< Daniel 2 >
1 And in the second year of the reign of Nebuchadnezzar, Nebuchadnezzar has dreamed dreams, and his spirit moves itself, and his sleep has been against him;
१अपने राज्य के दूसरे वर्ष में नबूकदनेस्सर ने ऐसा स्वप्न देखा जिससे उसका मन बहुत ही व्याकुल हो गया और वह सो न सका।
2 and the king says to call for enchanters, and for conjurers, and for sorcerers, and for Chaldeans, to declare to the king his dreams. And they come in and stand before the king;
२तब राजा ने आज्ञा दी, कि ज्योतिषी, तांत्रिक, टोन्हे और कसदी बुलाए जाएँ कि वे राजा को उसका स्वप्न बताएँ; इसलिए वे आए और राजा के सामने हाजिर हुए।
3 and the king says to them, “I have dreamed a dream, and my spirit is moved to know the dream.”
३तब राजा ने उनसे कहा, “मैंने एक स्वप्न देखा है, और मेरा मन व्याकुल है कि स्वप्न को कैसे समझूँ।”
4 And the Chaldeans speak to the king [in] Aramaic, “O king, live for all ages, tell the dream to your servants, and we show the interpretation.”
४तब कसदियों ने, राजा से अरामी भाषा में कहा, “हे राजा, तू चिरंजीवी रहे! अपने दासों को स्वप्न बता, और हम उसका अर्थ बताएँगे।”
5 The king has answered and said to the Chaldeans, “The thing is gone from me; if you do not cause me to know the dream and its interpretation, you are made pieces, and your houses are made dunghills;
५राजा ने कसदियों को उत्तर दिया, “मैं यह आज्ञा दे चुका हूँ कि यदि तुम अर्थ समेत स्वप्न को न बताओगे तो तुम टुकड़े-टुकड़े किए जाओगे, और तुम्हारे घर फुँकवा दिए जाएँगे।
6 and if the dream and its interpretation you show, gifts, and fee, and great glory you receive from before me, therefore the dream and its interpretation you show me.”
६और यदि तुम अर्थ समेत स्वप्न को बता दो तो मुझसे भाँति-भाँति के दान और भारी प्रतिष्ठा पाओगे। इसलिए तुम मुझे अर्थ समेत स्वप्न बताओ।”
7 They have answered a second time, and are saying, “Let the king tell the dream to his servants, and we show the interpretation.”
७उन्होंने दूसरी बार कहा, “हे राजा स्वप्न तेरे दासों को बताया जाए, और हम उसका अर्थ समझा देंगे।”
8 The king has answered and said, “Of a truth I know that you are gaining time, because that you have seen that the thing is gone from me,
८राजा ने उत्तर दिया, “मैं निश्चय जानता हूँ कि तुम यह देखकर, कि राजा के मुँह से आज्ञा निकल चुकी है, समय बढ़ाना चाहते हो।
9 [so] that, if you do not cause me to know the dream—one is your sentence, seeing a lying and corrupt word you have prepared to speak before me, until the time is changed, therefore tell the dream to me, then I know that you show me its interpretation.”
९इसलिए यदि तुम मुझे स्वप्न न बताओ तो तुम्हारे लिये एक ही आज्ञा है। क्योंकि तुम ने गोष्ठी की होगी कि जब तक समय न बदले, तब तक हम राजा के सामने झूठी और गपशप की बातें कहा करेंगे। इसलिए तुम मुझे स्वप्न बताओ, तब मैं जानूँगा कि तुम उसका अर्थ भी समझा सकते हो।”
10 The Chaldeans have answered before the king, and are saying, “There is not a man on the earth who is able to show the king’s matter; therefore, no king, chief, and ruler, has asked such a thing as this of any scribe, and enchanter, and Chaldean;
१०कसदियों ने राजा से कहा, “पृथ्वी भर में ऐसा कोई मनुष्य नहीं जो राजा के मन की बात बता सके; और न कोई ऐसा राजा, या प्रधान, या हाकिम कभी हुआ है जिसने किसी ज्योतिषी या तांत्रिक, या कसदी से ऐसी बात पूछी हो।
11 and the thing that the king is asking [is] precious, and there are no others that show it before the king, except the gods, whose dwelling is not with flesh.”
११जो बात राजा पूछता है, वह अनोखी है, और देवताओं को छोड़कर जिनका निवास मनुष्यों के संग नहीं है, और कोई दूसरा नहीं, जो राजा को यह बता सके।”
12 Therefore the king has been furious and very angry, and has said to destroy all the wise men of Babylon.
१२इस पर राजा ने झुँझलाकर, और बहुत ही क्रोधित होकर, बाबेल के सब पंडितों के नाश करने की आज्ञा दे दी।
13 And the sentence has gone forth, and the wise men are being slain, and they have sought Daniel and his companions to be slain.
१३अतः यह आज्ञा निकली, और पंडित लोगों का घात होने पर था; और लोग दानिय्येल और उसके संगियों को ढूँढ़ रहे थे कि वे भी घात किए जाएँ।
14 Then Daniel has replied [with] counsel and discretion to Arioch chief of the executioners of the king, who has gone forth to slay the wise men of Babylon.
१४तब दानिय्येल ने, अंगरक्षकों के प्रधान अर्योक से, जो बाबेल के पंडितों को घात करने के लिये निकला था, सोच विचार कर और बुद्धिमानी के साथ कहा;
15 He has answered and said to Arioch the king’s captain, “Why [is] the sentence so urgent from before the king?” Then Arioch has made the thing known to Daniel,
१५और राजा के हाकिम अर्योक से पूछने लगा, “यह आज्ञा राजा की ओर से ऐसी उतावली के साथ क्यों निकली?” तब अर्योक ने दानिय्येल को इसका भेद बता दिया।
16 and Daniel has gone up, and sought of the king that he would give him time to show the interpretation to the king.
१६और दानिय्येल ने भीतर जाकर राजा से विनती की, कि उसके लिये कोई समय ठहराया जाए, तो वह महाराज को स्वप्न का अर्थ बता देगा।
17 Then Daniel has gone to his house, and to Hananiah, Mishael, and Azariah, his companions, he has made the thing known,
१७तब दानिय्येल ने अपने घर जाकर, अपने संगी हनन्याह, मीशाएल, और अजर्याह को यह हाल बताकर कहा:
18 and to seek mercies from before the God of the heavens concerning this secret, that they do not destroy Daniel and his companions with the rest of the wise men of Babylon.
१८इस भेद के विषय में स्वर्ग के परमेश्वर की दया के लिये यह कहकर प्रार्थना करो, कि बाबेल के और सब पंडितों के संग दानिय्येल और उसके संगी भी नाश न किए जाएँ।
19 Then to Daniel, in a vision of the night, the secret has been revealed. Then Daniel has blessed the God of the heavens.
१९तब वह भेद दानिय्येल को रात के समय दर्शन के द्वारा प्रगट किया गया। तब दानिय्येल ने स्वर्ग के परमेश्वर का यह कहकर धन्यवाद किया,
20 Daniel has answered and said, “Let the Name of God be blessed from age even to age, for wisdom and might—for they are His.
२०“परमेश्वर का नाम युगानुयुग धन्य है; क्योंकि बुद्धि और पराक्रम उसी के हैं।
21 And He is changing times and seasons, He is causing kings to pass away, and He is raising up kings; He is giving wisdom to the wise, and knowledge to those possessing understanding.
२१समयों और ऋतुओं को वही पलटता है; राजाओं का अस्त और उदय भी वही करता है; बुद्धिमानों को बुद्धि और समझवालों को समझ भी वही देता है;
22 He is revealing deep and hidden things; He has known what [is] in darkness, and light has dwelt with Him.
२२वही गूढ़ और गुप्त बातों को प्रगट करता है; वह जानता है कि अंधियारे में क्या है, और उसके संग सदा प्रकाश बना रहता है।
23 You, O God of my fathers, I am thanking and praising, for wisdom and might You have given to me; and now, You have caused me to know that which we have sought from You, for the king’s matter You have caused us to know.”
२३हे मेरे पूर्वजों के परमेश्वर, मैं तेरा धन्यवाद और स्तुति करता हूँ, क्योंकि तूने मुझे बुद्धि और शक्ति दी है, और जिस भेद का खुलना हम लोगों ने तुझ से माँगा था, उसे तूने मुझ पर प्रगट किया है, तूने हमको राजा की बात बताई है।”
24 Therefore Daniel has gone up to Arioch, whom the king has appointed to destroy the wise men of Babylon; he has gone, and thus has said to him, “You do not destroy the wise men of Babylon, bring me up before the king, and I show the interpretation to the king.”
२४तब दानिय्येल ने अर्योक के पास, जिसे राजा ने बाबेल के पंडितों के नाश करने के लिये ठहराया था, भीतर जाकर कहा, “बाबेल के पंडितों का नाश न कर, मुझे राजा के सम्मुख भीतर ले चल, मैं अर्थ बताऊँगा।”
25 Then Arioch in haste has brought up Daniel before the king, and thus has said to him, “I have found a man of the sons of the expulsion of Judah, who makes known the interpretation to the king.”
२५तब अर्योक ने दानिय्येल को राजा के सम्मुख शीघ्र भीतर ले जाकर उससे कहा, “यहूदी बंधुओं में से एक पुरुष मुझ को मिला है, जो राजा को स्वप्न का अर्थ बताएगा।”
26 The king has answered and said to Daniel, whose name [is] Belteshazzar, “Are you able to cause me to know the dream that I have seen, and its interpretation?”
२६राजा ने दानिय्येल से, जिसका नाम बेलतशस्सर भी था, पूछा, “क्या तुझ में इतनी शक्ति है कि जो स्वप्न मैंने देखा है, उसे अर्थ समेत मुझे बताए?”
27 Daniel has answered before the king and said, “The secret that the king is asking, the wise men, the enchanters, the scribes, the soothsayers, are not able to show to the king;
२७दानिय्येल ने राजा को उत्तर दिया, “जो भेद राजा पूछता है, वह न तो पंडित, न तांत्रिक, न ज्योतिषी, न दूसरे भावी बतानेवाले राजा को बता सकते हैं,
28 but there is a God in the heavens, a revealer of secrets, and He has made known to King Nebuchadnezzar that which [is] to be in the latter end of the days. Your dream and the visions of your head on your bed are these:
२८परन्तु भेदों का प्रगट करनेवाला परमेश्वर स्वर्ग में है; और उसी ने नबूकदनेस्सर राजा को जताया है कि अन्त के दिनों में क्या-क्या होनेवाला है। तेरा स्वप्न और जो कुछ तूने पलंग पर पड़े हुए देखा, वह यह है:
29 You, O king, your thoughts on your bed have come up [concerning] that which [is] to be after this, and the Revealer of secrets has caused you to know that which [is] to be.
२९हे राजा, जब तुझको पलंग पर यह विचार आया कि भविष्य में क्या-क्या होनेवाला है, तब भेदों को खोलनेवाले ने तुझको बताया, कि क्या-क्या होनेवाला है।
30 As for me—not for [any] wisdom that is in me above any living has this secret been revealed to me; but for the intent that the interpretation to the king they make known, and the thoughts of your heart you know.
३०मुझ पर यह भेद इस कारण नहीं खोला गया कि मैं अन्य सब प्राणियों से अधिक बुद्धिमान हूँ, परन्तु केवल इसी कारण खोला गया है कि स्वप्न का अर्थ राजा को बताया जाए, और तू अपने मन के विचार समझ सके।
31 You, O king, were looking, and behold, a certain great image. This image [is] mighty, and its brightness excellent; it is standing before you, and its appearance [is] terrible.
३१“हे राजा, जब तू देख रहा था, तब एक बड़ी मूर्ति देख पड़ी, और वह मूर्ति जो तेरे सामने खड़ी थी, वह लम्बी-चौड़ी थी; उसकी चमक अनुपम थी, और उसका रूप भयंकर था।
32 This image! Its head [is] of fine gold, its breasts and its arms of silver, its belly and its thighs of bronze;
३२उस मूर्ति का सिर तो शुद्ध सोने का था, उसकी छाती और भुजाएँ चाँदी की, उसका पेट और जाँघें पीतल की,
33 its legs of iron, its feet, part of them of iron, and part of them of clay.
३३उसकी टाँगें लोहे की और उसके पाँव कुछ तो लोहे के और कुछ मिट्टी के थे।
34 You were looking until a stone has been cut out without hands, and it has struck the image on its feet, that [are] of iron and of clay, and it has broken them small;
३४फिर देखते-देखते, तूने क्या देखा, कि एक पत्थर ने, बिना किसी के खोदे, आप ही आप उखड़कर उस मूर्ति के पाँवों पर लगकर जो लोहे और मिट्टी के थे, उनको चूर चूरकर डाला।
35 then broken small together have been the iron, the clay, the bronze, the silver, and the gold, and they have been as chaff from the summer threshing-floor, and the wind has carried them away, and no place has been found for them: and the stone that struck the image has become a great mountain, and has filled all the land.
३५तब लोहा, मिट्टी, पीतल, चाँदी और सोना भी सब चूर-चूर हो गए, और धूपकाल में खलिहानों के भूसे के समान हवा से ऐसे उड़ गए कि उनका कहीं पता न रहा; और वह पत्थर जो मूर्ति पर लगा था, वह बड़ा पहाड़ बनकर सारी पृथ्वी में फैल गया।
36 This [is] the dream, and its interpretation we tell before the king.
३६“यह स्वप्न है; और अब हम उसका अर्थ राजा को समझा देते हैं।
37 You, O king, are a king of kings, for the God of the heavens a kingdom, strength, and might, and glory, has given to you;
३७हे राजा, तू तो महाराजाधिराज है, क्योंकि स्वर्ग के परमेश्वर ने तुझको राज्य, सामर्थ्य, शक्ति और महिमा दी है,
38 and wherever sons of men are dwelling, the beast of the field, and the bird of the heavens, He has given into your hand, and has caused you to rule over them all; you [are] this head of gold.
३८और जहाँ कहीं मनुष्य पाए जाते हैं, वहाँ उसने उन सभी को, और मैदान के जीव-जन्तु, और आकाश के पक्षी भी तेरे वश में कर दिए हैं; और तुझको उन सब का अधिकारी ठहराया है। यह सोने का सिर तू ही है।
39 And after you another kingdom arises lower than those, and another third kingdom of bronze, that rules over all the earth.
३९तेरे बाद एक राज्य और उदय होगा जो तुझ से छोटा होगा; फिर एक और तीसरा पीतल का सा राज्य होगा जिसमें सारी पृथ्वी आ जाएगी।
40 And the fourth kingdom is strong as iron, because that iron is breaking small, and making feeble, all [things], even as iron that is breaking all these, it beats small and breaks.
४०और चौथा राज्य लोहे के तुल्य मजबूत होगा; लोहे से तो सब वस्तुएँ चूर-चूर हो जाती और पिस जाती हैं; इसलिए जिस भाँति लोहे से वे सब कुचली जाती हैं, उसी भाँति, उस चौथे राज्य से सब कुछ चूर-चूर होकर पिस जाएगा।
41 As for that which you have seen: the feet and toes, part of them potter’s clay, and part of them iron, the kingdom is divided: and some of the standing of the iron [is] to be in it, because that you have seen the iron mixed with miry clay.
४१और तूने जो मूर्ति के पाँवों और उनकी उँगलियों को देखा, जो कुछ कुम्हार की मिट्टी की और कुछ लोहे की थीं, इससे वह चौथा राज्य बटा हुआ होगा; तो भी उसमें लोहे का सा कड़ापन रहेगा, जैसे कि तूने कुम्हार की मिट्टी के संग लोहा भी मिला हुआ देखा था।
42 As for the toes of the feet, part of them iron, and part of them clay: some part of the kingdom is strong, and some part of it is brittle.
४२और जैसे पाँवों की उँगलियाँ कुछ तो लोहे की और कुछ मिट्टी की थीं, इसका अर्थ यह है, कि वह राज्य कुछ तो दृढ़ और कुछ निर्बल होगा।
43 Because you have seen iron mixed with miry clay, they are mixing themselves with the seed of men: and they are not adhering with one another, even as iron is not mixed with clay.
४३और तूने जो लोहे को कुम्हार की मिट्टी के संग मिला हुआ देखा, इसका अर्थ यह है, कि उस राज्य के लोग एक दूसरे मनुष्यों से मिले-जुले तो रहेंगे, परन्तु जैसे लोहा मिट्टी के साथ मेल नहीं खाता, वैसे ही वे भी एक न बने रहेंगे।
44 And in the days of these kings the God of the heavens raises up a kingdom that is not destroyed for all time, and its kingdom is not left to another people: it beats small and ends all these kingdoms, and it stands for all time.
४४और उन राजाओं के दिनों में स्वर्ग का परमेश्वर, एक ऐसा राज्य उदय करेगा जो अनन्तकाल तक न टूटेगा, और न वह किसी दूसरी जाति के हाथ में किया जाएगा। वरन् वह उन सब राज्यों को चूर-चूर करेगा, और उनका अन्त कर डालेगा; और वह सदा स्थिर रहेगा;
45 Because that you have seen that out of the mountain a stone has been cut without hands, and it has beaten the iron small, the bronze, the clay, the silver, and the gold; the great God has made known to the king that which [is] to be after this; and the dream [is] true, and its interpretation steadfast.”
४५जैसा तूने देखा कि एक पत्थर किसी के हाथ के बिन खोदे पहाड़ में से उखड़ा, और उसने लोहे, पीतल, मिट्टी, चाँदी, और सोने को चूर-चूर किया, इसी रीति महान परमेश्वर ने राजा को जताया है कि इसके बाद क्या-क्या होनेवाला है। न स्वप्न में और न उसके अर्थ में कुछ सन्देह है।”
46 Then King Nebuchadnezzar has fallen on his face, and to Daniel he has done homage, and present, and sweet things, he has said to pour out to him.
४६इतना सुनकर नबूकदनेस्सर राजा ने मुँह के बल गिरकर दानिय्येल को दण्डवत् किया, और आज्ञा दी कि उसको भेंट चढ़ाओ, और उसके सामने सुगन्ध वस्तु जलाओ।
47 The king has answered Daniel and said, “Of a truth [it is] that your God is a God of gods, and a Lord of kings, and a revealer of secrets, since you have been able to reveal this secret.”
४७फिर राजा ने दानिय्येल से कहा, “सच तो यह है कि तुम लोगों का परमेश्वर, सब ईश्वरों का परमेश्वर, राजाओं का राजा और भेदों का खोलनेवाला है, इसलिए तू यह भेद प्रगट कर पाया।”
48 Then the king has made Daniel great, and many great gifts he has given to him, and has caused him to rule over all the province of Babylon, and chief of the prefects over all the wise men of Babylon.
४८तब राजा ने दानिय्येल का पद बड़ा किया, और उसको बहुत से बड़े-बड़े दान दिए; और यह आज्ञा दी कि वह बाबेल के सारे प्रान्त पर हाकिम और बाबेल के सब पंडितों पर मुख्य प्रधान बने।
49 And Daniel has sought from the king, and he has appointed over the work of the province of Babylon, Shadrach, Meshach, and Abed-Nego, and Daniel [is] in the gate of the king.
४९तब दानिय्येल के विनती करने से राजा ने शद्रक, मेशक, और अबेदनगो को बाबेल के प्रान्त के कार्य के ऊपर नियुक्त कर दिया; परन्तु दानिय्येल आप ही राजा के दरबार में रहा करता था।