< Mark 2 >

1 And when he entered again into Kepharnakhum after some days, it was heard that he was in the house.
कई दिन के बाद यीशु फिर कफरनहूम में आया और सुना गया, कि वह घर में है।
2 And many were gathered together, so that there was no more room, not even around the door; and he spoke the word to them.
फिर इतने लोग इकट्ठे हुए, कि द्वार के पास भी जगह नहीं मिली; और वह उन्हें वचन सुना रहा था।
3 And four people came, carrying a paralytic to him.
और लोग एक लकवे के मारे हुए को चार मनुष्यों से उठवाकर उसके पास ले आए।
4 And when they could not bring him because of the crowd, they removed the roof above him. When they had broken it up, they let down the mat that the paralytic was lying on.
परन्तु जब वे भीड़ के कारण उसके निकट न पहुँच सके, तो उन्होंने उस छत को जिसके नीचे वह था, खोल दिया और जब उसे उधेड़ चुके, तो उस खाट को जिस पर लकवे का मारा हुआ पड़ा था, लटका दिया।
5 And Yeshua, seeing their faith, said to the paralytic, "Son, your sins are forgiven you."
यीशु ने, उनका विश्वास देखकर, उस लकवे के मारे हुए से कहा, “हे पुत्र, तेरे पाप क्षमा हुए।”
6 But there were some of the scribes sitting there, and reasoning in their hearts,
तब कई एक शास्त्री जो वहाँ बैठे थे, अपने-अपने मन में विचार करने लगे,
7 "Why does this man speak like that? He is blaspheming; who can forgive sins but God alone?"
“यह मनुष्य क्यों ऐसा कहता है? यह तो परमेश्वर की निन्दा करता है! परमेश्वर को छोड़ और कौन पाप क्षमा कर सकता है?”
8 And immediately Yeshua, perceiving in his spirit that they so reasoned within themselves, said to them, "Why do you reason these things in your hearts?
यीशु ने तुरन्त अपनी आत्मा में जान लिया, कि वे अपने-अपने मन में ऐसा विचार कर रहे हैं, और उनसे कहा, “तुम अपने-अपने मन में यह विचार क्यों कर रहे हो?
9 Which is easier, to tell the paralytic, 'Your sins are forgiven;' or to say, 'Arise, and take up your bed, and walk?'
सहज क्या है? क्या लकवे के मारे से यह कहना कि तेरे पाप क्षमा हुए, या यह कहना, कि उठ अपनी खाट उठाकर चल फिर?
10 But that you may know that the Son of Man has authority on earth to forgive sins", he said to the paralytic,
१०परन्तु जिससे तुम जान लो कि मनुष्य के पुत्र को पृथ्वी पर पाप क्षमा करने का भी अधिकार है।” उसने उस लकवे के मारे हुए से कहा,
11 "I tell you, arise, take up your mat, and go to your house."
११“मैं तुझ से कहता हूँ, उठ, अपनी खाट उठाकर अपने घर चला जा।”
12 And he arose immediately, and took up the mat, and went out in front of them all; so that they were all amazed, and glorified God, saying, "We never saw anything like this."
१२वह उठा, और तुरन्त खाट उठाकर सब के सामने से निकलकर चला गया; इस पर सब चकित हुए, और परमेश्वर की बड़ाई करके कहने लगे, “हमने ऐसा कभी नहीं देखा।”
13 And he went out again by the lake. All the crowd came to him, and he taught them.
१३वह फिर निकलकर झील के किनारे गया, और सारी भीड़ उसके पास आई, और वह उन्हें उपदेश देने लगा।
14 And as he passed by, he saw Lewi, the son of Khalphai, sitting at the tax office, and he said to him, "Follow me." And he arose and followed him.
१४जाते हुए यीशु ने हलफईस के पुत्र लेवी को चुंगी की चौकी पर बैठे देखा, और उससे कहा, “मेरे पीछे हो ले।” और वह उठकर, उसके पीछे हो लिया।
15 And it happened that he was reclining at the table in his house, and many tax collectors and sinners sat down with Yeshua and his disciples, for there were many, and they followed him.
१५और वह उसके घर में भोजन करने बैठा; और बहुत से चुंगी लेनेवाले और पापी भी उसके और चेलों के साथ भोजन करने बैठे, क्योंकि वे बहुत से थे, और उसके पीछे हो लिये थे।
16 And the scribes of the Pharisees, when they saw him eating with the tax collectors and sinners, said to his disciples, "Why is it that he eats and drinks with tax collectors and sinners?"
१६और शास्त्रियों और फरीसियों ने यह देखकर, कि वह तो पापियों और चुंगी लेनेवालों के साथ भोजन कर रहा है, उसके चेलों से कहा, “वह तो चुंगी लेनेवालों और पापियों के साथ खाता पीता है!”
17 And when Yeshua heard it, he said to them, "Those who are healthy have no need for a physician, but those who are sick. I came not to call the righteous, but sinners."
१७यीशु ने यह सुनकर, उनसे कहा, “भले चंगों को वैद्य की आवश्यकता नहीं, परन्तु बीमारों को है: मैं धर्मियों को नहीं, परन्तु पापियों को बुलाने आया हूँ।”
18 And Yukhanan's disciples and the Pharisees were fasting, and they came and asked him, "Why do the disciples of Yukhanan and those of the Pharisees fast, but your disciples do not fast?"
१८यूहन्ना के चेले, और फरीसी उपवास करते थे; अतः उन्होंने आकर उससे यह कहा; “यूहन्ना के चेले और फरीसियों के चेले क्यों उपवास रखते हैं, परन्तु तेरे चेले उपवास नहीं रखते?”
19 And Yeshua said to them, "Can the groomsmen fast while the bridegroom is with them? As long as they have the bridegroom with them, they cannot fast.
१९यीशु ने उनसे कहा, “जब तक दूल्हा बारातियों के साथ रहता है क्या वे उपवास कर सकते हैं? अतः जब तक दूल्हा उनके साथ है, तब तक वे उपवास नहीं कर सकते।
20 But the days will come when the bridegroom will be taken away from them, and then will they fast in that day.
२०परन्तु वे दिन आएँगे, कि दूल्हा उनसे अलग किया जाएगा; उस समय वे उपवास करेंगे।
21 No one sews a piece of unshrunk cloth on an old garment, or else the patch shrinks and the new tears away from the old, and a worse hole is made.
२१“नये कपड़े का पैबन्द पुराने वस्त्र पर कोई नहीं लगाता; नहीं तो वह पैबन्द उसमें से कुछ खींच लेगा, अर्थात् नया, पुराने से, और अधिक फट जाएगा।
22 And no one puts new wine into old wineskins, or else the wine will burst the skins, and the wine is lost, and the skins will be destroyed; but one puts new wine into fresh wineskins."
२२नये दाखरस को पुरानी मशकों में कोई नहीं रखता, नहीं तो दाखरस मशकों को फाड़ देगा, और दाखरस और मशकें दोनों नष्ट हो जाएँगी; परन्तु दाख का नया रस नई मशकों में भरा जाता है।”
23 And it happened that he was going on the Sabbath day through the grain fields, and his disciples began, as they went, to pluck the ears of grain.
२३और ऐसा हुआ कि वह सब्त के दिन खेतों में से होकर जा रहा था; और उसके चेले चलते हुए बालें तोड़ने लगे।
24 And the Pharisees said to him, "Look, why do they do that which is not lawful on the Sabbath day?"
२४तब फरीसियों ने उससे कहा, “देख, ये सब्त के दिन वह काम क्यों करते हैं जो उचित नहीं?”
25 And he said to them, "Did you never read what Dawid did, when he had need, and was hungry—he, and those who were with him?
२५उसने उनसे कहा, “क्या तुम ने कभी नहीं पढ़ा, कि जब दाऊद को आवश्यकता हुई और जब वह और उसके साथी भूखे हुए, तब उसने क्या किया था?
26 How he entered into the house of God in the time of Avithar the high priest, and ate the show bread, which is not lawful to eat except for the priests, and gave also to those who were with him?"
२६उसने क्यों अबियातार महायाजक के समय, परमेश्वर के भवन में जाकर, भेंट की रोटियाँ खाईं, जिसका खाना याजकों को छोड़ और किसी को भी उचित नहीं, और अपने साथियों को भी दीं?”
27 And he said to them, "The Sabbath was made for people, not people for the Sabbath.
२७और उसने उनसे कहा, “सब्त का दिन मनुष्य के लिये बनाया गया है, न कि मनुष्यसब्त के दिन के लिये।
28 Therefore the Son of Man is lord even of the Sabbath."
२८इसलिए मनुष्य का पुत्र सब्त के दिन का भी स्वामी है।”

< Mark 2 >