< Job 39 >
1 Knowest thou the time when the chamois of the rock bring forth? or markest thou when the hinds do calve?
क्या तू जनता है कि पहाड़ पर की जंगली बकरियाँ कब बच्चे देती हैं? या जब हिरनीयाँ बियाती हैं, तो क्या तू देख सकता है?
2 Numberest thou the months of gestation which they complete and knowest thou the time when they bring forth?
क्या तू उन महीनों को जिन्हें वह पूरा करती हैं, गिन सकता है? या तुझे वह वक़्त मा'लूम है जब वह बच्चे देती हैं?
3 They bend themselves: they drop their young ones; throw off their pains.
वह झुक जाती हैं; वह अपने बच्चे देती हैं, और अपने दर्द से रिहाई पाती हैं।
4 Their little ones become strong; they grow up in the open field; they go forth, and return not unto them.
उनके बच्चे मोटे ताज़े होते हैं; वह खुले मैदान में बढ़ते हैं। वह निकल जाते हैं और फिर नहीं लौटते।
5 Who sent out the wild ass free? or who loosened the bonds of the forest-ass?
गधे को किसने आज़ाद किया? जंगली गधे के बंद किसने खोले?
6 To whom I assigned the wilderness as his house, and the salty land as his dwellings.
वीरान को मैंने उसका मकान बनाया, और ज़मीन — ए — शोर को उसका घर।
7 He laugheth at the noise of a town, and the shoutings of the driver he heareth not.
वह शहर के शोर — ओ — गु़ल को हेच समझता है, और हाँकने वाले की डॉट को नहीं सुनता।
8 What he espieth on the mountains is his pasture, and after every green thing doth he search.
पहाड़ों का सिलसिला उसकी चरागाह है, और वह हरियाली की तलाश में रहता है।
9 Will the forest-ox be willing to serve thee, or will he stay over night at thy crib?
“क्या जंगली साँड तेरी ख़िदमत पर राज़ी होगा? क्या वह तेरी चरनी के पास रहेगा?
10 Canst thou bind the forest-ox with a rope [to labor] in the furrow? or will he harrow valleys, following after thee?
क्या तू जंगली साँड को रस्से से बाँधकर रेघारी में चला सकता है? या वह तेरे पीछे — पीछे वादियों में हेंगा फेरेगा?
11 Wilt thou trust him, because his strength is great? and wilt thou leave to him thy labor?
क्या तू उसकी बड़ी ताक़त की वजह से उस पर भरोसा करेगा? या क्या तू अपना काम उस पर छोड़ देगा?
12 Wilt thou confide in him, that he should bring home thy seed, and gather it into thy threshing-floor?—
क्या तू उस पर भरोसा करेगा कि वह तेरा ग़ल्ला घर ले आए, और तेरे खलीहान का अनाज इकट्ठा करे?
13 The wing of the ostrich moveth joyfully: hath she the pinions and plumage of the careful stork?
“शुतरमुर्ग़ के बाज़ू आसूदा हैं, लेकिन क्या उसके पर — ओ — बाल से शफ़क़त ज़ाहिर होती है?
14 [No, ] for she intrusteth her eggs to the earth, and letteth them be hatched out on the dust:
क्यूँकि वह तो अपने अंडे ज़मीन पर छोड़ देती है, और रेत से उनको गर्मी पहुँचाती है;
15 And she forgetteth that a foot may crush them, or that the beast of the field may stamp them down.
और भूल जाती है कि वह पाँव से कुचले जाएँगे, या कोई जंगली जानवर उनको रौंद डालेगा।
16 He hath made her callous against her young, as though they were not hers: her labor is in vain, [but she feeleth] no dread;
वह अपने बच्चों से ऐसी सख़्तदिली करती है कि जैसे वह उसके नहीं। चाहे उसकी मेहनत रायगाँ जाए उसे कुछ ख़ौफ़ नहीं।
17 Because God hath denied her wisdom, and he hath not imparted to her understanding.
क्यूँकि ख़ुदा ने उसे 'अक़्ल से महरूम रखा, और उसे समझ नहीं दी।
18 At the time she raiseth herself up on high, she laugheth at the horse and his rider.
जब वह तनकर सीधी खड़ी हो जाती है, तो घोड़े और उसके सवार दोनों को नाचीज़ समझती हैं।
19 Dost thou give the horse strength? dost thou clothe his neck with the rolling mane?
“क्या घोड़े को उसका ताक़त तू ने दी है? क्या उसकी गर्दन की लहराती अयाल से तूने मुलब्बस किया?
20 Canst thou make him jump like a locust? his majestic snort is terrible.
क्या उसे टिड्डी की तरह तूने कुदाया है? उसके फ़राने की शान मुहीब है।
21 Men spy about in the valley, and he rejoiceth in his strength: he goeth forth to meet the armed array.
वह वादी में टाप मारता है और अपने ज़ोर में ख़ुश है। वह हथियारबंद आदमियों का सामना करने को निकलता है।
22 He laugheth at fear, and is not dismayed; and turneth not back from before the sword.
वह ख़ौफ़ को नाचीज़ जानता है और घबराता नहीं, और वह तलवार से मुँह नहीं मोड़ता।
23 Over him rattle the quiver, the glittering spear and the lance.
तर्कश उस पर खड़खड़ाता है, चमकता हुआ भाला और साँग भी;
24 With impatient noise and rage he holloweth [with his hoof] the ground, and keepeth not quiet when the cornet's voice [is heard].
वह तुन्दी और क़हर में ज़मीन पैमाई करता है, और उसे यक़ीन नहीं होता कि यह तुर ही की आवाज़ है।
25 Midst the sound of the cornet he uttereth his joyful neigh; and from afar he perceiveth the battle, the loud call of the captains, and the battle-cry.—
जब जब तुरही बजती है, वह हिन हिन करता है, और लड़ाई को दूर से सूँघ लेता है; सरदारों की गरज़ और ललकार को भी।
26 Is it through thy understanding that the hawk flieth along, and spreadeth out his wings toward the south?
“क्या बा'ज़ तेरी हिकमत से उड़ता है, और दख्खिन की तरफ़ अपने बाज़ू फैलाता है?
27 Or is it by your order that the eagle doth mount upward, and buildeth high up his nest?
क्या 'उक़ाब तेरे हुक्म से ऊपर चढ़ता है, और बुलन्दी पर अपना घोंसला बनाता है?
28 On a rock he dwelleth, and spendeth his nights, on a rocky crag and mountain fastness.
वह चट्टान पर रहता और वहीं बसेरा करता है; या'नी चट्टान की चोटी पर और पनाह की जगह में।
29 From there he espieth his food, from afar can his eyes behold.
वहीं से वह शिकार ताड़ लेता है, उसकी आँखें उसे दूर से देख लेती हैं।
30 His young ones, also, sip up blood: and where the slain be, there is he.
उसके बच्चे भी खू़न चूसते हैं, और जहाँ मक़्तूल हैं वहाँ वह भी है।”