< 1 Samuel 17 >

1 And the Philistines gathered together their camps to battle, and they gathered themselves together at Sochoh, which belongeth to Judah; and they encamped between Sochoh and 'Azekah, at Ephess-dammim.
इस समय फिलिस्तीनियों ने युद्ध के लिए अपनी सेना इकट्ठी की हुई थी. वे यहूदिया के सोकोह नामक स्थान पर एकत्र थे. उन्होंने सोकोह तथा अज़ेका के मध्यवर्ती क्षेत्र में अपने शिविर खड़े किए थे.
2 And Saul and the men of Israel gathered themselves together, and encamped in the valley of Elah, and put themselves in battle-array opposite to the Philistines.
शाऊल और उनकी सेना एलाह घाटी में एकत्र थी, जहां उन्होंने अपने शिविर खड़े किए थे. फिलिस्तीनियों से युद्ध के लिए उन्होंने यहीं अपनी सेना संयोजित की थी.
3 And the Philistines stood on a mountain on the one side, and the Israelites stood on a mountain on the other side: and the valley was between them.
फिलिस्तीनी सेना एक पहाड़ी पर तथा इस्राएली सेना अन्य पहाड़ी पर मोर्चा बांधे खड़ी थी, और उनके मध्य घाटी थी.
4 And there went out the champion out of the camp of the Philistines, Goliath of Gath was his name, whose height was six cubits and a span.
इसी समय फिलिस्तीनियों के शिविर से एक योद्धा बाहर आया. उसका नाम था गोलियथ, जो गाथ प्रदेश का वासी था. कद में वह लगभग तीन मीटर ऊंचा था.
5 And he had a helmet of copper upon his head, and he was clothed with a scaly coat of mail; and the weight of the coat of mail was five thousand shekels of copper.
उसने अपने सिर पर कांसे का टोप पहन रखा था. उसके शरीर पर पीतल का कवच था, जिसका भार सत्तावन किलो था.
6 And he had greaves of copper upon his legs, and a javelin of copper between his shoulders.
उसके पैरों पर भी पीतल का कवच था. उसके कंधों के मध्य कांसे की बर्छी लटकी हुई थी
7 And the staff of his spear was like a weaver's beam; and the blade of his spear [weighed] six hundred shekels of iron: and the shield-bearer was walking before him.
उसके भाले का दंड करघे के दंड समान था. भाले के लोहे का फल लगभग सात किलो था. उसके आगे-आगे उसका ढाल संवाहक चल रहा था.
8 And he stood and calleth unto the arrays of Israel, and said unto them, Why will ye come out to put yourselves in battle-array? Behold: I am the Philistine, and ye are servants to Saul! select for yourselves one man, and let him come down to me;
इस्राएल की सेना पंक्ति के सामने खड़े हो उसने उन्हें संबोधित कर उच्च स्वर में कहना शुरू किया, “क्या कर रहे हो तुम यहां युद्ध संरचना में संयोजित होकर? शाऊल के दासों, मैं फिलिस्तीनी हूं. अपने मध्य से एक योद्धा चुनो कि वह मेरे पास आए.
9 If he be able to fight with me, and he kill me, then will we be unto you as servants; but if I prevail against him, and kill him, then shall ye be unto us as servants, and ye shall serve us.
यदि वह मुझसे युद्ध कर सके और मेरा वध कर सके, तो हम तुम्हारे सेवक बन जाएंगे; मगर यदि मैं उसे पराजित करूं और उसका वध करूं, तो तुम्हें हमारे दास बनकर हमारी सेवा करनी होगी.”
10 And the Philistine said, I have defied the arrays of Israel this day; give me a man, and let us fight together.
वह फिलिस्तीनी यह भी कह रहा था, “आज मैं इस्राएली सेना को चुनौती देता हूं! मुझसे युद्ध करने के लिए एक योद्धा भेजो.”
11 When Saul and all Israel heard these words of the Philistine, they were disheartened, and became greatly afraid.
जब शाऊल तथा इस्राएली सेना ने यह सब सुना तो वे सभी निराश हो गए, और उनमें भय समा गया.
12 Now David was the son of that Ephrathite of Beth-lechem-judah, whose name was Jesse; and he had eight sons: and the man was old in the days of Saul, belonging to the persons [of high esteem].
दावीद यहूदिया प्रदेश में इफ्ऱथ क्षेत्र के बेथलेहेम नगर के यिशै नामक व्यक्ति के पुत्र थे. यिशै के आठ पुत्र थे. शाऊल के शासनकाल में यिशै वयोवृद्ध हो चुके थे.
13 And the three eldest sons of Jesse were gone following Saul to the battle: and the names of his three sons that were gone to the battle were Eliab the first-born, and the next to him Abinadab, and the third Shammah.
उनके तीन बड़े पुत्र शाऊल की सेना में शामिल थे: एलियाब उनका जेठा पुत्र, अबीनादाब दूसरा, तथा तीसरा पुत्र शम्माह.
14 And David was the youngest: and the three eldest followed Saul.
दावीद इन सबसे छोटे थे. तीन बड़े भाई ही शाऊल की सेना में शामिल हुए थे.
15 But David kept going and returning from Saul to feed his father's flocks at Beth-lechem.
दावीद शाऊल की उपस्थिति से बेथलेहेम जा-जाकर अपने पिता की भेड़ों की देखभाल किया करते थे.
16 And the Philistine drew near morning and evening, and presented himself forty days.
वह फिलिस्तीनी चालीस दिन तक हर सुबह तथा शाम इस्राएली सेना के सामने आकर खड़ा हो जाया करता था.
17 And Jesse said unto David his son, Take, I pray thee, for thy brothers an ephah of this parched corn, and these ten loaves, and run to the camp to thy brothers;
यिशै ने अपने पुत्र दावीद से कहा, “अपने भाइयों के लिए शीघ्र यह एफाह भर भुने अन्‍न, तथा दस रोटियों की टोकरी ले जाओ.
18 And these ten cheeses shalt thou bring unto the captain of the thousand, and inquire of thy brothers how they fare, and take away their pledge.
इसके अतिरिक्त उनके सैन्य अधिकारी के लिए ये दस पनीर टिकियां भी ले जाओ. अपने भाइयों का हाल भी मालूम कर आना, और मुझे आकर सारी ख़बर देना.
19 Now Saul, and they, and all the men of Israel, were in the valley of Elah, fighting with the Philistines.
शाऊल और उनकी सारी सेना फिलिस्तीनियों से युद्ध करने के लक्ष्य से एलाह की घाटी में एकत्र हैं.”
20 And David rose up early in the morning, and gave up the flocks to a keeper, and took, and went, as Jesse had commanded him; and he came to the entrenchment, as the host was going forth in battle-array, and shouted the battle-cry.
दावीद प्रातः जल्दी उठे और अपनी भेड़ें एक कर्मी की सुरक्षा में छोड़कर पिता के आदेश के अनुरूप सारा प्रावधान लेकर प्रस्थान किया. वह शिविर ठीक उस मौके पर पहुंचे, जब सेना युद्ध क्षेत्र के लिए बाहर आ ही रही थी. इसी समय वे सब युद्ध घोष नारा भी लगा रहे थे.
21 And the Israelites and the Philistines put themselves in battle-array, army against army.
इस्राएली सेना और फिलिस्तीनी सेना आमने-सामने खड़ी हो गई.
22 And David left the articles which he had on him in the hand of the keeper of the baggage, and ran into the array, and came and asked of his brothers after their welfare.
दावीद अपने साथ लाई हुई सामग्री सामान के रखवाले को सौंपकर रणभूमि की ओर दौड़ गए, कि अपने भाइयों से उनके कुशल क्षेम के बारे में पूछताछ की.
23 And as he was speaking with them, behold, there came up the champion, Goliath the Philistine, by name, of Gath, out of the battle-arrays of the Philistines, and spoke in accordance with these same words: and David heard it.
जब वह उनसे संवाद कर ही रहे थे, गाथ प्रदेश से आया वह गोलियथ नामक फिलिस्तीनी योद्धा, फिलिस्तीनी सेना का पड़ाव से बाहर आ रहा था. आज भी उसने वही शब्द दोहराए, जो वह अब तक दोहराता आया था, और दावीद ने आज वे शब्द सुने.
24 And all the men of Israel, when they saw the man, fled from before him, and were greatly afraid.
उसे देखते ही संपूर्ण इस्राएली सेना बहुत ही भयभीत होकर उसकी उपस्थिति से दूर भागने लगी.
25 And the men of Israel said, Have ye seen this man that is coming forth? for to defy Israel is he coming forth; and it shall be, that the man who killeth him, —him will the king enrich with great riches, and his daughter will he give him, and his father's house will he make free in Israel.
कुछ सैनिकों ने दावीद से बातचीत करते हुए पूछा, “देख रहे हो न इस व्यक्ति को, जो हमारी ओर बढ़ा चला आ रहा है? वह इस्राएल को तुच्छ साबित करने के उद्देश्य से रोज-रोज यही कर रहा है. जो कोई उसे धराशायी कर देगा, राजा उसे समृद्ध सम्पन्‍न कर देंगे, उससे अपनी बेटी का विवाह कर देंगे तथा उसके पिता के संपूर्ण परिवार को कर मुक्त भी कर देंगे.”
26 And David said to the men that stood by him, thus, What shall be done to the man that may smite yon Philistine, and take away the reproach from Israel? for who is this uncircumcised Philistine, that he should defy the arrays of the living God?
दावीद ने बातें कर रहे उन सैनिकों से प्रश्न किया, “उस व्यक्ति को क्या प्रतिफल दिया जाएगा, जो इस फिलिस्तीनी का संहार कर इस्राएल के उस अपमान को मिटा देगा? क्योंकि यह अख़तनित फिलिस्तीनी होता कौन है, जो जीवन्त परमेश्वर की सेनाओं की ऐसी उपेक्षा करे?”
27 And the people spoke to him after this manner, saying, So shall it be done to the man that may smite him.
उन सैनिकों ने दावीद को उत्तर देते हुए वही कहा, जो वे उसके पूर्व उन्हें बता चुके थे, “जो कोई इसका वध करेगा, उसे वही प्रतिफल दिया जाएगा, जैसा हम बता चुके हैं.”
28 And Eliab his eldest brother heard when he was speaking unto the men; and Eliab's anger was kindled against David, and he said, Why didst thou come down hither? and with whom hast thou left those few sheep in the wilderness? I know thy presumption, and the wickedness of thy heart; for in order to see the battle art thou come down.
दावीद के बड़े भाई एलियाब ने दावीद को सैनिकों से बातें करते सुना. एलियाब ने दावीद पर क्रोधित हुआ. एलियाब दावीद से पूछा, “तुम यहां क्यों आये? मरुभूमि में उन थोड़ी सी भेड़ों को किसके पास छोड़कर आये हो? मैं जानता हूं कि तुम यहां क्यों आये हो! मुझे पता है कि तू कितना अभिमानी है! मैं तेरे दुष्ट हृदय को जानता! तुम केवल यहां युद्ध देखने के लिये आना चाहते थे!”
29 And David said, What have I now done? It is nothing but a word.
दावीद ने उत्तर दिया, “अरे! मैंने किया ही क्या है? क्या मुझे पूछताछ करने का भी अधिकार नहीं?”
30 And he turned from him toward another, and spoke after the same manner: and the people made him again a reply after the former manner.
यह कहकर दावीद वहां से चले गए, और किसी अन्य सैनिक से उन्होंने वही प्रश्न पूछा, जिसका उन्हें वही उत्तर प्राप्‍त हुआ, जो उन्हें इसके पहले दिया गया था.
31 And the words which David had spoken were heard, and they told them in the presence of Saul, who sent for him.
किसी ने दावीद का वक्तव्य शाऊल के सामने जा दोहराया. शाऊल ने उन्हें अपने पास लाए जाने का आदेश दिया.
32 And David said to Saul, Let no man's heart fail because of him: thy servant will go and fight with this Philistine.
दावीद ने शाऊल से कहा, “किसी को भी निराश होने की आवश्यकता नहीं है. मैं, आपका सेवक, जाकर उस फिलिस्तीनी से युद्ध करूंगा.”
33 And Saul said to David, Thou art not able to go unto this Philistine to fight with him; for thou art but a lad, and he [hath been] a man of war from his youth.
शाऊल ने दावीद को सलाह देते हुए कहा, “यह असंभव है कि तुम जाकर इस फिलिस्तीनी से युद्ध करो; तुम सिर्फ एक बालक हो और वह जवानी से एक योद्धा.”
34 And David said unto Saul, Thy servant was feeding his father's flocks, and there came a lion, and a bear, and bore off a lamb out of the drove;
दावीद ने शाऊल को उत्तर दिया, “मैं, आपका सेवक, अपने पिता की भेड़ों की रखवाली करता रहा हूं. जब कभी सिंह या भालू भेड़ों के झुंड में से किसी भेड़ को उठाकर ले जाता है,
35 And I went out after him, and smote him, and delivered it out of his mouth: and when he rose up against me, I caught him by his beard, and smote him, and slew him.
मैं उसका पीछा कर, उस पर प्रहार कर उसके मुख से भेड़ को निकाल लाता हूं, यदि वह मुझ पर हमला करता है, मैं उसका जबड़ा पकड़, उस पर वार कर उसे मार डालता हूं.
36 Both the lion and the bear did thy servant smite: and this uncircumcised Philistine shall become as one of them; because he hath defied the arrays of the living God.
आपके सेवक ने सिंह तथा भालू दोनों ही का संहार किया है. इस अख़तनित फिलिस्तीनी की भी वही नियति होने पर है, जो उनकी हुई है, क्योंकि उसने जीवन्त परमेश्वर की सेनाओं को तुच्छ समझा है.
37 Moreover David said, The Lord who hath delivered me out of the power of the lion, and out of the power of the bear, will also surely deliver me out of the hand of this Philistine. And Saul said unto David, Go, and may the Lord be with thee.
याहवेह, जिन्होंने मेरी रक्षा सिंह तथा रीछ से की है मेरी रक्षा इस फिलिस्तीनी से भी करेंगे.” इस पर शाऊल ने दावीद से कहा, “बहुत बढ़िया! जाओ, याहवेह की उपस्थिति तुम्हारे साथ बनी रहे.”
38 And Saul clothed David with his garments, and he put a helmet of copper upon his head; and he clothed him also with a coat of mail.
यह कहते हुए शाऊल ने दावीद को अपने हथियारों से सुसज्जित करना शुरू कर दिया.
39 And David girded his sword over his garments, and he essayed to go; for he had not tried it. And David said unto Saul, I cannot walk in these [things]; for I have never tried it before. And David put them off from him.
दावीद ने इनके ऊपर शाऊल की तलवार भी कस ली और फिर इन सबके साथ चलने की कोशिश करने लगे, क्योंकि इसके पहले उन्होंने इनका प्रयोग कभी न किया था. उन्होंने शाऊल से कहा, “इन्हें पहनकर तो मेरे लिए चलना फिरना मुश्किल हो रहा है; क्योंकि मैंने इनका प्रयोग पहले कभी नहीं किया है.” यह कहते हुए दावीद ने वे सब उतार दिए.
40 And he took his staff in his hand, and chose himself five smooth stones out of the brook, and put them in the shepherd's pouch which be had, even in a scrip, with his sling in his hand; and he approached to the Philistine.
फिर दावीद ने अपनी लाठी ली, नदी के तट से पांच चिकने-सुडौल पत्थर उठाए, उन्हें अपनी चरवाहे की झोली में डाला, अपने हाथ में अपनी गोफन लिए हुए फिलिस्तीनी की ओर बढ़ चला.
41 And the Philistine went and drew nearer and nearer unto David; and the man that bore the shield went before him.
वह फिलिस्तीनी भी बढ़ते हुए दावीद के निकट आ पहुंचा. उसके आगे-आगे उसका ढाल उठानेवाला चल रहा था.
42 And when the Philistine looked about, and saw David, he disdained him; for he was but a lad, and ruddy, with a fair appearance.
जब उस फिलिस्तीनी ने ध्यानपूर्वक दावीद की ओर देखा, तो उसके मन में दावीद के प्रति घृणा के भाव उत्पन्‍न हो गए, क्योंकि दावीद सिर्फ एक बालक ही थे—कोमल गुलाबी त्वचा और बहुत ही सुंदर.
43 And the Philistine said unto David, Am I a dog, that thou comest unto me with sticks? And the Philistine cursed David by his gods.
उस फिलिस्तीनी ने दावीद को संबोधित करते हुए कहा, “मैं कोई कुत्ता हूं, जो मेरी ओर यह लाठी लिए हुए बढ़े चले आ रहे हो?” और वह अपने देवताओं के नाम लेकर दावीद का शाप देने लगा.
44 And the Philistine said to David, Come to me, and I will give thy flesh unto the fowls of the heavens, and to the beasts of the field.
दावीद को संबोधित कर वह कहने लगा, “आ जा! आज मैं तेरा मांस पशु पक्षियों का आहार बना छोड़ूंगा.”
45 Then said David to the Philistine, Thou comest unto me with a sword, and with a spear, and with a javelin; but I come to thee in the name of the Lord of hosts, the God of the arrays of Israel, that thou hast defied.
तब दावीद ने उस फिलिस्तीनी से कहा, “तुम मेरी ओर यह भाला, यह तलवार, बरछा तथा शूल लिए हुए बढ़ रहे हो, मगर मैं तुम्हारा सामना सेनाओं के याहवेह के नाम में कर रहा हूं, जो इस्राएल की सेनाओं के परमेश्वर हैं, तुमने जिनकी प्रतिष्ठा को भ्रष्‍ट किया है.
46 This day will the Lord deliver thee into my hand; and I will smite thee, and remove thy head from thee; and I will give the carcasses of the army of the Philistines this day unto the fowls of the air, and to the wild beasts of the earth; and all the earth shall know that there is a God for Israel.
आज ही याहवेह तुम्हें मेरे अधीन कर देंगे. मैं तुम्हारा संहार करूंगा और तुम्हारा सिर काटकर देह से अलग कर दूंगा. और मैं आज फिलिस्तीनी सेना के शव पक्षियों और वन्य पशुओं के लिए छोड़ दूंगा कि सारी पृथ्वी को यह मालूम हो जाए कि परमेश्वर इस्राएल राष्ट्र में हैं,
47 And all this assembly shall know that the Lord saveth not through sword and spear; for the battle is the Lord's, and he will give you up into our hand.
तथा यहां उपस्थित हर एक व्यक्ति को यह अहसास हो जाएगा कि याहवेह के लिए छुड़ौती के साधन तलवार और बर्छी नहीं हैं. यह युद्ध याहवेह का है और वही तुम्हें हमारे अधीन कर देंगे.”
48 And it came to pass, when the Philistine arose, and went and drew nigh to meet David, that David hastened, and ran toward the battle-array to meet the Philistine.
यह सुनकर वह फिलिस्तीनी दावीद पर प्रहार करने के लक्ष्य से आगे बढ़ा. वहां दावीद भी फिलिस्तीनी पर हमला करने युद्ध रेखा की ओर दौड़े.
49 And David put his hand into the pouch, and took thence a stone, and slung it, and he struck the Philistine on his forehead, and the stone sunk into his forehead: and he fell upon his face to the ground.
दावीद ने अपने झोले से एक पत्थर निकाला, गोफन में रख उसे फेंका और वह पत्थर जाकर फिलिस्तीनी के माथे पर जा लगा, और भीतर गहरा चला गया और वह भूमि पर मुख के बल गिर पड़ा.
50 So David prevailed over the Philistine with the sling and with the stone, and smote the Philistine, and slew him; but there was no sword in the hand of David.
इस प्रकार दावीद सिर्फ गोफन और पत्थर के द्वारा उस फिलिस्तीनी पर विजयी हो गए. उन्होंने इनके द्वारा उस फिलिस्तीनी पर वार किया और उसकी मृत्यु हो गई. दावीद के पास तलवार तो थी नहीं.
51 And David ran, and stood by the Philistine, and took his sword, and drew it out of its sheath, and slew him, and cut off his head therewith. And when the Philistines saw that their hero was dead, they fled.
तब वह दौड़कर उस फिलिस्तीनी की देह पर चढ़ गए, उसकी म्यान में से तलवार खींची, उसकी हत्या करने के लिए उसका सिर उस तलवार द्वारा अलग कर दिया. जब फिलिस्ती सेना ने यह देखा कि उनका शूर योद्धा मारा जा चुका है, वे भागने लगे.
52 And then arose the men of Israel and of Judah, and shouted, and pursued the Philistines, until thou comest to the valley, and to the gates of 'Ekron. And the slain of the Philistines fell down by the way to Sha'arayim, even as far as Gath, and up to 'Ekron.
यह देख इस्राएल तथा यहूदिया के सैनिकों ने युद्धनाद करते हुए उनका पीछा करना शुरू कर दिया. वे उन्हें खदेड़ते हुए गाथ तथा एक्रोन के प्रवेश द्वार तक जा पहुंचे. घायल फिलिस्तीनी सैनिक शअरयिम से गाथ और एक्रोन के मार्ग पर पड़े रहे.
53 And the children of Israel returned from hotly pursuing after the Philistines, and they spoiled their camps.
इस्राएली सैनिक उनका पीछा करना छोड़कर लौटे और फिलिस्तीनी शिविर को लूट लिया.
54 And David took the head of the Philistine, and brought it to Jerusalem; but his weapons he placed in his tent.
दावीद उस फिलिस्तीनी का सिर उठाकर येरूशलेम ले गए और उसके सारे हथियार अपने तंबू में रख लिए.
55 And when Saul saw David going forth against the Philistine, he said unto Abner, the captain of the army, Abner, whose son is this lad? And Abner said, As thy soul liveth, O king, I know it not.
जब दावीद फिलिस्तीनी से युद्ध करने जा रहे थे, शाऊल उनकी हर एक गतिविधि को ध्यानपूर्वक देख रहे थे. उन्होंने अपनी सेना के सेनापति अबनेर से पूछा, “अबनेर, यह युवक किसका पुत्र है?” अबनेर ने उत्तर दिया, “महाराज, आप जीवित रहें, यह मैं नहीं जानता.”
56 And the king said, Ask thou whose son this youth is.
राजा ने आदेश दिया, “यह पता लगाया जाए यह किशोर किसका पुत्र है.”
57 And as David returned from smiting the Philistine, Abner took him, and brought him before Saul with the head of the Philistine in his hand.
उस फिलिस्तीनी का संहार कर लौटते ही सेनापति अबनेर दावीद को राजा शाऊल की उपस्थिति में ले गए. इस समय दावीद के हाथ में उस फिलिस्तीनी का सिर था.
58 And Saul said to him, Whose son art thou, young man? And David answered, The son of thy servant Jesse the Beth-lechemite.
शाऊल ने दावीद से पूछा. “युवक, कौन हैं तुम्हारे पिता?” दावीद ने उन्हें उत्तर दिया, “आपके सेवक बेथलेहेम के यिशै.”

< 1 Samuel 17 >