< 2 Corinthians 7 >
1 Having therefore these promises, beloved, let us cleanse ourselves from all defilement of flesh and spirit, perfecting holiness in the fear of God.
हे प्यारे बिश्वासी भाईयो, जिब हमनै वो वादा मिल्या सै, ताके हम परमेसवर की ऊलाद कुह्वावां, तो आओ, हम अपणी देह अर आत्मा नै गंदा करण आळे सारे बुरे काम छोड़ द्या, अर परमेसवर का भय मानते होए पूरी रीति तै अपणे-आपनै पवित्र करण की कोशिश करां।
2 Open your hearts to us. We wronged no one. We corrupted no one. We took advantage of no one.
थम म्हारे तै पूरे मन तै प्यार करो। हमनै ना किसे पै जुल्म करया, ना किसे गैल अन्याय करया, अर ना किसे ताहीं ठग्या सै।
3 I say this not to condemn you, for I have said before, that you are in our hearts to die together and live together.
मै थमनै कसूरवार ठहराण कै खात्तर न्यू न्ही कहन्दा। क्यूँके मै पैहल्याए तै कह चुक्या सूं, के हम थारे ताहीं पूरे मन तै प्यार करां सां, अर हम थारे गेल्या जीण-मरण कै खात्तर भी त्यार सां।
4 Great is my boldness of speech toward you. Great is my boasting on your behalf. I am filled with comfort. I overflow with joy in all our affliction.
मै थारे तै घणे बिश्वास कै गेल्या बोल्लण लागरया सूं, मन्नै थारे पै घणा गर्व सै, मै बड़ा उत्साहित सूं। अपणे सारे क्ळेश म्ह, मै आनन्द तै घणा भरपूर रहूँ सूं।
5 For even when we had come into Macedonia, our flesh had no relief, but we were afflicted on every side. Fightings were outside. Fear was inside.
त्रोआस नगर तै जिब हम मकिदुनिया परदेस म्ह आये, फेर भी म्हारी देह नै चैन कोनी मिल्या, पर हम चौगरदे तै क्ळेश पावां थे, बाहरणै लड़ाई-झगड़े थे, म्हारे मन म्ह डरावणी बात थी।
6 Nevertheless, he who comforts the lowly, God, comforted us by the coming of Titus;
तोभी दुखियाँ ताहीं तसल्ली देणआळे परमेसवर नै तीतुस कै आण तै म्हारे ताहीं उत्साहित करया।
7 and not by his coming only, but also by the comfort with which he was comforted in you, while he told us of your longing, your mourning, and your zeal for me; so that I rejoiced still more.
ना सिर्फ उसके आण तै, पर उस उत्साह के जरिये भी, जो तीतुस नै थारे म्ह पाया, उसनै थारी लालसा, थारे दुख, अर मेरै खात्तर थारी धुन की खबर म्हारै ताहीं सुणायी, जिसतै मन्नै और भी खुशी होई।
8 For though I made you sorry with my letter, I do not regret it, though I did regret it. For I see that my letter made you sorry, though just for a while.
मै पसताऊ कोनी, के मन्नै थारे ताहीं चिट्ठी लिखी, हालाकि मन्नै अपणी चिट्ठी तै थारे ताहीं दुखी करया, मै पैहल्या तो पछताया, जिब मन्नै देख्या के थम मेरी चिट्ठी तै थोड़े बखत खात्तर तो उदास होए सों।
9 I now rejoice, not that you were made sorry, but that you were made sorry to repentance. For you were made sorry in a godly way, that you might suffer loss by us in nothing.
पर इब मै खुश सूं, ज्यांतै न्ही के मन्नै थारे ताहीं दुख पोंहचाया, बल्के ज्यांतै के थमनै उस दुख कै कारण पाप करणा छोड़ दिया, क्यूँके थम दुखी थे, जिसा परमेसवर चाहवै था, के म्हारी ओड़ तै थमनै किसे बात का नुकसान ना पोहोचै।
10 For godly sorrow works repentance to salvation, which brings no regret. But the sorrow of the world works death.
क्यूँके परमेसवर की ओड़ तै मिलण आळा दुख, पापां नै छोड़ण का कारण बणै सै, जिसका नतिज्जा छुटकारा सै, उस तरियां के दुख का पछतावा कोनी होन्दा। पर दुनिया तै मिलण आळा दुख अनन्त मौत का कारण बणै सै।
11 For look at this very thing, that you were made sorry in a godly way. What diligence it produced in you, what clearing of yourselves, what indignation, what fear, what longing, what zeal, what vindication. In everything you proved yourselves to be innocent in this matter.
इस करकै सुणो, परमेसवर की ओड़ तै मिलण आळे दुख तै थम कितने गुणवाण बण गये, थारे म्ह कितना उत्साह, जबाबदारी, रिस, भय, लालसा, धुन अर बदला लेण का विचार छोड़णा, थमनै सारी तरियां तै न्यू साबित कर दिया सै, के थमनै इन सारी बात्तां म्ह कोए कमी कोनी छोड्डी।
12 So although I wrote to you, I wrote not for his cause that did the wrong, nor for his cause that suffered the wrong, but that your earnest care for us might be revealed in you in the sight of God.
फेर मन्नै पैहले जो थारे धोरै वो चिट्ठी लिखी थी, वा ना तो उसकै कारण लिखी, जिसनै नाइंसाफी करी, अर ना उसकै कारण जिसके साथ नाइंसाफी करी गई, पर ज्यांतै के थारा जोश जो म्हारै खात्तर सै, वो परमेसवर कै स्याम्ही थारे पै जाहिर हो जावै।
13 Therefore we have been comforted. In our comfort we rejoiced the more exceedingly for the joy of Titus, because his spirit has been refreshed by you all.
ज्यांतै हमनै तसल्ली मिली, म्हारी तसल्ली तो तीतुस की खुशी के कारण सै, म्हारे ताहीं और भी घणी खुशी होई क्यूँके उसका मन थारे कारण और भी ज्यादा खुशमिसाज होग्या सै।
14 For if in anything I have boasted to him on your behalf, I was not disappointed. But as we spoke all things to you in truth, so our glorying also which I made before Titus was found to be truth.
क्यूँके जै मन्नै उसकै स्याम्ही थारे बारै म्ह कुछ गर्व दिखाया, तो मै शर्मिन्दा कोनी होया, पर जिसा हमनै थारे तै सारी बात सच-सच कह दी थी, उस्से तरियां ए म्हारा गर्व दिखाणा तीतुस कै स्याम्ही भी सच्चा लिकड़या।
15 His affection is more abundantly toward you, while he remembers all of your obedience, how with fear and trembling you received him.
जिब तीतुस ताहीं थम सारया के आज्ञाकारी होण की बात याद आवै सै, अर किस ढाळ थम डरदे अर काम्बदे होए उसतै मिले, तो उसका प्यार थारे खात्तर और भी बधता जावै सै।
16 I rejoice that in everything I am of good courage concerning you.
मन्नै घणी खुशी हो सै, क्यूँके मन्नै हरेक बात म्ह थारे पै पूरा भरोस्सा सै।