah, even burnt offerings morning and evening.
तब उन्होंने वेदी को उसके स्थान पर खड़ा किया क्योंकि उन्हें उस ओर के देशों के लोगों का भय रहा, और वे उस पर यहोवा के लिये होमबलि अर्थात् प्रतिदिन सवेरे और साँझ के होमबलि चढ़ाने लगे।
4 They kept the feast of tents, as it is written, and offered the daily burnt offerings by number, according to the ordinance, as the duty of every day required;
उन्होंने झोपड़ियों के पर्व को माना, जैसे कि लिखा है, और प्रतिदिन के होमबलि एक-एक दिन की गिनती और नियम के अनुसार चढ़ाए।
5 and afterward the continual burnt offering, the offerings of the new moons, of all the set feasts of Jehovah that were consecrated, and of everyone who willingly offered a freewill offering to Jehovah.
उसके बाद नित्य होमबलि और नये-नये चाँद और यहोवा के पवित्र किए हुए सब नियत पर्वों के बलि और अपनी-अपनी इच्छा से यहोवा के लिये सब स्वेच्छाबलि हर एक के लिये बलि चढ़ाए।
6 From the first day of the seventh month, they began to offer burnt offerings to Jehovah; but the foundation of Jehovah's temple was not yet laid.
सातवें महीने के पहले दिन से वे यहोवा को होमबलि चढ़ाने लगे। परन्तु यहोवा के मन्दिर की नींव तब तक न डाली गई थी।
7 They also gave money to the masons, and to the carpenters. They also gave food, drink, and oil to the people of Sidon and Tyre, to bring cedar trees from Lebanon to the sea, to Joppa, according to the grant that they had from Koresh King of Persia.
तब उन्होंने पत्थर गढ़नेवालों और कारीगरों को रुपया, और सीदोनी और सोरी लोगों को खाने-पीने की वस्तुएँ और तेल दिया, कि वे फारस के राजा कुस्रू के पत्र के अनुसार देवदार की लकड़ी लबानोन से याफा के पास के समुद्र में पहुँचाए।
8 Now in the second year of their coming to God's house at Jerusalem, in the second month, Zerubbabel the son of Shealtiel, and Jeshua the son of Jozadak, and the rest of their brothers the priests and the Levites, and all those who had come out of the captivity to Jerusalem, began the work and appointed the Levites, from twenty years old and upward, to have the oversight of the work of Jehovah's house.
उनके परमेश्वर के भवन में, जो यरूशलेम में है, आने के दूसरे वर्ष के दूसरे महीने में, शालतीएल के पुत्र जरुब्बाबेल ने और योसादाक के पुत्र येशुअ ने और उनके अन्य भाइयों ने जो याजक और लेवीय थे, और जितने बँधुआई से यरूशलेम में आए थे उन्होंने भी काम को आरम्भ किया, और बीस वर्ष अथवा उससे अधिक अवस्था के लेवियों को यहोवा के भवन का काम चलाने के लिये नियुक्त किया।
9 Then Jeshua stood with his sons and his brothers, Kadmiel and his sons, the sons of Hodaviah, together, to have the oversight of the workmen in God's house: the sons of Henadad, with their sons and their brothers the Levites.
तो येशुअ और उसके बेटे और भाई, और कदमीएल और उसके बेटे, जो यहूदा की सन्तान थे, और हेनादाद की सन्तान और उनके बेटे परमेश्वर के भवन में कारीगरों का काम चलाने को खड़े हुए।
10 When the builders laid the foundation of Jehovah's temple, they set the priests in their clothing with trumpets, with the Levites the sons of Asaph with cymbals, to praise Jehovah, according to the directions of David king of Israel.
१०जब राजमिस्त्रियों ने यहोवा के मन्दिर की नींव डाली, तब अपने वस्त्र पहने हुए, और तुरहियां लिये हुए याजक, और झाँझ लिये हुए आसाप के वंश के लेवीय इसलिए नियुक्त किए गए कि इस्राएलियों के राजा दाऊद की चलाई हुई रीति के अनुसार यहोवा की स्तुति करें।
11 They sang to one another in praising and giving thanks to Jehovah, "For he is good, for his loving kindness endures forever toward Israel." All the people shouted with a great shout, when they praised Jehovah, because the foundation of the house of Jehovah had been laid.
११सो वे यह गा गाकर यहोवा की स्तुति और धन्यवाद करने लगे, “वह भला है, और उसकी करुणा इस्राएल पर सदैव बनी है।” और जब वे यहोवा की स्तुति करने लगे तब सब लोगों ने यह जानकर कि यहोवा के भवन की नींव अब पड़ रही है, ऊँचे शब्द से जयजयकार किया।
12 But many of the priests and Levites and heads of ancestral houses, the old men who had seen the first house, when the foundation of this house was laid before their eyes, wept with a loud voice. Many also shouted aloud for joy,
१२परन्तु बहुत से याजक और लेवीय और पूर्वजों के घरानों के मुख्य पुरुष, अर्थात् वे बूढ़े जिन्होंने पहला भवन देखा था, जब इस भवन की नींव उनकी आँखों के सामने पड़ी तब फूट फूटकर रोने लगे, और बहुत से आनन्द के मारे ऊँचे शब्द से जयजयकार कर रहे थे।
13 so that the people could not discern the noise of the shout of joy from the noise of the weeping of the people; for the people shouted with a loud shout, and the noise was heard far away.
१३इसलिए लोग, आनन्द के जयजयकार का शब्द, लोगों के रोने के शब्द से अलग पहचान न सके, क्योंकि लोग ऊँचे शब्द से जयजयकार कर रहे थे, और वह शब्द दूर तक सुनाई देता था।

< Ezra 3 >