< 1 Chronicles 22 >
1 And David said, This is the house of the Lord the [true] God, and this is the altar for the burnt-offering for Israel.
१तब दाऊद कहने लगा, “यहोवा परमेश्वर का भवन यही है, और इस्राएल के लिये होमबलि की वेदी यही है।”
2 And David ordered to gather together the strangers that were in the land of Israel: and he appointed [them] to be masons to hew cut stones to build the house of God.
२तब दाऊद ने इस्राएल के देश में जो परदेशी थे उनको इकट्ठा करने की आज्ञा दी, और परमेश्वर का भवन बनाने को पत्थर गढ़ने के लिये संगतराश ठहरा दिए।
3 And iron in abundance for the nails for the doors of the gates, and for the joinings, did David prepare; and copper in abundance, [which] could not be weighed;
३फिर दाऊद ने फाटकों के किवाड़ों की कीलों और जोड़ों के लिये बहुत सा लोहा, और तौल से बाहर बहुत पीतल,
4 Also cedar-trees [which] could not be counted; for the Zidonians and the Tyrians had brought cedar-trees in abundance to David.
४और गिनती से बाहर देवदार के पेड़ इकट्ठे किए; क्योंकि सीदोन और सोर के लोग दाऊद के पास बहुत से देवदार के पेड़ लाए थे।
5 And David said, Solomon my son is young and tender, and the house that is to be built [in honor] of the Lord must be exceedingly great, for fame and for glory throughout all the countries: I will therefore make preparation for it. So David made abundant preparation before his death.
५और दाऊद ने कहा, “मेरा पुत्र सुलैमान सुकुमार और लड़का है, और जो भवन यहोवा के लिये बनाना है, उसे अत्यन्त तेजोमय और सब देशों में प्रसिद्ध और शोभायमान होना चाहिये; इसलिए मैं उसके लिये तैयारी करूँगा।” अतः दाऊद ने मरने से पहले बहुत तैयारी की।
6 And he called for Solomon his son, and charged him to build a house for the Lord the God of Israel.
६फिर उसने अपने पुत्र सुलैमान को बुलाकर इस्राएल के परमेश्वर यहोवा के लिये भवन बनाने की आज्ञा दी।
7 And David said to Solomon, My son, as for me, it was in my mind to build a house unto the name of the Lord my God;
७दाऊद ने अपने पुत्र सुलैमान से कहा, “मेरी मनसा तो थी कि अपने परमेश्वर यहोवा के नाम का एक भवन बनाऊँ।
8 But there came concerning me the word of the Lord, saying, Blood in abundance hast thou shed, and great wars hast thou made: thou shalt not build a house unto my name, because much blood hast thou shed upon the earth before me.
८परन्तु यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुँचा, ‘तूने लहू बहुत बहाया और बड़े-बड़े युद्ध किए हैं, इसलिए तू मेरे नाम का भवन न बनाने पाएगा, क्योंकि तूने भूमि पर मेरी दृष्टि में बहुत लहू बहाया है।
9 Behold, a son will be born to thee, he it is who shall be a man of rest; and I will give him rest from all his enemies on every side; for Solomon [[The Peaceful]] shall be his name, and peace and quietness will I bestow on Israel in his days.
९देख, तुझ से एक पुत्र उत्पन्न होगा, जो शान्त पुरुष होगा; और मैं उसको चारों ओर के शत्रुओं से शान्ति दूँगा; उसका नाम तो सुलैमान होगा, और उसके दिनों में मैं इस्राएल को शान्ति और चैन दूँगा।
10 He it is who shall build a house unto my name; and he shall be unto me as a son, and I will be unto him as a father; and I will establish the throne of his kingdom over Israel for ever.
१०वही मेरे नाम का भवन बनाएगा। और वही मेरा पुत्र ठहरेगा और मैं उसका पिता ठहरूँगा, और उसकी राजगद्दी को मैं इस्राएल के ऊपर सदा के लिये स्थिर रखूँगा।’
11 Now, my son, may the Lord be with thee, that thou mayest prosper, and build the house of the Lord thy God, as he hath spoken concerning thee.
११अब हे मेरे पुत्र, यहोवा तेरे संग रहे, और तू कृतार्थ होकर उस वचन के अनुसार जो तेरे परमेश्वर यहोवा ने तेरे विषय कहा है, उसका भवन बनाना।
12 Only may the Lord give thee intelligence and understanding, and give thee charge over Israel, so that thou mayest observe the law of the Lord thy God.
१२अब यहोवा तुझे बुद्धि और समझ दे और इस्राएल का अधिकारी ठहरा दे, और तू अपने परमेश्वर यहोवा की व्यवस्था को मानता रहे।
13 Then wilt thou prosper, if thou observe to practise the statutes and the ordinances which the Lord commanded Moses concerning Israel: be strong, and of good courage; be not afraid, nor be thou dismayed.
१३तू तब ही कृतार्थ होगा जब उन विधियों और नियमों पर चलने की चौकसी करेगा, जिनकी आज्ञा यहोवा ने इस्राएल के लिये मूसा को दी थी। हियाव बाँध और दृढ़ हो। मत डर; और तेरा मन कच्चा न हो।
14 And, behold, during my affliction have I prepared for the house of the Lord one hundred thousand talents of gold, and a thousand times thousand talents of silver; and of copper and iron [as much as] cannot be weighed; for in [such] abundance was it: and wood and stone have I prepared; and thou must add thereto.
१४सुन, मैंने अपने क्लेश के समय यहोवा के भवन के लिये एक लाख किक्कार सोना, और दस लाख किक्कार चाँदी, और पीतल और लोहा इतना इकट्ठा किया है, कि बहुतायत के कारण तौल से बाहर है; और लकड़ी और पत्थर मैंने इकट्ठे किए हैं, और तू उनको बढ़ा सकेगा।
15 Moreover there are with thee in abundance workmen, hewers and workers of stone and timber, and all manner of skilful men for every kind of work.
१५और तेरे पास बहुत कारीगर हैं, अर्थात् पत्थर और लकड़ी के काटने और गढ़नेवाले वरन् सब भाँति के काम के लिये सब प्रकार के प्रवीण पुरुष हैं।
16 The gold, the silver, and the copper, and the iron cannot be numbered: arise, [therefore, ] and be doing, and may the Lord be with thee.
१६सोना, चाँदी, पीतल और लोहे की तो कुछ गिनती नहीं है, सो तू उस काम में लग जा! यहोवा तेरे संग नित रहे।”
17 And David gave a charge to all the princes of Israel to help Solomon his son, [saying, ]
१७फिर दाऊद ने इस्राएल के सब हाकिमों को अपने पुत्र सुलैमान की सहायता करने की आज्ञा यह कहकर दी,
18 Behold the Lord your God is with you; and he hath given you rest on every side; for he hath given up into my hand the inhabitants of the land, and the land is subdued before the Lord, and before his people.
१८“क्या तुम्हारा परमेश्वर यहोवा तुम्हारे संग नहीं है? क्या उसने तुम्हें चारों ओर से विश्राम नहीं दिया? उसने तो देश के निवासियों को मेरे वश में कर दिया है; और देश यहोवा और उसकी प्रजा के सामने दबा हुआ है।
19 Now direct your heart and your soul to seek the Lord your God; and arise, and build ye the sanctuary of the Lord the [true] God, [in order] to bring the ark of the covenant of the Lord, and the holy vessels of God, into the house that is to be built unto the name of the Lord.
१९अब तन मन से अपने परमेश्वर यहोवा के पास जाया करो, और जी लगाकर यहोवा परमेश्वर का पवित्रस्थान बनाना, कि तुम यहोवा की वाचा का सन्दूक और परमेश्वर के पवित्र पात्र उस भवन में लाओ जो यहोवा के नाम का बननेवाला है।”