< Ecclesiastes 6 >
1 There is an evil that I have seen under the sun, and it [is] great on man:
एक ज़ुबूनी है जो मैंने दुनिया में देखी, और वह लोगों पर गिराँ है:
2 A man to whom God gives wealth, and riches, and honor, and there is no lack to his soul of all that he desires, and God does not give him power to eat of it, but a stranger eats it; this [is] vanity, and it [is] an evil disease.
कोई ऐसा है कि ख़ुदा ने उसे धन दौलत और 'इज़्ज़त बख़्शी है, यहाँ तक कि उसकी किसी चीज़ की जिसे उसका जी चाहता है कमी नहीं; तोभी ख़ुदा ने उसे तौफ़ीक़ नहीं दी कि उससे खाए, बल्कि कोई अजनबी उसे खाता है। ये बेकार और सख़्त बीमारी है।
3 If a man begets one hundred, and lives many years, and is great, because they are the days of his years, and his soul is not satisfied from the goodness, and also he has not had a grave, I have said, “Better than he [is] the untimely birth.”
अगर आदमी के सौ फ़र्ज़न्द हों, और वह बहुत बरसों तक जीता रहे यहाँ तक कि उसकी उम्र के दिन बेशुमार हों, लेकिन उसका जी ख़ुशी से सेर न हो और उसका दफ़न न हो, तो मैं कहता हूँ कि वह हमल जो गिर जाए उससे बेहतर है।
4 For in vanity he came in, and in darkness he goes, and in darkness his name is covered,
क्यूँकि वह बतालत के साथ आया और तारीकी में जाता है, और उसका नाम अंधेरे में छिपा रहता है।
5 even the sun he has not seen nor known, more rest has this than that.
उसने सूरज को भी न देखा, न किसी चीज़ को जाना, फिर वह उस दूसरे से ज़्यादा आराम में है।
6 And though he had lived one thousand years twice over, yet he has not seen good; does not everyone go to the same place?
हाँ, अगरचे वह दो हज़ार बरस तक ज़िन्दा रहे और उसे कुछ राहत न हो। क्या सब के सब एक ही जगह नहीं जाते?
7 All the labor of man [is] for his mouth, And yet the soul is not filled.
आदमी की सारी मेहनत उसके मुँह के लिए है, तोभी उसका जी नहीं भरता;
8 For what advantage [is] to the wise above the fool? What to the poor who knows to walk before the living?
क्यूँकि 'अक़्लमन्द को बेवक़ूफ़ पर क्या फ़ज़ीलत है? और ग़रीब को जी ज़िन्दों के सामने चलना जानता है, क्या हासिल है?
9 Better [is] the sight of the eyes than the going of the soul. This [is] also vanity and distress of spirit.
आँखों से देख लेना आरज़ू की आवारगी से बेहतर है: ये भी बेकार और हवा की चरान है।
10 What [is] that which has been? Already is its name called, and it is known that it [is] man, And he is not able to contend with him who is stronger than he.
जो कुछ हुआ है उसका नाम ज़माना — ए — क़दीम में रख्खा गया, और ये भी मा'लूम है कि वह इंसान है, और वह उसके साथ जो उससे ताक़तवर है झगड़ नहीं सकता।
11 For there are many things multiplying vanity; What advantage [is] to man?
चूँकि बहुत सी चीज़ें हैं जिनसे बेकार बहुतायत होती है, फिर इंसान को क्या फ़ायदा है?
12 For who knows what [is] good for a man in life, the number of the days of the life of his vanity, and he makes them as a shadow? For who declares to man what is after him under the sun?
क्यूँकि कौन जानता है कि इंसान के लिए उसकी ज़िन्दगी में, या'नी उसकी बेकार ज़िन्दगी के तमाम दिनों में जिनको वह परछाई की तरह बसर करता है, कौन सी चीज़ फ़ाइदेमन्द है? क्यूँकि इंसान को कौन बता सकता है कि उसके बाद दुनिया में क्या वाके़' होगा?