< 2 Kings 22 >

1 Josiah [is] a son of eight years in his reigning, and he has reigned thirty-one years in Jerusalem, and the name of his mother [is] Jedidah daughter of Adaiah of Boskath,
शासन शुरू करते समय योशियाह की उम्र आठ साल थी. उसने येरूशलेम में एकतीस साल शासन किया. उसकी माता का नाम येदिदाह था, वह बोत्सकथ नगर के अदाइयाह की पुत्री थी.
2 and he does that which is right in the eyes of YHWH, and walks in all the way of his father David, and has not turned aside [to] the right or left.
उसने वह किया, जो याहवेह की दृष्टि में सही था. अपने पूर्वज दावीद के सारी मार्गों का आचरण करता रहा. वह इनसे न तो दाएं मुड़ा और न बाएं.
3 And it comes to pass, in the eighteenth year of King Josiah, the king has sent Shaphan son of Azaliah, son of Meshullam, the scribe, to the house of YHWH, saying,
राजा योशियाह के राज्य के अठारहवें वर्ष में राजा ने मेशुल्लाम के पोते, अज़लियाह के पुत्र शापान को, जो सचिव था, इस आदेश के साथ याहवेह के भवन को भेजा,
4 “Go up to Hilkiah the high priest, and he completes the silver that is brought into the house of YHWH, that the keepers of the threshold have gathered from the people,
“महापुरोहित हिलकियाह के पास जाइए कि वह याहवेह के भवन में लाए गए दान की गिनती करें, जो द्वारपालों द्वारा आराधकों से इकट्ठा किया गया है.
5 and they give it into the hand of those doing the work, the overseers, in the house of YHWH, and they give it to those doing the work, that [are] in the house of YHWH, to strengthen the breach of the house,
यह धन याहवेह के भवन के लिए चुने गए अधिकारियों को सौंप दिया जाए, और वे इसे उन्हें देते जाएं जिनकी जवाबदारी याहवेह के भवन की मरम्मत करना है,
6 to craftsmen, and to builders, and [to repairers of] the wall, and to buy wood and hewn stones to strengthen the house;
यानी बढ़ई, तराशनेवालों और राजमिस्त्रियों को, कि वे भवन की मरम्मत के लिए ज़रूरी लकड़ी और तराशी गई चट्टानें ले आएं.
7 only, the silver that is given into their hand is not reckoned with them, for they are dealing in faithfulness.”
इनसे लेनदेन का लेखा न लिया जाए, क्योंकि वे अपने लेनदेन में सच्चे हैं.”
8 And Hilkiah the high priest says to Shaphan the scribe, “I have found [the] Scroll of the Law in the house of YHWH”; and Hilkiah gives the scroll to Shaphan, and he reads it.
महापुरोहित हिलकियाह ने लिपिक शापान को सूचित किया, “याहवेह के भवन में मुझे व्यवस्था की पुस्तक मिली है!” हिलकियाह ने पुस्तक शापान को सौंप दी. शापान ने उसे पढ़ा.
9 And Shaphan the scribe comes to the king, and brings the king back word, and says, “Your servants have poured out the silver that has been found in the house, and give it into the hand of those doing the work, the inspectors, in the house of YHWH.”
लिपिक शापान ने राजा के पास जाकर उसे इसकी सूचना दी, “भवन में रखी सारी चांदी निकाल ली गई हैं और यह धन उन कर्मचारियों को दे दिया गया है, जिन्हें याहवेह के भवन के देखरेख की जवाबदारी सौंपी गई है.”
10 And Shaphan the scribe declares to the king, saying, “Hilkiah the priest has given a scroll to me”; and Shaphan reads it before the king.
इसके बाद लिपिक शापान ने राजा को यह सूचना भी दी, “पुरोहित हिलकियाह ने मुझे एक पुस्तक दी है.” शापान ने राजा के सामने उस पुस्तक में से पढ़कर सुनाया.
11 And it comes to pass, at the king’s hearing the words of the Scroll of the Law, that he tears his garments,
जब राजा ने व्यवस्था की पुस्तक से सुना, उसने अपने वस्त्र फाड़ दिए.
12 and the king commands Hilkiah the priest, and Ahikam son of Shaphan, and Achbor son of Michaiah, and Shaphan the scribe, and Asahiah servant of the king, saying,
राजा ने पुरोहित हिलकियाह, शापान के पुत्र अहीकाम, मीकायाह के पुत्र अखबोर, लिपिक शापान और राजा के सेवक असाइयाह को यह आदेश दिया,
13 “Go, seek YHWH for me, and for the people, and for all Judah, concerning the words of this scroll that is found, for great [is] the fury of YHWH that is kindled against us, because that our fathers have not listened to the words of this scroll, to do according to all that is written for us.”
“इस पुस्तक में हमारे लिए जो लिखा है, उसके विषय में, मेरी ओर से, यहूदिया और प्रजा की ओर से याहवेह की इच्छा मालूम करो, क्योंकि भयंकर है याहवेह का क्रोध, जो हमारे लिए भड़का है; क्योंकि हमारे पूर्वजों ने इस पुस्तक के आदेशों का पालन नहीं किया है. उन्होंने वह सब नहीं किया है, जो इस पुस्तक में हमारे लिए लिखा है.”
14 And Hilkiah the priest goes, and Ahikam, and Achbor, and Shaphan, and Asahiah, to Huldah the prophetess, wife of Shallum, son of Tikvah, son of Harhas, keeper of the garments, and she is dwelling in Jerusalem in the second [quarter], and they speak to her.
तब पुरोहित हिलकियाह, अहीकाम, अखबोर, शापान और असाइयाह हुलदाह नामक स्त्री से भेंटकरने गए, जो एक भविष्यद्वक्ता थी, वह वस्त्रों के रखवाले शल्लूम की पत्नी थी, जो तिकवाह का पुत्र, हरहास का पोता था. वह येरूशलेम के मिशनेह क्षेत्र में रहती थी. उन्होंने हुलदाह से सलाह-मशवरा किया.
15 And she says to them, “Thus said YHWH, God of Israel: Say to the man who has sent you to me,
हुलदा ने उन्हें उत्तर दिया, “याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर का संदेश यह है ‘जिस व्यक्ति ने तुम्हें मुझसे मिलने के लिए भेजा है, उससे यह कहना,
16 Thus said YHWH: Behold, I am bringing in calamity to this place and on its inhabitants, all the words of the scroll that the king of Judah has read,
याहवेह का संदेश यह है, “देख लेना, इस देश और इसके वासियों पर मैं बुराई भेजूंगा; वे सभी बातें, जो यहूदिया के राजा ने पढ़े हैं.
17 because that they have forsaken Me, and make incense to other gods, so as to provoke Me to anger with every work of their hands, and My wrath has been kindled against this place, and it is not quenched.
क्योंकि उन्होंने मुझे त्याग दिया है और वे पराए देवताओं के सामने धूप जलाते हैं. वे अपने हाथ से बनाई हुई सारी वस्तुओं के द्वारा मेरे क्रोध को भड़काएं. इसलिये इस स्थान के विरुद्ध मेरा क्रोध भड़का है, और मेरा क्रोध शांत न होगा.”’
18 And to the king of Judah, who is sending you to seek YHWH, thus you say to him, Thus said YHWH, God of Israel: The words that you have heard—
मगर यहूदिया के राजा, जिसने, तुम्हें मेरे पास भेजा है, कि मैं याहवेह से उनकी इच्छा पता करूं, उससे तुम यह कहना: ‘याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर का संदेश यह है: उन बातों के बारे में, जो तुमने सुनी है:
19 because your heart [is] tender, and you are humbled because of YHWH, in your hearing that which I have spoken against this place, and against its inhabitants, to be for a desolation, and for a reviling, and you tear your garments and weep before Me—I also have heard—a declaration of YHWH—
इसलिये कि तुम्हारा मन दीन है और तुमने खुद को याहवेह के सामने विनम्र बना लिया, जब तुमने मुझे इस जगह और इसके निवासियों के विरुद्ध कहते सुना, कि वे उजड़ जाएंगे, शाप बन जाएंगे, तुमने अपने वस्त्र फाड़े और तुमने मेरे सामने विलाप किया है, विश्वास करो, मैंने तुम्हारी प्रार्थना सुन ली है, यह याहवेह की घोषणा है.
20 therefore, behold, I am gathering you to your fathers, and you have been gathered to your grave in peace, and your eyes do not look on any of the calamity that I am bringing in on this place”; and they bring the king back word.
इसलिये सुनो, मैं तुम्हें तुम्हारे पूर्वजों में मिला दूंगा. शान्तिपूर्ण स्थिति में तुम्हारा अंतिम संस्कार होगा. इस स्थान पर जो बुराई मेरे द्वारा भेजी जाएगी, उसे तुम्हारी आंखें न देखेंगी.’” यह संदेश उन्होंने राजा को जा सुनाया.

< 2 Kings 22 >