< 1 Timothy 4 >
1 And the Spirit expressly says that in latter times some will depart from the faith, giving heed to seducing spirits and teachings of demons,
पवित्र आत्मा का स्पष्ट कथन यह है कि अंत के समय में कुछ व्यक्ति विश्वास का त्याग कर देंगे और वे धूर्त आत्माओं तथा दुष्टात्माओं की शिक्षाओं पर मन लगाएंगे.
2 speaking lies in hypocrisy, being seared in their own conscience,
यह उन झूठे मनुष्यों के दिखावे की शिक्षाओं के कारण होगा, जिनके विवेक में मानो जलते हुए लोहे से मुहर लगा दी गई हों.
3 forbidding to marry—to abstain from meats that God created to be received with thanksgiving by those believing and acknowledging the truth,
ये वे हैं, जो विवाह करने से रोकते हैं, भोजन पदार्थों को भी त्यागने की मांग करते हैं, जिन्हें परमेश्वर ने विश्वासियों और सच्चाई को जानने वाले व्यक्तियों की भलाई के लिए इसलिये बनाया है कि धन्यवाद के साथ मिलजुल कर खाया जाएं.
4 because every creature of God [is] good, and nothing [is] to be rejected, with thanksgiving being received,
परमेश्वर की बनाई हुई हर एक वस्तु अच्छी है, कोई भी वस्तु अस्वीकार करने योग्य नहीं—यदि उसे धन्यवाद के साथ स्वीकार किया जाएं,
5 for it is sanctified through the word of God and intercession.
क्योंकि वह परमेश्वर के वचन तथा प्रार्थना द्वारा शुद्ध की जाती है.
6 Placing these things before the brothers, you will be a good servant of Jesus Christ, being nourished by the words of the faith, and of the good teaching, which you followed after,
विश्वासी भाई बहनों को इन बातों का अहसास कराने के द्वारा तुम स्वयं को मसीह येशु का आदर्श सेवक साबित करोगे, जिसका पोषण निरंतर विश्वास के वचन तथा अच्छे उपदेशों की बातों के द्वारा होता है, जिसका तुम पालन करते आए हो.
7 but reject the profane and old women’s fables, and exercise yourself to piety,
सांसारिक तथा काल्पनिक कथाओं से दूर रहो, इसके विपरीत तुम अपने आपको परमेश्वर की भक्ति के लिए अनुशासित कर लो.
8 for bodily exercise is to little profit, but piety is profitable to all things, having promise of the life that now is, and of that which is coming;
शारीरिक व्यायाम सिर्फ थोड़े लाभ का है जबकि परमेश्वर भक्ति का लाभ सब बातों में है क्योंकि वह जीवन का आश्वासन देती है—इस समय और आनेवाले जीवन, दोनों का.
9 the word [is] steadfast, and worthy of all acceptance;
यह बात सच है, जो हर प्रकार से मानने योग्य है:
10 for this we both labor and are reproached, because we hope on the living God, who is Savior of all men—especially of those believing.
हम उसी के लिए परिश्रम तथा संघर्ष करते हैं क्योंकि हमने अपनी आशा जीवित परमेश्वर पर लगाई है, जो सब मनुष्यों के उद्धारकर्ता हैं, विशेषकर उनके, जो विश्वास करते हैं.
11 Charge these things, and teach;
तुम्हारे आदेशों और शिक्षाओं के विषय ये ही हों.
12 let no one despise your youth, but become a pattern of those believing in word, in behavior, in love, in spirit, in faith, in purity;
तुलना में कम आयु के कारण कोई तुम्हें तुच्छ न समझे परंतु बातचीत, स्वभाव, प्रेम, विश्वास तथा पवित्रता में मसीह के विश्वासियों का आदर्श बनो.
13 until I come, give heed to the reading, to the exhortation, to the teaching;
मेरे वहां पहुंचने तक पवित्र शास्त्र के सार्वजनिक रीति से पढ़ने, उपदेश तथा शिक्षा पाने में लीन रहो.
14 do not be careless of the gift in you, that was given you through prophecy, with laying on of the hands of the eldership;
अंदर बसे हुए पवित्र आत्मा द्वारा दी गई क्षमता की उपेक्षा न करो, जो तुम्हें भविष्यवाणी के द्वारा उस समय प्रदान की गई, जब कलीसिया के पुरनियों ने तुम पर हाथ रखे.
15 be careful of these things; be in these things, that your advancement may be evident in all things;
इन निर्देशों पर विशेष ध्यान दो, इनमें लीन हो जाओ कि तुम्हारी उन्नति सब पर प्रकट हो जाए.
16 take heed to yourself and to the teaching; remain in them, for doing this thing, you will save both yourself and those hearing you.
अपने जीवन और शिक्षा का पूरी शक्ति से ध्यान रखो. इसमें लगातार चौकस रहो क्योंकि तुम ऐसा करने के द्वारा दोनों का उद्धार निश्चित करोगे—स्वयं अपना तथा अपने सुननेवालों का.