< Joshua 3 >
1 And Joshua rises early in the morning, and they journey from Shittim, and come to the Jordan, he and all the sons of Israel, and they lodge there before they pass over.
दूसरे दिन सुबह जल्दी उठकर यहोशू एवं इस्राएल वंशज शित्तीम से चलकर यरदन गए और उसे पार करने के पहले उन्होंने वहां पड़ाव डाला.
2 And it comes to pass, at the end of three days, that the authorities pass over into the midst of the camp,
तीन दिन बाद नायक शिविर के बीच से होते हुए गए,
3 and command the people, saying, “When you see the Ark of the Covenant of your God YHWH, and the priests, the Levites, carrying it, then you journey from your place, and have gone after it;
और उन्होंने लोगों को कहा, “जब याहवेह परमेश्वर की वाचा के संदूक को लेवीय पुरोहित उठाए हुए देखो, तब अपने-अपने स्थान से उठकर उसके पीछे-पीछे चलना.
4 only, a distance is between you and it, about two thousand cubits by measure; you do not come near to it, so that you know the way in which you go, for you have not passed over in the way before.”
किंतु तुम्हारे तथा संदूक के बीच लगभग एक किलोमीटर की दूरी रहे. इसके पास न जाना, तुम ध्यान रखना कि तुम्हें किस दिशा में आगे बढ़ना है, क्योंकि इस मार्ग पर तुम पहले कभी नहीं गए हो.”
5 And Joshua says to the people, “Sanctify yourselves, for tomorrow YHWH does wonders in your midst.”
लोगों से यहोशू ने कहा, “अपने आपको पवित्र करो, क्योंकि कल याहवेह तुम्हारे बीच आश्चर्य के काम करेंगे.”
6 And Joshua speaks to the priests, saying, “Take up the Ark of the Covenant, and pass over before the people”; and they take up the Ark of the Covenant, and go before the people.
पुरोहितों से यहोशू ने कहा, “आप वाचा का संदूक लेकर लोगों के आगे-आगे चलें.” तब उन्होंने वाचा का संदूक उठाया और लोगों के आगे-आगे चलने लगे.
7 And YHWH says to Joshua, “This day I begin to make you great in the eyes of all Israel, so that they know that as I was with Moses I am with you;
याहवेह ने यहोशू से कहा, “आज वह दिन है, जब मैं तुम्हें इस्राएल की दृष्टि में आदर का पात्र बनाऊंगा, और उन्हें यह मालूम हो जाएगा कि जिस प्रकार मैं मोशेह के साथ था, ठीक वैसे ही तुम्हारे साथ भी रहूंगा.
8 and you, command the priests carrying the Ark of the Covenant, saying, When you come to the extremity of the waters of the Jordan, stand in the Jordan.”
तुम्हें वाचा का संदूक उठानेवाले को बताना होगा: ‘जब तुम यरदन नदी में पहुंचो तब, तुम जल में सीधे खड़े रहना.’”
9 And Joshua says to the sons of Israel, “Come near here, and hear the words of your God YHWH”;
तब यहोशू ने इस्राएलियों से कहा, “यहां आकर याहवेह, अपने परमेश्वर का संदेश सुनो.
10 and Joshua says, “By this you know that the living God [is] in your midst, and He certainly dispossesses from before you the Canaanite, and the Hittite, and the Hivite, and the Perizzite, and the Girgashite, and the Amorite, and the Jebusite:
तब तुम समझ पाओगे कि जीवित परमेश्वर तुम्हारे बीच में हैं; और वही तुम्हारे सामने से कनानियों, हित्तियों, हिव्वियों, परिज्ज़ियों, गिर्गाशियों, अमोरियों तथा यबूसियों को भगा देंगे.
11 behold, the Ark of the Covenant of the Lord of all the earth is passing over before you into the Jordan;
ध्यान रखना, कि प्रभु की वाचा का संदूक तुम्हारे आगे यरदन में पहुंच रहा है.
12 and now, take for yourselves twelve men out of the tribes of Israel, one man—one man for a tribe;
तब इस्राएल के हर एक गोत्र से बारह व्यक्ति अलग करो जो हर गोत्र से एक-एक पुरुष हो.
13 and it has been, at the resting of the soles of the feet of the priests carrying the Ark of YHWH, Lord of all the earth, in the waters of the Jordan, the waters of the Jordan are cut off—the waters which are coming down from above—and they stand—one heap.”
जैसे ही याहवेह की वाचा का संदूक उठानेवाले पुरोहितों के पांव यरदन में पड़ेंगे, यरदन का जल बहना रुक जाएगा तथा एक जगह इकट्ठा हो जाएगा.”
14 And it comes to pass, in the journeying of the people from their tents to pass over the Jordan, and of the priests carrying the Ark of the Covenant before the people,
यह फसल काटने का समय था. इस समय यरदन नदी में बाढ़ की स्थिति हुआ करती है. जब इस्राएल वंशज यरदन पार करने के लिए निकले, तब पुरोहित वाचा का संदूक लेकर लोगों के आगे जा रहे थे. पुरोहितों के पांव जैसे ही जल में पड़े,
15 and at those carrying the Ark coming to the Jordan, and the feet of the priests carrying the Ark have been dipped in the extremity of the waters (and the Jordan is full over all its banks all the days of harvest)—
16 that the waters stand; those coming down from above have risen—one heap, very far above Adam, the city which [is] at the side of Zaretan; and those going down by the Sea of the Plain (the Salt Sea), have been completely cut off; and the people have passed through opposite Jericho;
ऊपर से आ रहा जल बहना रुक गया, और दीवार सा ऊंचा उठ गया. यह आदम नामक नगर था, जो ज़ारेथान के पास है. इससे अराबाह सागर, जो लवण-सागर की ओर जाता है, वहां का जल पूरा सूख गया. और इस्राएली येरीख़ो की ओर पार हो गए.
17 and the priests carrying the Ark of the Covenant of YHWH stand on dry ground in the midst of the Jordan—established, and all Israel are passing over on dry ground until all the nation has completed to pass over the Jordan.
याहवेह की वाचा का संदूक लेकर पुरोहित यरदन नदी के बीच में सूखी भूमि पर तब तक खड़े रहे जब तक सब इस्राएलियों ने यरदन नदी को पार न किया.