< Jeremias 38 >

1 At that time, says the Lord, I will be a God to the family of Israel, and they shall be to me a people.
फिर जो वचन यिर्मयाह सब लोगों से कहता था, उनको मत्तान के पुत्र शपत्याह, पशहूर के पुत्र गदल्याह, शेलेम्याह के पुत्र यूकल और मल्किय्याह के पुत्र पशहूर ने सुना,
2 Thus says the Lord, I found him warm in the wilderness with them that were slain with the sword: go you and destroy not Israel.
“यहोवा यह कहता है कि जो कोई इस नगर में रहेगा वह तलवार, अकाल और मरी से मरेगा; परन्तु जो कोई कसदियों के पास निकल भागे वह अपना प्राण बचाकर जीवित रहेगा।
3 The Lord appeared to him from afar, [saying], I have loved you with an everlasting love: therefore have I drawn you in compassion.
यहोवा यह कहता है, यह नगर बाबेल के राजा की सेना के वश में कर दिया जाएगा और वह इसको ले लेगा।”
4 For I will build you, and you shall be built, O virgin of Israel: you shall yet take your timbrel, and go forth with the party of them that make merry.
इसलिए उन हाकिमों ने राजा से कहा, “उस पुरुष को मरवा डाल, क्योंकि वह जो इस नगर में बचे हुए योद्धाओं और अन्य सब लोगों से ऐसे-ऐसे वचन कहता है जिससे उनके हाथ पाँव ढीले हो जाते हैं। क्योंकि वह पुरुष इस प्रजा के लोगों की भलाई नहीं वरन् बुराई ही चाहता है।”
5 For you have planted vineyards on the mountains of Samaria: plant you, and praise.
सिदकिय्याह राजा ने कहा, “सुनो, वह तो तुम्हारे वश में है; क्योंकि ऐसा नहीं हो सकता कि राजा तुम्हारे विरुद्ध कुछ कर सके।”
6 For it is a day when those that plead on the mountains of Ephraim shall call, [saying], Arise you, and go up to Sion to the Lord your God.
तब उन्होंने यिर्मयाह को लेकर राजपुत्र मल्किय्याह के उस गड्ढे में जो पहरे के आँगन में था, रस्सियों से उतारकर डाल दिया। और उस गड्ढे में पानी नहीं केवल दलदल था, और यिर्मयाह कीचड़ में धँस गया।
7 For thus says the Lord to Jacob; Rejoice you, and exult over the head of the nations: make proclamation, and praise you: say, The Lord has delivered his people, the remnant of Israel.
उस समय राजा बिन्यामीन के फाटक के पास बैठा था सो जब एबेदमेलेक कूशी ने जो राजभवन में एक खोजा था, सुना, कि उन्होंने यिर्मयाह को गड्ढे में डाल दिया है।
8 Behold, I bring them from the north, and will gather them from the end of the earth to the feast of the passover: and [the people] shall beget a great multitude, and they shall return hither.
तब एबेदमेलेक राजभवन से निकलकर राजा से कहने लगा,
9 They went forth with weeping, and I will bring them back with consolation, causing them to lodge by the channels of waters in a straight way, and they shall not err in it: for I am become a father to Israel, and Ephraim is my firstborn.
“हे मेरे स्वामी, हे राजा, उन लोगों ने यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता से जो कुछ किया है वह बुरा किया है, क्योंकि उन्होंने उसको गड्ढे में डाल दिया है; वहाँ वह भूख से मर जाएगा क्योंकि नगर में कुछ रोटी नहीं रही है।”
10 Hear the words of the Lord, you nations, and proclaim [them] to the islands afar off; say, He that scattered Israel will also gather him, and keep him as one that feeds his flock.
१०तब राजा ने एबेदमेलेक कूशी को यह आज्ञा दी, “यहाँ से तीस पुरुष साथ लेकर यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता को मरने से पहले गड्ढे में से निकाल।”
11 For the Lord has ransomed Jacob, he has rescued him out of the hand of them [that were] stronger than he.
११अतः एबेदमेलेक उतने पुरुषों को साथ लेकर राजभवन के भण्डार के तलघर में गया; और वहाँ से फटे-पुराने कपड़े और चिथड़े लेकर यिर्मयाह के पास उस गड्ढे में रस्सियों से उतार दिए।
12 And they shall come, and shall rejoice in the mount of Sion, and shall come to the good things of the Lord, [even] to a land of corn, and wine, and fruits, and cattle, and sheep: and their soul shall be as a fruitful tree; and they shall hunger no more.
१२तब एबेदमेलेक कूशी ने यिर्मयाह से कहा, “ये पुराने कपड़े और चिथड़े अपनी कांखों में रस्सियों के नीचे रख ले।” यिर्मयाह ने वैसा ही किया।
13 Then shall the virgins rejoice in the assembly of youth, and the old men shall rejoice; and I will turn their mourning into joy, and will make them merry.
१३तब उन्होंने यिर्मयाह को रस्सियों से खींचकर, गड्ढे में से निकाला। और यिर्मयाह पहरे के आँगन में रहने लगा।
14 I will expand and cheer with wine the soul of the priests the sons of Levi, and my people shall be satisfied with my good things: thus says the Lord.
१४सिदकिय्याह राजा ने यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता को यहोवा के भवन के तीसरे द्वार में अपने पास बुलवा भेजा। और राजा ने यिर्मयाह से कहा, “मैं तुझ से एक बात पूछता हूँ; मुझसे कुछ न छिपा।”
15 A voice was heard in Rama, of lamentation, and of weeping, and wailing; Rachel would not cease weeping for her children, because they are not.
१५यिर्मयाह ने सिदकिय्याह से कहा, “यदि मैं तुझे बताऊँ, तो क्या तू मुझे मरवा न डालेगा? और चाहे मैं तुझे सम्मति भी दूँ, तो भी तू मेरी न मानेगा।”
16 Thus says the Lord; Let your voice cease from weeping, and your eyes from your tears: for their is a reward for your works; and they shall return from the land of [your] enemies.
१६तब सिदकिय्याह राजा ने अकेले में यिर्मयाह से शपथ खाई, “यहोवा जिसने हमारा यह जीव रचा है, उसके जीवन की सौगन्ध न मैं तो तुझे मरवा डालूँगा, और न उन मनुष्यों के वश में कर दूँगा जो तेरे प्राण के खोजी हैं।”
17 [There shall be] an dwelling [home] for your children.
१७यिर्मयाह ने सिदकिय्याह से कहा, “सेनाओं का परमेश्वर यहोवा जो इस्राएल का परमेश्वर है, वह यह कहता है, यदि तू बाबेल के राजा के हाकिमों के पास सचमुच निकल जाए, तब तो तेरा प्राण बचेगा, और यह नगर फूँका न जाएगा, और तू अपने घराने समेत जीवित रहेगा।
18 I have heard the sound of Ephraim lamenting, [and saying], You have chastened me, and I was chastened; I as a calf was not [willingly] taught: turn you me, and I shall turn; for you [are] the Lord my God.
१८परन्तु, यदि तू बाबेल के राजा के हाकिमों के पास न निकल जाए, तो यह नगर कसदियों के वश में कर दिया जाएगा, ओर वे इसे फूँक देंगे, और तू उनके हाथ से बच न सकेगा।”
19 For after my captivity I repented; and after I knew, I groaned for the day of shame, and showed you that I bore reproach from my youth.
१९सिदकिय्याह ने यिर्मयाह से कहा, “जो यहूदी लोग कसदियों के पास भाग गए हैं, मैं उनसे डरता हूँ, ऐसा न हो कि मैं उनके वश में कर दिया जाऊँ और वे मुझसे ठट्ठा करें।”
20 Ephraim is a beloved son, a pleasing child to me: for because my words are in him, I will surely remember him: therefore I made haste [to help] him; I will surely have mercy upon him, says the Lord.
२०यिर्मयाह ने कहा, “तू उनके वश में न कर दिया जाएगा; जो कुछ मैं तुझ से कहता हूँ उसे यहोवा की बात समझकर मान ले तब तेरा भला होगा, और तेरा प्राण बचेगा।
21 Prepare yourself, O Sion; execute vengeance; look to your ways: return, O virgin of Israel, by the way by which you went, return mourning to your cities.
२१पर यदि तू निकल जाना स्वीकार न करे तो जो बात यहोवा ने मुझे दर्शन के द्वारा बताई है, वह यह है:
22 How long, O disgraced daughter, will you turn away? for the Lord has created safety for a new plantation: men shall go about in safety.
२२देख, यहूदा के राजा के रनवास में जितनी स्त्रियाँ रह गई हैं, वे बाबेल के राजा के हाकिमों के पास निकालकर पहुँचाई जाएँगी, और वे तुझ से कहेंगी, ‘तेरे मित्रों ने तुझे बहकाया, और उनकी इच्छा पूरी हो गई; और जब तेरे पाँव कीच में धँस गए तो वे पीछे फिर गए हैं।’
23 For thus says the Lord; They shall yet speak this word in the land of Juda, and in the cities thereof, when I shall turn his captivity; blessed be the Lord on his righteous holy mountain!
२३तेरी सब स्त्रियाँ और बाल-बच्चे कसदियों के पास निकालकर पहुँचाए जाएँगे; और तू भी कसदियों के हाथ से न बचेगा, वरन् तुझे पकड़कर बाबेल के राजा के वश में कर दिया जाएगा और इस नगर के फूँके जाने का कारण तू ही होगा।”
24 And there shall be dwellers in the cities of Juda, and in all his land, together with the husbandman, and [the shepherd] shall go forth with the flock.
२४तब सिदकिय्याह ने यिर्मयाह से कहा, “इन बातों को कोई न जानने पाए, तो तू मारा न जाएगा।
25 For I have saturated every thirsting soul, and filled every hungry soul.
२५यदि हाकिम लोग यह सुनकर कि मैंने तुझ से बातचीत की है तेरे पास आकर कहने लगें, ‘हमें बता कि तूने राजा से क्या कहा, हम से कोई बात न छिपा, और हम तुझे न मरवा डालेंगे; और यह भी बता, कि राजा ने तुझ से क्या कहा,’
26 Therefore I awake, and saw; and my sleep was sweet to me.
२६तो तू उनसे कहना, ‘मैंने राजा से गिड़गिड़ाकर विनती की थी कि मुझे योनातान के घर में फिर वापिस न भेज नहीं तो वहाँ मर जाऊँगा।’”
27 Therefore, behold, the days come, says the Lord, when I will sow the house of Israel and the house of Juda with the seed of man, and the seed of beast.
२७फिर सब हाकिमों ने यिर्मयाह के पास आकर पूछा, और जैसा राजा ने उसको आज्ञा दी थी, ठीक वैसा ही उसने उनको उत्तर दिया। इसलिए वे उससे और कुछ न बोले और न वह भेद खुला।
28 And it shall come to pass, that as I watched over them, to pull down, and to afflict, so will I watch over them, to build, and to plant, says the Lord.
२८इस प्रकार जिस दिन यरूशलेम ले लिया गया उस दिन तक वह पहरे के आँगन ही में रहा।
29 In those days they shall certainly not say, The fathers ate a sour grape, and the children's teeth were set on edge.
२९
30 But every one shall die in his own sin; and the teeth of him that eats the sour grape shall be set on edge.
३०
31 Behold, the days come, says the Lord, when I will make a new covenant with the house of Israel, and with the house of Juda:
३१
32 not according to the covenant which I made with their fathers in the day when I took hold of their hand to bring them out of the land of Egypt; for they abode not in my covenant, and I disregarded them, says the Lord.
३२
33 For this is my covenant which I will make with the house of Israel; after those days, says the Lord, I will surely put my laws into their mind, and write them on their hearts; and I will be to them a God, and they shall be to me a people.
३३
34 And they shall not at all teach every one his [fellow] citizen, and every one his brother, saying, Know the Lord: for all shall know me, from the least of them to the greatest of them: for I will be merciful to their iniquities, and their sins I will remember no more.
३४
35 Thus says the Lord, who gives the sun for a light by day, the moon and the stars for a light by night, and [makes] a roaring in the sea, so that the waves thereof roar; the Lord Almighty is his name:
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36 if these ordinances cease from before me, says the Lord, then shall the family of Israel cease to be a nation before me forever.
३६
37 Though the sky should be raised to a [greater] height, says the Lord, and though the ground of the earth should be sunk [lower] beneath, yet I will not cast off the family of Israel, says the Lord, for all that they have done.
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38 Behold, the days come, says the Lord, when the city shall be built to the Lord from the tower of Anameel to the gate of the corner.
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39 And the measurement of it shall proceed in front of them as far as the hills of Gareb, and it shall be compassed with a circular wall of choice stones.
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40 And all the Asaremoth even to Nachal Kedron, as far as the corner of the horse-gate eastward, shall be holiness to the Lord; and it shall not fail any more, and shall not be destroyed for ever.
४०

< Jeremias 38 >