< Jeremiah 50 >

1 The word that YHWH has spoken concerning Babylon, concerning the land of the Chaldeans, by the hand of Jeremiah the prophet:
बाबेल और कसदियों के देश के विषय में यहोवा ने यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता के द्वारा यह वचन कहा:
2 “Declare among nations, and sound, And lift up an ensign, sound, do not hide, Say, Babylon has been captured, Bel has been put to shame, Merodach has been broken, Her grievous things have been put to shame, Her idols have been broken.
“जातियों में बताओ, सुनाओ और झण्डा खड़ा करो; सुनाओ, मत छिपाओ कि बाबेल ले लिया गया, बेल का मुँह काला हो गया, मरोदक विस्मित हो गया। बाबेल की प्रतिमाएँ लज्जित हुई और उसकी बेडौल मूरतें विस्मित हो गई।
3 For a nation from the north has come up against her, It makes her land become a desolation, And there is not an inhabitant in it. From man even to beast, They have moved, they have gone.
क्योंकि उत्तर दिशा से एक जाति उस पर चढ़ाई करके उसके देश को यहाँ तक उजाड़ कर देगी, कि क्या मनुष्य, क्या पशु, उसमें कोई भी न रहेगा; सब भाग जाएँगे।
4 In those days, and at that time,” A declaration of YHWH, “Sons of Israel come in, They and sons of Judah together, Going on and weeping they go, And they seek their God YHWH.
“यहोवा की यह वाणी है, कि उन दिनों में इस्राएली और यहूदा एक संग आएँगे, वे रोते हुए अपने परमेश्वर यहोवा को ढूँढ़ने के लिये चले आएँगे।
5 They ask the way [to] Zion, Their faces [are] toward that place: Come in, and we are joined to YHWH, A perpetual covenant—never forgotten.
वे सिय्योन की ओर मुँह किए हुए उसका मार्ग पूछते और आपस में यह कहते आएँगे, ‘आओ हम यहोवा से मेल कर लें, उसके साथ ऐसी वाचा बाँधे जो कभी भूली न जाए, परन्तु सदा स्थिर रहे।’
6 My people have been a perishing flock, Their shepherds have caused them to err, Causing them to go back [on] the mountains, They have gone from mountain to hill, They have forgotten their crouching-place.
“मेरी प्रजा खोई हुई भेड़ें हैं; उनके चरवाहों ने उनको भटका दिया और पहाड़ों पर भटकाया है; वे पहाड़-पहाड़ और पहाड़ी-पहाड़ी घूमते-घूमते अपने बैठने के स्थान को भूल गई हैं।
7 All finding them have devoured them, And their adversaries have said: We are not guilty, Because that they sinned against YHWH, The habitation of righteousness, And the hope of their fathers—YHWH.
जितनों ने उन्हें पाया वे उनको खा गए; और उनके सतानेवालों ने कहा, ‘इसमें हमारा कुछ दोष नहीं, क्योंकि उन्होंने यहोवा के विरुद्ध पाप किया है जो धर्म का आधार है, और उनके पूर्वजों का आश्रय था।’
8 Move from the midst of Babylon, And go out from the land of the Chaldeans; And be as male goats before a flock.
“बाबेल के बीच में से भागो, कसदियों के देश से निकल आओ। जैसे बकरे अपने झुण्ड के अगुए होते हैं, वैसे ही बनो।
9 For behold, I am stirring up, And am causing to come up against Babylon, An assembly of great nations from [the] land of the north, And they have set in array against her, From there she is captured, Its arrow—as a skillful hero—does not return empty,
क्योंकि देखो, मैं उत्तर के देश से बड़ी जातियों को उभारकर उनकी मण्डली बाबेल पर चढ़ा ले आऊँगा, और वे उसके विरुद्ध पाँति बाँधेंगे; और उसी दिशा से वह ले लिया जाएगा। उनके तीर चतुर वीर के से होंगे; उनमें से कोई अकारथ न जाएगा।
10 And Chaldea has been for a spoil, All her spoilers are satisfied,” A declaration of YHWH.
१०कसदियों का देश ऐसा लुटेगा कि सब लूटनेवालों का पेट भर जाएगा, यहोवा की यह वाणी है।
11 “Because you rejoice, because you exult, O spoilers of My inheritance, Because you increase as a heifer [at] the tender grass, And cry aloud as bulls,
११“हे मेरे भाग के लूटनेवालों, तुम जो मेरी प्रजा पर आनन्द करते और फुले नहीं समाते हो, और घास चरनेवाली बछिया के समान उछलते और बलवन्त घोड़ों के समान हिनहिनाते हो,
12 Your mother has been greatly ashamed, She who bore you has been confounded, Behold, the last of nations [is] a wilderness, A dry land, and a desert.
१२तुम्हारी माता अत्यन्त लज्जित होगी और तुम्हारी जननी का मुँह काला होगा। क्योंकि वह सब जातियों में नीच होगी, वह जंगल और मरु और निर्जल देश हो जाएगी।
13 Because of the wrath of YHWH it is not inhabited, And it has been a desolation—all of it. Everyone passing by at Babylon is astonished, And hisses because of all her plagues.
१३यहोवा के क्रोध के कारण, वह देश निर्जन रहेगा, वह उजाड़ ही उजाड़ होगा; जो कोई बाबेल के पास से चलेगा वह चकित होगा, और उसके सब दुःख देखकर ताली बजाएगा।
14 Set yourselves in array against Babylon all around, All you treading a bow, Shoot at her, have no pity on the arrow, For she has sinned against YHWH.
१४हे सब धनुर्धारियो, बाबेल के चारों ओर उसके विरुद्ध पाँति बाँधो; उस पर तीर चलाओ, उन्हें मत रख छोड़ो, क्योंकि उसने यहोवा के विरुद्ध पाप किया है।
15 Shout against her all around, She has given forth her hand, Her foundations have fallen, Her walls have been thrown down, For it [is] the vengeance of YHWH, Be avenged of her, as she did—do to her.
१५चारों ओर से उस पर ललकारो, उसने हार मानी; उसके कोट गिराए गए, उसकी शहरपनाह ढाई गई। क्योंकि यहोवा उससे अपना बदला लेने पर है; इसलिए तुम भी उससे अपना-अपना बदला लो, जैसा उसने किया है, वैसा ही तुम भी उससे करो।
16 Cut off the sower from Babylon, And him handling the sickle in the time of harvest, Because of the oppressing sword, Each to his people—they turn, And each to his land—they flee.
१६बाबेल में से बोनेवाले और काटनेवाले दोनों को नाश करो, वे दुःखदाई तलवार के डर के मारे अपने-अपने लोगों की ओर फिरें, और अपने-अपने देश को भाग जाएँ।
17 Israel [is as] a scattered sheep, Lions have driven [him] away, At first, the king of Asshur devoured him, And now, at last, Nebuchadnezzar king of Babylon has broken his bone.
१७“इस्राएल भगाई हुई भेड़ है, सिंहों ने उसको भगा दिया है। पहले तो अश्शूर के राजा ने उसको खा डाला, और तब बाबेल के राजा नबूकदनेस्सर ने उसकी हड्डियों को तोड़ दिया है।
18 Therefore, thus said YHWH of Hosts, God of Israel: Behold, I am seeing after the king of Babylon, And after his land, As I have seen after the king of Asshur;
१८इस कारण इस्राएल का परमेश्वर, सेनाओं का यहोवा यह कहता है, देखो, जैसे मैंने अश्शूर के राजा को दण्ड दिया था, वैसे ही अब देश समेत बाबेल के राजा को दण्ड दूँगा।
19 And I have brought Israel back to his habitation, And he has fed on Carmel and on Bashan; And his soul is satisfied on Mount Ephraim and on Gilead.
१९मैं इस्राएल को उसकी चराई में लौटा लाऊँगा, और वह कर्मेल और बाशान में फिर चरेगा, और एप्रैम के पहाड़ों पर और गिलाद में फिर भर पेट खाने पाएगा।
20 In those days, and at that time,” A declaration of YHWH, “The iniquity of Israel is sought, and it is not, And the sin of Judah, and it is not found, For I am propitious to those whom I leave!
२०यहोवा की यह वाणी है, कि उन दिनों में इस्राएल का अधर्म ढूँढ़ने पर भी नहीं मिलेगा, और यहूदा के पाप खोजने पर भी नहीं मिलेंगे; क्योंकि जिन्हें मैं बचाऊँ, उनके पाप भी क्षमा कर दूँगा।
21 Against the land of Merathaim, go up against it, And to the inhabitants of Pekod, Dry up and devote their posterity,” A declaration of YHWH, “And do according to all that I have commanded you.
२१“तू मरातैम देश और पकोद नगर के निवासियों पर चढ़ाई कर। मनुष्यों को तो मार डाल, और धन का सत्यानाश कर; यहोवा की यह वाणी है, और जो-जो आज्ञा मैं तुझे देता हूँ, उन सभी के अनुसार कर।
22 A noise of battle [is] in the land, And of great destruction.
२२सुनो, उस देश में युद्ध और सत्यानाश का सा शब्द हो रहा है।
23 How it has been cut and broken, The hammer of the whole earth! How Babylon has been for a desolation among nations!
२३जो हथौड़ा सारी पृथ्वी के लोगों को चूर-चूर करता था, वह कैसा काट डाला गया है! बाबेल सब जातियों के बीच में कैसा उजाड़ हो गया है!
24 I have laid a snare for you, And you are also captured, O Babylon, And you have known, You have been found, and are also caught, For you have stirred yourself up against YHWH.
२४हे बाबेल, मैंने तेरे लिये फंदा लगाया, और तू अनजाने उसमें फँस भी गया; तू ढूँढ़कर पकड़ा गया है, क्योंकि तू यहोवा का विरोध करता था।
25 YHWH has opened His treasury, And He brings out the weapons of His indignation, For a work [is] to Lord YHWH of Hosts, In the land of the Chaldeans.
२५प्रभु, सेनाओं के यहोवा ने अपने शस्त्रों का घर खोलकर, अपने क्रोध प्रगट करने का सामान निकाला है; क्योंकि सेनाओं के प्रभु यहोवा को कसदियों के देश में एक काम करना है।
26 Come in to her from the extremity, Open her storehouses, Raise her up as heaps, and devote her, Let her have no remnant.
२६पृथ्वी की छोर से आओ, और उसकी बखरियों को खोलो; उसको ढेर ही ढेर बना दो; ऐसा सत्यानाश करो कि उसमें कुछ भी न बचा रहें।
27 Slay all her cows, they go down to slaughter, Woe [is] on them, for their day has come, The time of their inspection.
२७उसके सब बैलों को नाश करो, वे घात होने के स्थान में उतर जाएँ। उन पर हाय! क्योंकि उनके दण्ड पाने का दिन आ पहुँचा है।
28 A voice of fugitives and escaped ones [Is] from the land of Babylon, To declare in Zion the vengeance of our God YHWH, The vengeance of His temple.
२८“सुनो, बाबेल के देश में से भागनेवालों का सा बोल सुनाई पड़ता है जो सिय्योन में यह समाचार देने को दौड़े आते हैं, कि हमारा परमेश्वर यहोवा अपने मन्दिर का बदला ले रहा है।
29 Summon archers to Babylon, all treading the bow, Encamp against her all around, Let [her] have no escape; Repay to her according to her work, According to all that she did—do to her, For she has been proud against YHWH, Against the Holy One of Israel.
२९“सब धनुर्धारियों को बाबेल के विरुद्ध इकट्ठे करो, उसके चारों ओर छावनी डालो, कोई जन भागकर निकलने न पाए। उसके काम का बदला उसे दो, जैसा उसने किया है, ठीक वैसा ही उसके साथ करो; क्योंकि उसने यहोवा इस्राएल के पवित्र के विरुद्ध अभिमान किया है।
30 Therefore her young men fall in her broad places, And all her men of war are cut off in that day,” A declaration of YHWH.
३०इस कारण उसके जवान चौकों में गिराए जाएँगे, और सब योद्धाओं का बोल बन्द हो जाएगा, यहोवा की यही वाणी है।
31 “Behold, I [am] against you, O pride,” A declaration of Lord YHWH of Hosts, “For your day has come, the time of your inspection.
३१“प्रभु सेनाओं के यहोवा की यह वाणी है, हे अभिमानी, मैं तेरे विरुद्ध हूँ; तेरे दण्ड पाने का दिन आ गया है।
32 And pride has stumbled, And he has fallen, and has none raising up, And I have kindled a fire in his cities, And it has devoured all around him.
३२अभिमानी ठोकर खाकर गिरेगा और कोई उसे फिर न उठाएगा; और मैं उसके नगरों में आग लगाऊँगा जिससे उसके चारों ओर सब कुछ भस्म हो जाएगा।
33 Thus said YHWH of Hosts: The sons of Israel are oppressed, And the sons of Judah together, And all their captors have kept hold on them, They have refused to send them away.
३३“सेनाओं का यहोवा यह कहता है, इस्राएल और यहूदा दोनों बराबर पिसे हुए हैं; और जितनों ने उनको बँधुआ किया वे उन्हें पकड़े रहते हैं, और जाने नहीं देते।
34 Their Redeemer [is] strong, YHWH of Hosts [is] His Name, He thoroughly pleads their cause, So as to cause the land to rest, And He has given trouble to the inhabitants of Babylon.
३४उनका छुड़ानेवाला सामर्थी है; सेनाओं का यहोवा, यही उसका नाम है। वह उनका मुकद्दमा भली भाँति लड़ेगा कि पृथ्वी को चैन दे परन्तु बाबेल के निवासियों को व्याकुल करे।
35 A sword [is] for the Chaldeans,” A declaration of YHWH, “And it [is] on the inhabitants of Babylon, And on her heads, and on her wise men;
३५“यहोवा की यह वाणी है, कसदियों और बाबेल के हाकिम, पंडित आदि सब निवासियों पर तलवार चलेगी!
36 A sword [is] on the princes, And they have become foolish; A sword [is] on her mighty ones, And they have been broken down;
३६बड़ा बोल बोलनेवालों पर तलवार चलेगी, और वे मूर्ख बनेंगे! उसके शूरवीरों पर भी तलवार चलेगी, और वे विस्मित हो जाएँगे!
37 A sword [is] on his horses and on his chariot, And on all the rabble who [are] in her midst, And they have become women; A sword [is] on her treasuries, And they have been spoiled;
३७उसके सवारों और रथियों पर और सब मिले जुले लोगों पर भी तलवार चलेगी, और वे स्त्रियाँ बन जाएँगे! उसके भण्डारों पर तलवार चलेगी, और वे लुट जाएँगे!
38 A sword [is] on her waters, and they have been dried up, For it [is] a land of carved images, And they boast themselves in idols.
३८उसके जलाशयों पर सूखा पड़ेगा, और वे सूख जाएँगे! क्योंकि वह खुदी हुई मूरतों से भरा हुआ देश है, और वे अपनी भयानक प्रतिमाओं पर बावले हैं।
39 Therefore desert-dwellers dwell with howlers, Indeed, daughters of the ostrich have dwelt in her, And it is not inhabited anymore forever, Nor dwelt in from generation to generation.
३९“इसलिए निर्जल देश के जन्तु सियारों के संग मिलकर वहाँ बसेंगे, और शुतुर्मुर्ग उसमें वास करेंगे, और वह फिर सदा तक बसाया न जाएगा, न युग-युग उसमें कोई वास कर सकेगा।
40 As the overthrow by God of Sodom, And of Gomorrah, and of its neighbors,” A declaration of YHWH, “None dwell there, Nor does a son of man sojourn in her.
४०यहोवा की यह वाणी है, कि सदोम और गमोरा और उनके आस-पास के नगरों की जैसी दशा उस समय हुई थी जब परमेश्वर ने उनको उलट दिया था, वैसी ही दशा बाबेल की भी होगी, यहाँ तक कि कोई मनुष्य उसमें न रह सकेगा, और न कोई आदमी उसमें टिकेगा।
41 Behold, a people has come from the north, Even a great nation, And many kings are stirred up from the sides of the earth.
४१“सुनो, उत्तर दिशा से एक देश के लोग आते हैं, और पृथ्वी की छोर से एक बड़ी जाति और बहुत से राजा उठकर चढ़ाई करेंगे।
42 They seize bow and javelin, They [are] cruel, and they have no mercy, Their voice sounds as a sea, and they ride on horses, Set in array as a man for battle, Against you, O daughter of Babylon.
४२वे धनुष और बर्छी पकड़े हुए हैं; वे क्रूर और निर्दयी हैं; वे समुद्र के समान गरजेंगे; और घोड़ों पर चढ़े हुए तुझ बाबेल की बेटी के विरुद्ध पाँति बाँधे हुए युद्ध करनेवालों के समान आएँगे।
43 The king of Babylon has heard their report, And his hands have been feeble, Distress has seized him; pain as a travailing woman.
४३उनका समाचार सुनते ही बाबेल के राजा के हाथ पाँव ढीले पड़ गए, और उसको जच्चा की सी पीड़ाएँ उठी।
44 Behold, he comes up as a lion, Because of the rising of the Jordan, To the enduring habitation, But I cause to rest, I cause them to run from off her. And who is chosen? I lay a charge on her, For who [is] like Me? And who convenes Me? And who [is] this shepherd who stands before Me?
४४“सुनो, वह सिंह के समान आएगा जो यरदन के आस-पास के घने जंगल से निकलकर दृढ़ भेड़शालाएँ पर चढ़े, परन्तु मैं उनको उसके सामने से झट भगा दूँगा; तब जिसको मैं चुन लूँ, उसी को उन पर अधिकारी ठहराऊँगा। देखो, मेरे तुल्य कौन है? कौन मुझ पर मुकद्दमा चलाएगा? वह चरवाहा कहाँ है जो मेरा सामना कर सकेगा?”
45 Therefore, hear the counsel of YHWH, That He counseled concerning Babylon, And His plans that He has devised Concerning the land of the Chaldeans; Do little ones of the flock not drag them out, Does He not make the habitation desolate over them?
४५इसलिए सुनो कि यहोवा ने बाबेल के विरुद्ध क्या युक्ति की है और कसदियों के देश के विरुद्ध कौन सी कल्पना की है: निश्चय वह भेड़-बकरियों के बच्चों को घसीट ले जाएगा, निश्चय वह उनकी चराइयों को भेड़-बकरियों से खाली कर देगा।
46 From the sound of Babylon having been captured, The earth has been shaken, And a cry has been heard among nations!”
४६बाबेल के लूट लिए जाने के शब्द से पृथ्वी काँप उठी है, और उसकी चिल्लाहट जातियों में सुनाई पड़ती है।

< Jeremiah 50 >