< Ezekiel 3 >
1 He said to me, "Son of man, eat that which you find. Eat this scroll, and go, speak to the house of Israel."
फिर उसने मुझे कहा, कि 'ऐ आदमज़ाद, जो कुछ तूने पाया सो खा। इस तूमार को निगल जा, और जा कर इस्राईल के ख़ान्दान से कलाम कर।
2 So I opened my mouth, and he caused me to eat the scroll.
तब मैंने मुँह खोला और उसने वह तूमार मुझे खिलाया।
3 He said to me, "Son of man, cause your belly to eat, and fill your belly with this scroll that I give you." Then I ate it; and it was as sweet as honey in my mouth.
फिर उसने मुझे कहा, कि 'ऐ आदमज़ाद, इस तूमार को जो मैं तुझे देता हूँ खा जा, और उससे अपना पेट भर ले। तब मैंने खाया और वह मेरे मुँह में शहद की तरह मीठा था।
4 He said to me, "Son of man, go to the house of Israel, and speak my words to them.
फिर उसने मुझे फ़रमाया, कि 'ऐ आदमज़ाद, तू बनी — इस्राईल के पास जा और मेरी यह बातें उनसे कह।
5 For you are not sent to a people of a strange speech and of a hard language, but to the house of Israel;
क्यूँकि तू ऐसे लोगों की तरफ़ नहीं भेजा जाता जिनकी ज़बान बेगाना और जिनकी बोली सख़्त है; बल्कि इस्राईल के ख़ान्दान की तरफ़;
6 not to many peoples of a strange speech and of a hard language, whose words you can not understand. Surely, if I sent you to them, they would listen to you.
न बहुत सी उम्मतों की तरफ़ जिनकी ज़बान बेगाना और जिनकी बोली सख़्त है; जिनकी बात तू समझ नहीं सकता। यक़ीनन अगर मैं तुझे उनके पास भेजता, तो वह तेरी सुनतीं।
7 But the house of Israel will not listen to you; for they will not listen to me: for all the house of Israel are obstinate and hard-hearted.
लेकिन बनी इस्राईल तेरी बात न सुनेंगे, क्यूँकि वह मेरी सुनना नहीं चाहते, क्यूँकि सब बनी — इस्राईल सख़्त पेशानी और पत्थर दिल हैं।
8 Look, I have made your face hard against their faces, and your forehead hard against their foreheads.
देख, मैंने उनके चेहरों के सामने तेरा चेहरा दुरुश्त किया है, और तेरी पेशानी उनकी पेशानियों के सामने सख़्त कर दी है।
9 As an adamant harder than flint have I made your forehead. Do not be afraid of them, nor be dismayed at their looks, though they are a rebellious house."
मैंने तेरी पेशानी को हीरे की तरह चकमाक से भी ज़्यादा सख़्त कर दिया है; उनसे न डर और उनके चेहरों से परेशान न हो, अगरचे वह सरकश ख़ान्दान हैं।
10 Moreover he said to me, "Son of man, all my words that I shall speak to you receive in your heart, and hear with your ears.
फिर उसने मुझ से कहा, कि 'ऐ आदमज़ाद, मेरी सब बातों को जो मैं तुझ से कहूँगा, अपने दिल से कु़बूल कर और अपने कानों से सुन।
11 And go to the exiles, to the children of your people, and speak to them, and tell them, 'Thus says the LORD'; whether they will hear, or whether they will forbear.
अब उठ, ग़ुलामों या'नी अपनी क़ौम के लोगों के पास जा, और उनसे कह, 'ख़ुदावन्द ख़ुदा यूँ फ़रमाता है,' चाहे वह सुनें चाहे न सुनें।
12 Then the Spirit lifted me up, and I heard behind me the voice of a great rushing, saying, "Blessed be the glory of the LORD from his place."
और रूह ने मुझे उठा लिया, और मैंने अपने पीछे एक बड़ी कड़क की आवाज़ सुनी जो कहती थी: कि 'ख़ुदावन्द का जलाल उसके घर से मुबारक हो।
13 I heard the noise of the wings of the living creatures as they touched one another, and the noise of the wheels beside them, even the noise of a great rushing.
और जानदारों के परों के एक दूसरे से लगने की आवाज़ और उनके सामने पहियों की आवाज़ और एक बड़े धड़ाके की आवाज़ सुनाई दी।
14 So the Spirit lifted me up, and took me away; and I went in bitterness, in the anger of my spirit; and the hand of the LORD was strong on me.
और रूह मुझे उठा कर ले गई, इसलिए मैं तल्ख़ दिल और ग़ज़बनाक होकर रवाना हुआ, और ख़ुदावन्द का हाथ मुझ पर ग़ालिब था;
15 Then I came to them of the exiles at Tel Aviv, that lived by the river Chebar, and to where they lived; and I sat there overwhelmed among them seven days.
और मैं तल अबीब में ग़ुलामों के पास, जो नहर — ए — किबार के किनारे बसते थे पहुँचा; और जहाँ वह रहते थे, मैं सात दिन तक उनके बीच परेशान बैठा रहा।
16 It happened at the end of seven days, that the word of the LORD came to me, saying,
और सात दिन के बाद ख़ुदावन्द का कलाम मुझ पर नाज़िल हुआ:
17 "Son of man, I have made you a watchman to the house of Israel: therefore hear the word from my mouth, and give them warning from me.
कि 'ऐ आदमज़ाद, मैंने तुझे बनी — इस्राईल का निगहबान मुक़र्रर किया। इसलिए तू मेरे मुँह का कलाम सुन, और मेरी तरफ़ से उनको आगाह कर दे।
18 When I tell the wicked, 'You shall surely die'; and you give him no warning, nor speak to warn the wicked from his wicked way, to save his life; that wicked man shall die in his iniquity; but his blood will I require at your hand.
जब मैं शरीर से कहूँ, कि 'तू यक़ीनन मरेगा, और तू उसे आगाह न करे और शरीर से न कहे कि वह अपनी बुरी चाल चलन से ख़बरदार हो, ताकि वह उससे बाज़ आकर अपनी जान बचाए, तो वह शरीर अपनी शरारत में मरेगा, लेकिन मैं उसके खू़न का सवाल — ओ — जवाब तुझ से करूँगा।
19 Yet if you warn the wicked, and he doesn't turn from his wickedness, nor from his wicked way, he shall die in his iniquity; but you have delivered your soul.
लेकिन अगर तूने शरीर को आगाह कर दिया और वह अपनी शरारत और अपनी बुरी चाल चलन से बाज़ न आया तो वह अपनी बदकिरदारी में मरेगा पर तूने अपनी जान को बचा लिया।
20 "Again, when a righteous man does turn from his righteousness, and commit iniquity, and I lay a stumbling block before him, he shall die: because you have not given him warning, he shall die in his sin, and his righteous deeds which he has done shall not be remembered; but his blood will I require at your hand.
और अगर रास्तबाज़ अपनी रास्तबाज़ी छोड़ दे और गुनाह करे, और मैं उसके आगे ठोकर खिलाने वाला पत्थर रख्खूँ तो वह मर जाएगा; इसलिए कि तूने उसे आगाह नहीं किया, तो वह अपने गुनाह में मरेगा और उसकी सदाक़त के कामों का लिहाज़ न किया जाएगा, लेकिन मैं उसके खू़न का सवाल — ओ — जवाब तुझ से करूँगा।
21 Nevertheless if you warn the righteous man, that the righteous not sin, and he does not sin, he shall surely live, because he took warning; and you have delivered your soul."
लेकिन अगर तू उस रास्तबाज़ को आगाह कर दे, ताकि गुनाह न करे और वह गुनाह से बाज़ रहे तो वह यक़ीनन जिएगा; इसलिए के नसीहत पज़ीर हुआ और तूने अपनी जान बचा ली।
22 The hand of the LORD was there on me; and he said to me, "Arise, go forth into the plain, and I will there talk with you."
और वहाँ ख़ुदावन्द का हाथ मुझ पर था, और उसने मुझे फ़रमाया, “उठ, मैदान में निकल जा और वहाँ मैं तुझ से बातें करूँगा।”
23 Then I arose, and went forth into the plain: and look, the glory of the LORD stood there, as the glory which I saw by the river Chebar; and I fell on my face.
तब मैं उठ कर मैदान में गया, और क्या देखता हूँ कि ख़ुदावन्द का जलाल उस शौकत की तरह, जो मैंने नहर — ए — किबार के किनारे देखी थी खड़ा है; और मैं मुँह के बल गिरा।
24 Then the Spirit entered into me, and set me on my feet; and he spoke with me, and said to me, "Go, shut yourself inside your house.
तब रूह मुझ में दाख़िल हुई और उसने मुझे मेरे पाँव पर खड़ा किया, और मुझ से हमकलाम होकर फ़रमाया, कि अपने घर जा, और दरवाज़ा बन्द करके अन्दर बैठ रह।
25 But you, son of man, look, they shall lay bands on you, and shall bind you with them, and you shall not go out among them:
और ऐ आदमज़ाद देख, वह तुझ पर बंधन डालेंगे और उनसे तुझे बाँधेंगे और तू उनके बीच बाहर न जाएगा।
26 and I will make your tongue stick to the roof of your mouth, that you shall be mute, and shall not be to them a reprover; for they are a rebellious house.
और मैं तेरी ज़बान तेरे तालू से चिपका दूँगा कि तू गूँगा हो जाए; और उनके लिए नसीहत गो न हो, क्यूँकि वह बाग़ी ख़ान्दान हैं।
27 But when I speak with you, I will open your mouth, and you shall tell them, 'Thus says the Lord GOD': He who hears, let him hear; and he who forbears, let him forbear: for they are a rebellious house.
लेकिन जब मैं तुझ से हमकलाम हूँगा, तो तेरा मुँह खोलूँगा, तब तू उनसे कहेगा, कि 'ख़ुदावन्द ख़ुदा यूँ फ़रमाता है, जो सुनता है सुने और जो नहीं सुनता न सुने, क्यूँकि वह बाग़ी ख़ान्दान हैं।