< Ezekiel 21 >

1 And the word of the Lord came unto me, saying,
यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुँचा
2 Son of man, direct thy face toward Jerusalem, and preach toward the holy places, and prophesy against the land of Israel,
“हे मनुष्य के सन्तान, अपना मुख यरूशलेम की ओर कर और पवित्रस्थानों की ओर वचन सुना; इस्राएल देश के विषय में भविष्यद्वाणी कर और उससे कह,
3 And say to the land of Israel, Thus hath said the Lord, Behold, I will be against thee, and will draw forth my sword out of its sheath; and I will cut off from thee the righteous and the wicked.
प्रभु यहोवा यह कहता है, देख, मैं तेरे विरुद्ध हूँ, और अपनी तलवार म्यान में से खींचकर तुझ में से धर्मी और अधर्मी दोनों को नाश करूँगा।
4 But because I shall have cut off from thee the righteous and the wicked: therefore shall my sword go forth out of its sheath against all flesh from the south to the north;
इसलिए कि मैं तुझ में से धर्मी और अधर्मी सब को नाश करनेवाला हूँ, इस कारण मेरी तलवार म्यान से निकलकर दक्षिण से उत्तर तक सब प्राणियों के विरुद्ध चलेगी;
5 That all flesh may know that I the Lord have drawn forth my sword out of its sheath; it shall not return any more.
तब सब प्राणी जान लेंगे कि यहोवा ने म्यान में से अपनी तलवार खींची है; और वह उसमें फिर रखी न जाएगी।
6 But thou, son of man, do thou sigh: as though with broken loins, and with bitterness [of grief] shalt thou sigh before their eyes.
इसलिए हे मनुष्य के सन्तान, तू आह मार, भारी खेद कर, और टूटी कमर लेकर लोगों के सामने आह मार।
7 And it shall be, when they say unto thee, Wherefore sighest thou? that thou shalt say, For the report, because it cometh, when every heart shall melt, and all hands shall be made feeble, and every spirit shall become faint, and all knees shall be changed into water: behold, it cometh, and shall be brought to pass, saith the Lord Eternal.
जब वे तुझ से पूछें, ‘तू क्यों आह मारता है,’ तब कहना, ‘समाचार के कारण। क्योंकि ऐसी बात आनेवाली है कि सब के मन टूट जाएँगे और सब के हाथ ढीले पड़ेंगे, सब की आत्मा बेबस और सब के घुटने निर्बल हो जाएँगे। देखो, ऐसी ही बात आनेवाली है, और वह अवश्य पूरी होगी,’” परमेश्वर यहोवा की यही वाणी है।
8 And the word of the Lord came unto me, saying,
फिर यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुँचा,
9 Son of man, prophesy, and say, Thus hath said the Lord, Say, The sword, the sword is sharpened, and also polished;
“हे मनुष्य के सन्तान, भविष्यद्वाणी करके कह, परमेश्वर यहोवा यह कहता है, देख, सान चढ़ाई हुई तलवार, और झलकाई हुई तलवार!
10 In order to make a thorough slaughter is it sharpened; in order that it may glitter is it polished: how can we now rejoice, [when] the rod which reacheth my son excelleth in hardness every tree?
१०वह इसलिए सान चढ़ाई गई कि उससे घात किया जाए, और इसलिए झलकाई गई कि बिजली के समान चमके! तो क्या हम हर्षित हो? वह तो यहोवा के पुत्र का राजदण्ड है और सब पेड़ों को तुच्छ जाननेवाला है।
11 And he hath given it to be polished, to make it fit to grasp it in the hand: it is the sword which is sharpened, and it is polished, to place it into the hand of the slayer.
११वह झलकाने को इसलिए दी गई कि हाथ में ली जाए; वह इसलिए सान चढ़ाई और झलकाई गई कि घात करनेवालों के हाथ में दी जाए।
12 Cry aloud and wail, O son of man; for it cometh against my people, it cometh against all the princes of Israel; brought together for the sword are they with my people: therefore strike [thy hand] upon thy thigh.
१२हे मनुष्य के सन्तान चिल्ला, और हाय, हाय, कर! क्योंकि वह मेरी प्रजा पर चलने वाली है, वह इस्राएल के सारे प्रधानों पर चलने वाली है; मेरी प्रजा के संग वे भी तलवार के वश में आ गए। इस कारण तू अपनी छाती पीट।
13 For a purification taketh place: and what if the irresistible rod will also come? [my son] would not be able to exist, saith the Lord Eternal.
१३क्योंकि सचमुच उसकी जाँच हुई है, और यदि उसे तुच्छ जाननेवाला राजदण्ड भी न रहे, तो क्या? परमेश्वर यहोवा की यही वाणी है।
14 But thou, son of man, prophesy, and strike thy hands together, and let “The sword” be repeated the third time, the sword of the slain: it is the sword of the great that are slain, which lieth in wait for them everywhere.
१४“इसलिए हे मनुष्य के सन्तान, भविष्यद्वाणी कर, और हाथ पर हाथ दे मार, और तीन बार तलवार का बल दुगना किया जाए; वह तो घात करने की तलवार वरन् बड़े से बड़े के घात करने की तलवार है, जिससे कोठरियों में भी कोई नहीं बच सकता।
15 In order to make timid the heart, and to multiply the stumbling-blocks, do I bring the howling of the sword against all their gates: ah! it is made bright, it is made thin-edged for the slaughter.
१५मैंने घात करनेवाली तलवार को उनके सब फाटकों के विरुद्ध इसलिए चलाया है कि लोगों के मन टूट जाएँ, और वे बहुत ठोकर खाएँ। हाय, हाय! वह तो बिजली के समान बनाई गई, और घात करने को सान चढ़ाई गई है।
16 Gather up thy strength, go to the right hand, direct thyself, go to the left, whithersoever thy edge is turned.
१६सिकुड़कर दाहिनी ओर जा, फिर तैयार होकर बाईं ओर मुड़, जिधर भी तेरा मुख हो।
17 And I also, —I will strike my hands together, and I will cause my fury to be assuaged: I the Lord have spoken it.
१७मैं भी ताली बजाऊँगा और अपनी जलजलाहट को ठंडा करूँगा, मुझ यहोवा ने ऐसा कहा है।”
18 And the word of the Lord came unto me, saying,
१८फिर यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुँचा:
19 But thou, O son of man, appoint thee two ways, that the sword of the king of Babylon may come; out of one land shall both of them come forth: and select a place; at the head of the way to a city do thou select it.
१९“हे मनुष्य के सन्तान, दो मार्ग ठहरा ले कि बाबेल के राजा की तलवार आए; दोनों मार्ग एक ही देश से निकलें! फिर एक चिन्ह कर, अर्थात् नगर के मार्ग के सिर पर एक चिन्ह कर;
20 A way shalt thou appoint, that the sword may come against Rabbah of the children of 'Ammon, and [the other] against Judah [dwelling] in Jerusalem the fortified.
२०एक मार्ग ठहरा कि तलवार अम्मोनियों के रब्बाह नगर पर, और यहूदा देश के गढ़वाले नगर यरूशलेम पर भी चले।
21 For the king of Babylon hath halted at the parting of the way, at the commencement of the two ways, to use divination: he shaketh the arrows, he consulteth with images, he looketh at the liver.
२१क्योंकि बाबेल का राजा चौराहे अर्थात् दोनों मार्गों के निकलने के स्थान पर भावी बूझने को खड़ा हुआ है, उसने तीरों को हिला दिया, और गृहदेवताओं से प्रश्न किया, और कलेजे को भी देखा।
22 At his right hand was the divination for Jerusalem, to erect battering-rams, to open the mouth with the [cry for] murder, to lift up the voice with shouting, to place battering-rams against the gates, to cast up a mound, and to build works of attack.
२२उसके दाहिनी हाथ में यरूशलेम का नाम है कि वह उसकी ओर युद्ध के यन्त्र लगाए, और गला फाड़कर घात करने की आज्ञा दे और ऊँचे शब्द से ललकारे, फाटकों की ओर युद्ध के यन्त्र लगाए और दमदमा बाँधे और कोट बनाए।
23 And it will appear unto them as a false divination in their eyes, to those that had sworn oaths; but he will bring to remembrance their iniquity, that they may be caught.
२३परन्तु लोग तो उस भावी कहने को मिथ्या समझेंगे; उन्होंने जो उनकी शपथ खाई है; इस कारण वह उनके अधर्म का स्मरण कराकर उन्हें पकड़ लेगा।
24 Therefore thus hath said the Lord Eternal, Because ye have brought your iniquity to remembrance, as your transgressions are discovered, so that your sins do appear in all your doings: because ye are thus brought to remembrance, ye shall be caught by [his] hand.
२४“इस कारण प्रभु यहोवा यह कहता है: इसलिए कि तुम्हारा अधर्म जो स्मरण किया गया है, और तुम्हारे अपराध जो खुल गए हैं, क्योंकि तुम्हारे सब कामों में पाप ही पाप दिखाई पड़ा है, और तुम स्मरण में आए हो, इसलिए तुम उन्हीं से पकड़े जाओगे।
25 And thou, death-deserving wicked one, prince of Israel, whose day is come, at the time of the iniquity of the end, —
२५हे इस्राएल दुष्ट प्रधान, तेरा दिन आ गया है; अधर्म के अन्त का समय पहुँच गया है।
26 Thus hath said the Lord Eternal, Remove the mitre, and take off the crown: this shall not be always so; exalt him that is low, and make him low that is high.
२६तेरे विषय में परमेश्वर यहोवा यह कहता है: पगड़ी उतार, और मुकुट भी उतार दे; वह ज्यों का त्यों नहीं रहने का; जो नीचा है उसे ऊँचा कर और जो ऊँचा है उसे नीचा कर।
27 Overthrown, overthrown, overthrown will I render it: also this shall not belong [to any one], until he come whose right it is, and I will give it him.
२७मैं इसको उलट दूँगा और उलट-पुलट कर दूँगा; हाँ उलट दूँगा और जब तक उसका अधिकारी न आए तब तक वह उलटा हुआ रहेगा; तब मैं उसे दे दूँगा।
28 And thou, son of man, prophesy, and say, Thus hath said the Lord Eternal concerning the children of 'Ammon, and concerning their reproach: even say thou, The sword, the sword is drawn; for the slaughter is it polished, to destroy, that it may continue to glitter;
२८“फिर हे मनुष्य के सन्तान, भविष्यद्वाणी करके कह कि प्रभु यहोवा अम्मोनियों और उनकी की हुई नामधराई के विषय में यह कहता है; तू कह, खींची हुई तलवार है, वह तलवार घात के लिये झलकाई हुई है कि नाश करे और बिजली के समान हो
29 While they foresee unto thee falsehood, while they divine unto thee lies, to lay thee by the necks of the slain wicked, whose day is come, at the time of the iniquity of the end.
२९जब तक कि वे तेरे विषय में झूठे दर्शन पाते, और झूठे भावी तुझको बताते हैं कि तू उन दुष्ट असाध्य घायलों की गर्दनों पर पड़े जिनका दिन आ गया, और जिनके अधर्म के अन्त का समय आ पहुँचा है।
30 Put back [the sword] into its sheath! in the place where thou wast created, in the land of thy origin, will I judge thee.
३०उसको म्यान में फिर रख। जिस स्थान में तू सिरजी गई और जिस देश में तेरी उत्पत्ति हुई, उसी में मैं तेरा न्याय करूँगा।
31 And I will pour out over thee my indignation, with the fire of my wrath will I blow against thee, and I will give thee up into the hand of brutish men, skilful in destroying.
३१मैं तुझ पर अपना क्रोध भड़काऊँगा और तुझ पर अपनी जलजलाहट की आग फूँक दूँगा; और तुझे पशु सरीखे मनुष्य के हाथ कर दूँगा जो नाश करने में निपुण हैं।
32 To the fire shalt thou be given to be devoured; thy blood shall be in the midst of the land: thou shalt not be remembered [any more]; for I the Lord have spoken it.
३२तू आग का कौर होगी; तेरा खून देश में बना रहेगा; तू स्मरण में न रहेगी क्योंकि मुझ यहोवा ही ने ऐसा कहा है।”

< Ezekiel 21 >