< Esias 20 >
1 In the year when Tanathan came to Azotus, when he was sent by Arna king of the Assyrians, and warred against Azotus, and took it;
जिस वर्ष अश्शूर के राजा सर्गोन ने सेनापति बनाया, उस वर्ष उसने अशदोद पर हमला कर उस पर अधिकार कर लिया—
2 then the Lord spoke to Esaias the son of Amos, saying, Go and take the sackcloth off your loins, and loose your sandals from off your feet, and do thus, going naked and barefoot.
उस समय याहवेह ने आमोज़ के पुत्र यशायाह से कहा, “जाओ, अपनी कमर से टाट खोल दो तथा अपने पांव के जूते उतार दो.” तब यशायाह वस्त्रहीन और नंगे पांव रहता था.
3 And the Lord said, As my servant Esaias has walked naked and barefoot three years, there shall be three years for signs and wonders to the Egyptians and Ethiopians;
तब याहवेह ने यह कहा, “जिस प्रकार मेरा सेवक यशायाह मिस्र और कूश के लिए एक नमूना बना वह तीन वर्ष तक वस्त्रहीन तथा नंगे पांव रहा,
4 for thus shall the king of the Assyrians lead the captivity of Egypt and the Ethiopians, young men and old, naked and barefoot, having the shame of Egypt exposed.
उसी प्रकार अश्शूर का राजा मिस्रियों और कूश देश के लोगों को बंधक बनाकर देश से निकाल देगा, सबको चाहे वे जवान हों, बूढ़े हों सबको बंधुआ बनाकर बिना वस्त्र और नंगे पांव ले जाएगा.
5 And the Egyptians being defeated shall be ashamed of the Ethiopians, in whom they had trusted; for they were their glory.
तब कूश के कारण जिस पर उनको आशा थी और मिस्र पर वे घमंड करते थे वे विनाश और लज्जित हो जाएंगे.
6 And they that dwell in this island shall say in that day, Behold, we trusted to flee to them for help, who could not save themselves from the king of the Assyrians: and how shall we be saved?
और उस समय समुद्रतट के किनारे रहनेवाले कहेंगे कि, ‘देखो जिस पर हमारी आशा थी और अपने आपको बचाने के लिये हम अश्शूर के राजा के पास जानेवाले थे! अब उनकी ही ऐसी दशा हो गई तो अब हम कैसे बचेंगे?’”