< 1 Corinthians 5 >

1 It is actually reported that there is sexual immorality among you, and such sexual immorality as is not even among the nations, that one has his father's wife.
यहाँ तक सुनने में आता है, कि तुम में व्यभिचार होता है, वरन् ऐसा व्यभिचार जो अन्यजातियों में भी नहीं होता, कि एक पुरुष अपने पिता की पत्नी को रखता है।
2 You are puffed up, and did not rather mourn, that he who had done this deed might be removed from among you.
और तुम शोक तो नहीं करते, जिससे ऐसा काम करनेवाला तुम्हारे बीच में से निकाला जाता, परन्तु घमण्ड करते हो।
3 For I most certainly, as being absent in body but present in spirit, have already, as though I were present, judged him who has done this thing.
मैं तो शरीर के भाव से दूर था, परन्तु आत्मा के भाव से तुम्हारे साथ होकर, मानो उपस्थिति की दशा में ऐसे काम करनेवाले के विषय में न्याय कर चुका हूँ।
4 In the name of our Lord Yeshua, you being gathered together, and my spirit, with the power of our Lord Yeshua,
कि जब तुम, और मेरी आत्मा, हमारे प्रभु यीशु की सामर्थ्य के साथ इकट्ठे हों, तो ऐसा मनुष्य, हमारे प्रभु यीशु के नाम से।
5 are to deliver such a one to Satana for the destruction of the flesh, that the spirit may be saved in the day of the Lord.
शरीर के विनाश के लिये शैतान को सौंपा जाए, ताकि उसकी आत्मा प्रभु यीशु के दिन में उद्धार पाए।
6 Your boasting is not good. Do you not know that a little yeast leavens the whole lump?
तुम्हारा घमण्ड करना अच्छा नहीं; क्या तुम नहीं जानते, कि थोड़ा सा ख़मीर पूरे गुँधे हुए आटे को ख़मीर कर देता है।
7 Purge out the old yeast, that you may be a new lump, even as you are unleavened. For indeed Meshikha, our Passover lamb, has been sacrificed for us.
पुराना ख़मीर निकालकर, अपने आपको शुद्ध करो कि नया गूँधा हुआ आटा बन जाओ; ताकि तुम अख़मीरी हो, क्योंकि हमारा भी फसह जो मसीह है, बलिदान हुआ है।
8 Therefore let us keep the feast, not with old yeast, neither with the yeast of malice and wickedness, but with the unleavened bread of sincerity and truth.
इसलिए आओ हम उत्सव में आनन्द मनाएँ, न तो पुराने ख़मीर से और न बुराई और दुष्टता के ख़मीर से, परन्तु सिधाई और सच्चाई की अख़मीरी रोटी से।
9 I wrote to you in my letter to have no company with sexual sinners;
मैंने अपनी पत्री में तुम्हें लिखा है, कि व्यभिचारियों की संगति न करना।
10 yet not at all meaning with the sexual sinners of this world, or with the covetous and extortioners, or with idolaters; for then you would have to leave the world.
१०यह नहीं, कि तुम बिलकुल इस जगत के व्यभिचारियों, या लोभियों, या अंधेर करनेवालों, या मूर्तिपूजकों की संगति न करो; क्योंकि इस दशा में तो तुम्हें जगत में से निकल जाना ही पड़ता।
11 But as it is, I wrote to you not to associate with anyone who is called a brother who is a sexual sinner, or covetous, or an idolater, or a slanderer, or a drunkard, or an extortioner. Do not even eat with such a person.
११मेरा कहना यह है; कि यदि कोई भाई कहलाकर, व्यभिचारी, या लोभी, या मूर्तिपूजक, या गाली देनेवाला, या पियक्कड़, या अंधेर करनेवाला हो, तो उसकी संगति मत करना; वरन् ऐसे मनुष्य के साथ खाना भी न खाना।
12 For what have I to do with also judging those who are outside? Do you not judge those who are within?
१२क्योंकि मुझे बाहरवालों का न्याय करने से क्या काम? क्या तुम भीतरवालों का न्याय नहीं करते?
13 But those who are outside, God judges. "Put away the wicked person from among yourselves."
१३परन्तु बाहरवालों का न्याय परमेश्वर करता है: इसलिए उस कुकर्मी को अपने बीच में से निकाल दो।

< 1 Corinthians 5 >