< 2 Chronicles 19 >
1 And Jehoshaphat king of Judah turns back to his house in peace, to Jerusalem,
१यहूदा का राजा यहोशापात यरूशलेम को अपने भवन में कुशल से लौट गया।
2 and Jehu son of Hanani the seer goes out to his presence and says to King Jehoshaphat, “Do you love to give help to the wicked and to those hating YHWH? And for this, wrath [is] against you from before YHWH,
२तब हनानी नामक दर्शी का पुत्र येहू यहोशापात राजा से भेंट करने को निकला और उससे कहने लगा, “क्या दुष्टों की सहायता करनी और यहोवा के बैरियों से प्रेम रखना चाहिये? इस काम के कारण यहोवा की ओर से तुझ पर क्रोध भड़का है।
3 but good things have been found with you, for you have put away the Asheroth out of the land, and have prepared your heart to seek God.”
३तो भी तुझ में कुछ अच्छी बातें पाई जाती हैं। तूने तो देश में से अशेरों को नाश किया और अपने मन को परमेश्वर की खोज में लगाया है।”
4 And Jehoshaphat dwells in Jerusalem, and he turns back and goes out among the people from Beer-Sheba to the hill-country of Ephraim, and brings them back to YHWH, God of their fathers.
४यहोशापात यरूशलेम में रहता था, और उसने बेर्शेबा से लेकर एप्रैम के पहाड़ी देश तक अपनी प्रजा में फिर दौरा करके, उनको उनके पितरों के परमेश्वर यहोवा की ओर फेर दिया।
5 And he establishes judges in the land, in all the fortified cities of Judah, for every city,
५फिर उसने यहूदा के एक-एक गढ़वाले नगर में न्यायी ठहराया।
6 and says to the ones judging, “See what you are doing—for you do not judge for man, but for YHWH, who [is] with you in the matter of judgment;
६और उसने न्यायियों से कहा, “सोचो कि क्या करते हो, क्योंकि तुम जो न्याय करोगे, वह मनुष्य के लिये नहीं, यहोवा के लिये करोगे; और वह न्याय करते समय तुम्हारे साथ रहेगा।
7 and now, let fear of YHWH be on you, observe and do, for there is not perverseness with our God YHWH, and favoring by appearance, and taking of a bribe.”
७अब यहोवा का भय तुम में बना रहे; चौकसी से काम करना, क्योंकि हमारे परमेश्वर यहोवा में कुछ कुटिलता नहीं है, और न वह किसी का पक्ष करता और न घूस लेता है।”
8 And also in Jerusalem, Jehoshaphat has appointed of the Levites, and of the priests, and of the heads of the fathers of Israel, for the judgment of YHWH, and for strife; and they return to Jerusalem,
८यरूशलेम में भी यहोशापात ने लेवियों और याजकों और इस्राएल के पितरों के घरानों के कुछ मुख्य पुरुषों को यहोवा की ओर से न्याय करने और मुकद्दमों को जाँचने के लिये ठहराया। उनका न्याय-आसन यरूशलेम में था।
9 and he lays a charge on them, saying, “Thus do you do in the fear of YHWH, in faithfulness, and with a perfect heart,
९उसने उनको आज्ञा दी, “यहोवा का भय मानकर, सच्चाई और निष्कपट मन से ऐसा करना।
10 and any strife that comes to you of your brothers who are dwelling in their cities, between blood and blood, between law and command, statutes, and judgments, then you have warned them and they do not become guilty before YHWH, and wrath has not been on you and on your brothers; thus do you do, and you are not guilty.
१०तुम्हारे भाई जो अपने-अपने नगर में रहते हैं, उनमें से जिसका कोई मुकद्दमा तुम्हारे सामने आए, चाहे वह खून का हो, चाहे व्यवस्था, अथवा किसी आज्ञा या विधि या नियम के विषय हो, उनको चिता देना कि यहोवा के विषय दोषी न हो। ऐसा न हो कि तुम पर और तुम्हारे भाइयों पर उसका क्रोध भड़के। ऐसा करो तो तुम दोषी न ठहरोगे।
11 And behold, Amariah the head priest [is] over you for every matter of YHWH, and Zebadiah son of Ishmael, the leader of the house of Judah, [is] for every matter of the king, and the Levites [are] officers before you; be strong and do, and YHWH is with the good.”
११और देखो, यहोवा के विषय के सब मुकद्दमों में तो अमर्याह महायाजक, और राजा के विषय के सब मुकद्दमों में यहूदा के घराने का प्रधान इश्माएल का पुत्र जबद्याह तुम्हारे ऊपर अधिकारी है; और लेवीय तुम्हारे सामने सरदारों का काम करेंगे। इसलिए हियाव बाँधकर काम करो और भले मनुष्य के साथ यहोवा रहेगा।”