< Jeremiah 12 >
1 You [are] righteous, O YHWH, When I plead toward You, Only, let me speak judgments with You, Why did the way of the wicked prosper? All treacherous dealers have been at rest.
१हे यहोवा, यदि मैं तुझ से मुकद्दमा लड़ूँ, तो भी तू धर्मी है; मुझे अपने साथ इस विषय पर वाद-विवाद करने दे। दुष्टों की चाल क्यों सफल होती है? क्या कारण है कि विश्वासघाती बहुत सुख से रहते हैं?
2 You have planted them, Indeed, they have taken root, They go on, indeed, they have made fruit, You [are] near in their mouth, And far off from their reins.
२तू उनको बोता और वे जड़ भी पकड़ते; वे बढ़ते और फलते भी हैं; तू उनके मुँह के निकट है परन्तु उनके मनों से दूर है।
3 And You, O YHWH, You have known me, You see me, and have tried my heart with You, Draw them away as sheep to slaughter, And separate them for a day of slaughter.
३हे यहोवा तू मुझे जानता है; तू मुझे देखता है, और तूने मेरे मन की परीक्षा करके देखा कि मैं तेरी ओर किस प्रकार रहता हूँ। जैसे भेड़-बकरियाँ घात होने के लिये झुण्ड में से निकाली जाती हैं, वैसे ही उनको भी निकाल ले और वध के दिन के लिये तैयार कर।
4 Until when does the earth mourn, And the herb of the whole field wither? For the wickedness of those dwelling in it, Beast and bird have been consumed, Because they said, “He does not see our latter end.”
४कब तक देश विलाप करता रहेगा, और सारे मैदान की घास सूखी रहेगी? देश के निवासियों की बुराई के कारण पशु-पक्षी सब नाश हो गए हैं, क्योंकि उन लोगों ने कहा, “वह हमारे अन्त को न देखेगा।”
5 “For you have run with footmen, And they weary you, And how you fret yourself with horses! Even in the land of peace, [In which] you are confident—And how will you do in the rising of Jordan?
५“तू जो प्यादों ही के संग दौड़कर थक गया है तो घोड़ों के संग कैसे बराबरी कर सकेगा? और यद्यपि तू शान्ति के इस देश में निडर है, परन्तु यरदन के आस-पास के घने जंगल में तू क्या करेगा?
6 For even your brothers and the house of your father, Even they dealt treacherously against you, Even they called after you fully, Do not trust in them when they speak good things to you.
६क्योंकि तेरे भाई और तेरे घराने के लोगों ने भी तेरा विश्वासघात किया है; वे तेरे पीछे ललकारते हैं, यदि वे तुझ से मीठी बातें भी कहें, तो भी उन पर विश्वास न करना।”
7 I have forsaken My house, I have left My inheritance, I have given the beloved of My soul Into the hand of her enemies.
७“मैंने अपना घर छोड़ दिया, अपना निज भाग मैंने त्याग दिया है; मैंने अपनी प्राणप्रिया को शत्रुओं के वश में कर दिया है।
8 My inheritance has been to Me as a lion in a forest, She gave forth against Me with her voice, Therefore I have hated her.
८क्योंकि मेरा निज भाग मेरे देखने में वन के सिंह के समान हो गया और मेरे विरुद्ध गरजा है; इस कारण मैंने उससे बैर किया है।
9 [Is] My inheritance a speckled bird to Me? Is the bird around against her? Come, assemble, every beast of the field, Come for food.
९क्या मेरा निज भाग मेरी दृष्टि में चित्तीवाले शिकारी पक्षी के समान नहीं है? क्या शिकारी पक्षी चारों ओर से उसे घेरे हुए हैं? जाओ सब जंगली पशुओं को इकट्ठा करो; उनको लाओ कि खा जाएँ।
10 Many shepherds destroyed My vineyard, They have trodden down My portion, They have made My desirable portion Become a wilderness—a desolation.
१०बहुत से चरवाहों ने मेरी दाख की बारी को बिगाड़ दिया, उन्होंने मेरे भाग को लताड़ा, वरन् मेरे मनोहर भाग के खेत को सुनसान जंगल बना दिया है।
11 He has made it become a desolation, The desolation has mourned to Me, All the land has been desolated, But there is no one laying it to heart.
११उन्होंने उसको उजाड़ दिया; वह उजड़कर मेरे सामने विलाप कर रहा है। सारा देश उजड़ गया है, तो भी कोई नहीं सोचता।
12 Spoilers have come in on all high places in the plain, For the sword of YHWH is consuming, From the end of the land even to the end of the land, There is no peace to any flesh.
१२जंगल के सब मुंडे टीलों पर नाश करनेवाले चढ़ आए हैं; क्योंकि यहोवा की तलवार देश के एक छोर से लेकर दूसरी छोर तक निगलती जाती है; किसी मनुष्य को शान्ति नहीं मिलती।
13 They sowed wheat, and have reaped thorns, They have become sick—they do not profit, And they have been ashamed of your increases, Because of the fierceness of the anger of YHWH.”
१३उन्होंने गेहूँ तो बोया, परन्तु कँटीली झाड़ियाँ काटीं, उन्होंने कष्ट तो उठाया, परन्तु उससे कुछ लाभ न हुआ। यहोवा के क्रोध के भड़कने के कारण वे अपने खेतों की उपज के विषय में लज्जित हो।”
14 Thus said YHWH: “Concerning all My evil neighbors, who are striking against the inheritance that I caused My people—Israel—to inherit: Behold, I am plucking them from off their ground, And I pluck the house of Judah out of their midst.
१४मेरे दुष्ट पड़ोसी उस भाग पर हाथ लगाते हैं, जिसका भागी मैंने अपनी प्रजा इस्राएल को बनाया है। उनके विषय यहोवा यह कहता है: “मैं उनको उनकी भूमि में से उखाड़ डालूँगा, और यहूदा के घराने को भी उनके बीच में से उखाड़ूँगा।
15 And it has been, after My plucking them out, I turn back, and have pitied them, And I have brought them back, Each to his inheritance, and each to his land.
१५उन्हें उखाड़ने के बाद मैं फिर उन पर दया करूँगा, और उनमें से हर एक को उसके निज भाग और भूमि में फिर से लगाऊँगा।
16 And it has come to pass, If they learn the ways of My people well, To swear by My Name, YHWH lives, As they taught My people to swear by Ba‘al, Then they have been built up in the midst of My people.
१६यदि वे मेरी प्रजा की चाल सीखकर मेरे ही नाम की सौगन्ध, यहोवा के जीवन की सौगन्ध, खाने लगें, जिस प्रकार से उन्होंने मेरी प्रजा को बाल की सौगन्ध खाना सिखाया था, तब मेरी प्रजा के बीच उनका भी वंश बढ़ेगा।
17 And if they do not listen, Then I have plucked up that nation, Plucking up and destroying,” A declaration of YHWH!
१७परन्तु यदि वे न मानें, तो मैं उस जाति को ऐसा उखाड़ूँगा कि वह फिर कभी न पनपेगी, यहोवा की यही वाणी है।”