< 1 Thessalonians 4 >

1 As to the rest, then, brothers, we request, and call on you in the Lord Jesus, as you received from us how it is necessary for you to walk and to please God, that you may abound the more,
ग़रज़ ऐ भाइयों!, हम तुम से दरख़्वास्त करते हैं और ख़ुदावन्द ईसा में तुम्हें नसीहत करते हैं कि जिस तरह तुम ने हम से मुनासिब चाल चलने और ख़ुदा को ख़ुश करने की ता'लीम पाई और जिस तरह तुम चलते भी हो उसी तरह और तरक़्क़ी करते जाओ।
2 for you have known what commands we gave you through the Lord Jesus;
क्यूँकि तुम जानते हो कि हम ने तुम को ख़ुदावन्द ईसा की तरफ़ से क्या क्या हुक्म पहुँचाए।
3 for this is the will of God—your sanctification: that you abstain from the whoredom,
चुनाँचे ख़ुदा की मर्ज़ी ये है कि तुम पाक बनो, या'नी हरामकारी से बचे रहो।
4 that each of you know to possess his own vessel in sanctification and honor,
और हर एक तुम में से पाकीज़गी और इज़्ज़त के साथ अपने ज़र्फ़ को हासिल करना जाने।
5 not in the affection of desire, as also the nations that were not knowing God,
न बुरी ख़्वाहिश के जोश से उन क़ौमों की तरह जो ख़ुदा को नहीं जानतीं
6 that no one goes beyond and defrauds his brother in the matter, because the LORD [is] an avenger of all these, as we also spoke to you before and testified,
और कोई शख़्स अपने भाई के साथ इस काम में ज़्यादती और दग़ा न करे क्यूँकि ख़ुदावन्द इन सब कामों का बदला लेने वाला है चुनाँचे हम ने पहले भी तुम को करके जता दिया था।
7 for God did not call us to uncleanness, but in sanctification.
इसलिए कि ख़ुदा ने हम को नापाकी के लिए नहीं बल्कि पाकीज़गी के लिए बुलाया।
8 He, therefore, who is despising, does not despise man, but God, who also gave His Holy Spirit to us.
पस, जो नहीं मानता वो आदमी को नहीं बल्कि ख़ुदा को नहीं मानता जो तुम को अपना पाक रूह देता है।
9 And concerning the brotherly love, you have no need of [my] writing to you, for you yourselves are God-taught to love one another,
मगर भाई — चारे की मुहब्बत के ज़रिए तुम्हें कुछ लिखने की हाजत नहीं क्यूँकि तुम ने आपस में मुहब्बत करने की ख़ुदा से ता'लीम पा चुके हो।
10 for you do it also to all the brothers who [are] in all Macedonia; and we call on you, brothers, to abound still more,
और तमाम मकिदुनिया के सब भाइयों के साथ ऐसा ही करते हो लेकिन ऐ भाइयों! हम तुम्हें नसीहत करते हैं कि तरक़्क़ी करते जाओ।
11 and to study to be quiet, and to do your own business, and to work with your own hands, as we commanded you,
और जिस तरह हम ने तुम को हुक्म दिया चुप चाप रहने और अपना कारोबार करने और अपने हाथों से मेहनत करने की हिम्मत करो।
12 that you may walk properly to those outside, and may have lack of nothing.
ताकि बाहर वालों के साथ संजीदगी से बरताव करो और किसी चीज़ के मोहताज न हो।
13 And I do not wish you to be ignorant, brothers, concerning those who have fallen asleep, that you may not sorrow, as also the rest who have no hope,
ऐ भाइयों! हम नहीं चाहते कि जो सोते है उनके बारे में तुम नावाक़िफ़ रहो ताकि औरों की तरह जो ना उम्मीद है ग़म ना करो।
14 for if we believe that Jesus died and rose again, so also God will bring with Him those asleep through Jesus,
क्यूँकि जब हमें ये यक़ीन है कि ईसा मर गया और जी उठा तो उसी तरह ख़ुदा उन को भी जो सो गए हैं ईसा के वसीले से उसी के साथ ले आएगा।
15 for we say this to you in the word of the LORD, that we who are living—who remain over to the coming of the LORD—may not precede those asleep,
चुनाँचे हम तुम से दावन्द के कलाम के मुताबिक़ कहते हैं कि हम जो ज़िन्दा हैं और दावन्द के आने तक बाक़ी रहेंगे सोए हुओं से हरगिज़ आगे न बढ़ेंगे।
16 because the LORD Himself, with a shout, with the voice of a chief-messenger, and with the trumpet of God, will come down from Heaven, and the dead in Christ will rise first;
क्यूँकि ख़ुदावन्द ख़ुद आसमान से लल्कार और ख़ास फ़रिश्ते की आवाज़ और ख़ुदा के नरसिंगे के साथ उतर आएगा और पहले तो वो जो मसीह में मरे जी उठेंगे।
17 then we who are living, who are remaining over, will be snatched up together with them in [the] clouds to meet the LORD in [the] air, and so we will always be with the LORD;
फिर हम जो ज़िन्दा बाक़ी होंगे उनके साथ बादलों पर उठा लिए जाएँगे; ताकि हवा में ख़ुदावन्द का इस्तक़बाल करें और इसी तरह हमेशा दावन्द के साथ रहेंगे।
18 so, then, comfort one another with these words.
पस, तुम इन बातों से एक दूसरे को तसल्ली दिया करो।

< 1 Thessalonians 4 >