< Isaiah 30 >
1 Woe to the rebellious children, saith the Lord, that take counsel, but not from me; and that set themselves a ruler, but not by my spirit, in order that they may add sin to sin:
याहवेह ने कहा, “हाय उन विद्रोही लड़कों पर! वे योजनाएं बनाते हैं किंतु मेरी सहायता से नहीं, वाचा तो बांधते हैं, परंतु मेरी आत्मा से नहीं. इस प्रकार वे पाप करते हैं;
2 That travel to go down into Egypt, and have not asked my will; to strengthen themselves through the strength of Pharaoh, and to seek shelter in the shadow of Egypt!
वे मुझसे बिना पूछे मिस्र जाते हैं; कि फ़रोह के साथ में रहे और मिस्र की छाया की शरण लें.
3 Therefore shall the strength of Pharaoh become your shame, and the shelter in the shadow of Egypt your disgrace.
इस कारण फ़रोह की सुरक्षा ही तुम्हारी लज्जा का कारण, और मिस्र की छाया की शरण तुम्हारा अपमान होगी.
4 For his princes were at Zo'an, and his ambassadors had reached Chanes.
क्योंकि उनके अधिकारी ज़ोअन में हैं और उनके संदेश देनेवाले हानेस तक आ पहुंचे हैं,
5 They all are ashamed because of a people that cannot profit them, neither be a help nor give profit; but [bringeth] shame, and also a reproach.
हर व्यक्ति को उन लोगों के कारण लज्जित किया जाएगा जिनसे उन्हें कोई लाभ नहीं है, ये वे हैं जो किसी लाभ या सहायता के लिए नहीं, बल्कि लज्जा और अपमान करने के लिए ही है.”
6 The doom of the beasts of the south: Through the land of trouble and anguish, whence come the lioness and the lion, the viper and flying dragons, they will carry upon the shoulders of young asses their riches, and upon the humps of camels their treasures, to a people that cannot profit.
नेगेव के पशु के बारे में कहा कि; विपत्ति और वेदना के देश से होकर, जहां से सिंह और सिंहनी, सांप और वे सांप जो उड़ते हैं, वे अपनी धन-संपत्ति अपने गधों पर और अपना खजाना ऊंटों पर, रखकर उन लोगों के पास ले जाते हैं, जिनसे उनको कोई फायदा नहीं,
7 And the Egyptians will help in vain, and to no purpose; therefore have I called this, Boasters they are in sitting still.
मिस्र की सहायता व्यर्थ और झूठी है. इसलिये मैंने उसका नाम राहाब जो व्यर्थ रखा है.
8 Now go, write it before them on a table, and note it in a book, that it may be for the latest time to come, for ever, and to eternity:
अब जाओ, इस बात को उनके सामने एक पत्थर पर खोदकर, और एक पुस्तक में लिखकर दो, जिससे यह संदेश हमेशा के लिए एक साक्ष्य रहे.
9 For this is a rebellious people, lying children, children that will not hear the law of the Lord:
क्योंकि यह एक विद्रोही प्रजा, धोखेबाज संतान है, वह संतान जो याहवेह की आज्ञा को नहीं मानती है.
10 Who have said to the seers, Ye shall not see; and to the prophets, Reveal not unto us true things, speak unto us smooth things, reveal deceits;
कौन दर्शकों को कहता है, “तुम दर्शन मत देखो!” भविष्यवक्ताओं से, “तुम हमें इस विषय में भविष्यवाणी मत बताओ कि सही क्या है और हमसे चिकनी-चुपड़ी बातें करो, झूठी भविष्यवाणी करो.
11 Depart you out of the way, turn aside out of the path, remove from before us the Holy One of Israel.
तुम रास्ता छोड़ दो, मार्ग से हट जाओ, इस्राएल के पवित्र परमेश्वर के विषय में और कुछ न सुनाओ!”
12 Therefore thus hath said the Holy One of Israel, Because ye despise this word, and trust in oppression and perverseness, and lean thereon for aid:
इस कारण इस्राएल के पवित्र परमेश्वर ने कहा: “क्योंकि तुमने इस बात को नहीं माना और तुमने विश्वास झूठ और कपट में किया है और तुम उन्हीं पर आश्रित रहे हो,
13 Therefore shall this iniquity be to you as a threatening breach, swelling out in a high-towering wall, the fall of which will come unawares, suddenly.
इसलिये यह अपराध तुम्हारे ऊपर ऐसे आया, जैसे एक दीवार टूटकर अचानक गिर जाती है.
14 And he will break it, as one breaketh a potter's vessel, dashing it in pieces without sparing it; so that there cannot be found among its fragments a sherd to rake fire from a hearth and to draw water from a pit.
इसका टूटकर गिरना वैसा जैसे कुम्हार के एक बर्तन को, चूर-चूर कर दिया जाता है जिसके कारण इसके टुकड़ों में कुछ भी न बचेगा इससे न चूल्हे में से राख निकाली जा सके या जल कुंड में से पानी.”
15 For thus hath said the Lord Eternal, the Holy One of Israel, In repose and rest shall ye be helped; in quietness and in confidence shall be your strength; and ye would not.
क्योंकि प्रभु याहवेह इस्राएल के पवित्र परमेश्वर याहवेह यों कहते हैं: “अगर तुम चुप रहते और लौट आते तो उद्धार पाते, तथा शांत रहकर विश्वास करते तो सफल होते, परंतु तुमने ऐसा नहीं किया.
16 And ye said, “No; for upon horses will we flee;” therefore shall ye flee: and, “Upon swift beasts will we ride;” therefore shall your pursuers be swift.
लेकिन तुमने कहा कि, ‘हम तो घोड़ों पर चढ़कर भाग जाएंगे.’ इसलिये तुम भाग जाओगे! और घोड़े को तेज भगाकर चले जायेंगे, इसलिये जो तुम्हारा पीछा करेंगे, वे भी तेज होंगे!
17 One thousand [shall flee] at the threatening of one; at the threatening of five shall ye [all] flee: till ye be left as a pole upon a mountain-top, and as an ensign on a hill.
एक व्यक्ति के भय से एक हजार भागेंगे; पांच के डराने से तुम ऐसा भागोगे कि भागते भागते पहाड़ की आखिरी ऊंचाई पर जहां निशानी के लिये झंडा गाड़ा जाता है वहां तक पहुंच जाओ.”
18 And therefore will the Lord wait, to be gracious unto you, and therefore will he exalt himself, to have mercy upon you; for a God of justice is the Lord: happy are all those that wait for him.
याहवेह तुम पर कृपा करने के लिए उठ गए हैं; क्योंकि याहवेह न्यायी परमेश्वर हैं. धन्य हैं वे सब, जो उस पर आशा लगाये रहते हैं!
19 For O people of Zion that shall dwell at Jerusalem! thou shalt indeed not weep: he will be surely gracious unto thee at the voice of thy cry; so soon as he heareth it, he answereth thee.
हे ज़ियोन के लोगो, येरूशलेम के वासियो, तुम अब और न रोओगे. याहवेह तुम्हारे रोने को सुनकर तुम पर दयालु होंगे और तुम्हें उत्तर देंगे.
20 And the Lord will give you bread [in] adversity, and water [in] oppression; and thy teachers shall not have to hide themselves in a corner any more, but thy eyes shall see thy teachers:
यद्यपि प्रभु ने तुम्हें विपत्ति की रोटी और दुःख का जल दिया है, वह, तुमसे अब दूर नहीं जायेंगे. तुम्हें उपदेश देंगे और तुम अपनी आंखों से उपदेशक को देखोगे.
21 And thy ears shall hear the word behind thee, saying, “This is the way, walk ye in it,” when ye turn to the right hand, and when ye turn to the left.
जब कभी भी तुम दायें अथवा बायें मुड़ो तुम्हें पीछे से एक आवाज सुनाई देगी, “यही है वह मार्ग; इसी पर चला करो.”
22 And ye will regard as unclean the covering of thy graven idols of silver, and the ornament of thy molten images of gold: thou wilt cast them away as a filthy thing; “Get thee hence,” wilt thou say unto them.
तुम्हारे सोने और चांदी जिसमें मूर्तियां खुदी हुई है; उसे अशुद्ध करोगे और उसे पुराने कपड़ों के समान उठाकर फेंक दोगे, “दूर हो जाओ!”
23 Then will he give the rain for thy seed, that thou mayest sow in the ground; and bread—the produce of the ground—this shall be fat and nutritious: thy cattle shall feed on that day in extensive pastures.
तब याहवेह उस बीज के लिए तुम्हें बारिश देंगे जो तुमने भूमि में लगाई है, और भोजन अर्थात् वह उपज जो भूमि से मिलती है उत्तम और भरपूर होगी.
24 The oxen likewise and the young asses that till the ground shall eat salted provender, which hath been winnowed with the shovel and with the fan.
बैल और गधे जो खेतों के लिए काम में लाए जाते हैं, वे सूप और डलिया से फटकी हुई भूसी खाकर तृप्त होंगे.
25 And there shall be upon every high mountain, and upon every prominent hill, rivulets, streams of waters on the day of the great slaughter, when towers fall.
उस महा संहार के समय जब दुर्ग गिरेंगे, तब पहाड़ों और हर ऊंची पहाड़ियों से सोते बहेंगे.
26 And the light of the moon shall be as the light of the sun, and the light of the sun shall be sevenfold, as the light of the seven days, on the day that the Lord bindeth up the broken [limbs] of his people, and healeth the bruise of their wound.
उस समय जब याहवेह अपने लोगों के घाव पर पट्टी बांधेंगे और उन खरोचों को ठीक करेंगे, जो उन्होंने उन्हें पहुंचाई थी, उस दिन चंद्रमा का तेज सूर्य के तेज के समान होगा और सूर्य का प्रकाश सात गुणा अर्थात् वह सात दिन के प्रकाश के समान होगा.
27 Behold, the name of the Lord cometh from afar, burning is his anger, and heavy the smoke; his lips are full of indignation, and his tongue is like a devouring fire;
देखो, याहवेह अपनी महिमा में दूर से आ रहे हैं, उनका क्रोध भड़क उठा है और धुंए का बादल उठ रहा है; उसके होंठ क्रोध से भरे हैं, और उनकी जीभ भस्म करनेवाली आग के समान है.
28 And his breath, like an overflowing stream, shall reach to the midst of the neck, to toss the nations with the van of falsehood: and [to place] a deceiving bridle on the jaws of the people.
उनकी श्वास उमड़ती हुई धारा के समान है, जो गले तक पहुंचती है. वह सब जनताओं को छलनी में आगे-पीछे हिला देंगे; और लोगों के जबड़ों में ऐसी लगाम कस देंगे जो नाश की ओर ले जाती है.
29 [Then] shall ye have a song, as in the night when a festival is ushered in, and joy of heart, as when one goeth with the flute to come unto the mountain of the Lord, to the Rock of Israel.
तुम्हारे गीत पवित्र पर्व पर रात में गाए गीतों के समान होंगे; और तुम्हारा दिल ऐसे आनंदित होगा जैसे कोई याहवेह के पर्वत इस्राएल की चट्टान पर, बांसुरी की आवाज के साथ आगे बढ़ता जाता है.
30 And the Lord will cause his majestic voice to be heard, and will show the stretching down of his arm, in the indignation of [his] anger, and in the flame of a devouring fire, in flood, and tempest, and stones of hail.
तब याहवेह अपनी प्रतापमय वाणी सुनायेंगे और स्वर्ग से उनका बल उनके प्रचंड क्रोध, भस्म करनेवाली आग, भारी वर्षा और ओलों के द्वारा दिखाई देगा.
31 For because of the voice of the Lord shall be terrified Asshur, that smote [you] with the rod.
क्योंकि याहवेह की शक्ति पर अश्शूर डर जाएगा; जब याहवेह उनको दंड देंगे.
32 And at every passage of the appointed staff which the Lord will let fall on him, there shall be [music] on tambourine and harp; and in the tumult of battles will he fight with them.
उस समय खंजरी और नेबेल की आवाज सुनाई देगी, याहवेह हथियार से उनसे युद्ध करेंगे.
33 For already of old is Topheth made ready; also this is prepared for the king—deep and wide; its pile hath fire and wood in plenty, the breath of the Lord, like a stream of sulfur, will kindle it into a flame.
क्योंकि पहले से ही एक अग्निकुण्ड तैयार किया गया है; यह राजा के लिए तैयार किया गया है. अनेक लकड़ियों से बनाई गयी एक चिता; गंधक की धारा के समान, याहवेह अपनी श्वास इसमें डाल देते हैं.