< Kings IV 3 >

1 And Joram the son of Achaab began to reign in Israel in the eighteenth year of Josaphat king of Juda, and he reigned twelve years.
यहूदा के राजा यहोशापात के राज्य के अठारहवें वर्ष में अहाब का पुत्र यहोराम सामरिया में राज्य करने लगा, और बारह वर्ष तक राज्य करता रहा।
2 And he did that which was evil in the sight of the Lord, only not as his father, nor as his mother: and he removed the pillars of Baal which his father had made.
उसने वह किया जो यहोवा की दृष्टि में बुरा था तो भी उसने अपने माता-पिता के बराबर नहीं किया वरन् अपने पिता की बनवाई हुई बाल के स्तम्भ को दूर किया।
3 Only he adhered to the sin of Jeroboam the son of Nabat, who made Israel to sin; he departed not from it.
तो भी वह नबात के पुत्र यारोबाम के ऐसे पापों में जैसे उसने इस्राएल से भी कराए लिपटा रहा और उनसे न फिरा।
4 And Mosa king of Moab was a sheep-master, and he rendered to the king of Israel in the beginning [of the year], a hundred thousand lambs, and a hundred thousand rams, with the wool.
मोआब का राजा मेशा बहुत सी भेड़-बकरियाँ रखता था, और इस्राएल के राजा को एक लाख बच्चे और एक लाख मेढ़ों का ऊन कर की रीति से दिया करता था।
5 And it came to pass, after the death of Achaab, that the king of Moab rebelled against the king of Israel.
जब अहाब मर गया, तब मोआब के राजा ने इस्राएल के राजा से बलवा किया।
6 And king Joram went forth in that day out of Samaria, and numbered Israel.
उस समय राजा यहोराम ने सामरिया से निकलकर सारे इस्राएल की गिनती ली।
7 And he went and sent to Josaphat king of Juda, saying, The king of Moab has rebelled against me: will you go with me against Moab to war? And he said, I will go up: you are as I, I am as you; as my people, so [is] your people, as my horses, so [are] your horses.
और उसने जाकर यहूदा के राजा यहोशापात के पास यह सन्देश भेजा, “मोआब के राजा ने मुझसे बलवा किया है, क्या तू मेरे संग मोआब से लड़ने को चलेगा?” उसने कहा, “हाँ मैं चलूँगा, जैसा तू वैसा मैं, जैसी तेरी प्रजा वैसी मेरी प्रजा, और जैसे तेरे घोड़े वैसे मेरे भी घोड़े हैं।”
8 And he said, What way shall I go up? and he said, The way of the wilderness of Edom.
फिर उसने पूछा, “हम किस मार्ग से जाएँ?” उसने उत्तर दिया, “एदोम के जंगल से होकर।”
9 And the king of Israel went, and the king of Juda, and the king of Edom: and they fetched a compass of seven days' journey; and there was no water for the army, and for the cattle that went with them.
तब इस्राएल का राजा, और यहूदा का राजा, और एदोम का राजा चले और जब सात दिन तक घूमकर चल चुके, तब सेना और उसके पीछे-पीछे चलनेवाले पशुओं के लिये कुछ पानी न मिला।
10 And the king of Israel said, Alas! that the Lord should have called the three kings on their way, to give them into the hand of Moab.
१०और इस्राएल के राजा ने कहा, “हाय! यहोवा ने इन तीन राजाओं को इसलिए इकट्ठा किया, कि उनको मोआब के हाथ में कर दे।”
11 And Josaphat said, Is there not here a prophet of the Lord, that we may enquire of the Lord by him? And one of the servants of the king of Israel answered and said, [There is] here Elisaie son of Saphat, who poured water on the hands of Eliu.
११परन्तु यहोशापात ने कहा, “क्या यहाँ यहोवा का कोई नबी नहीं है, जिसके द्वारा हम यहोवा से पूछें?” इस्राएल के राजा के किसी कर्मचारी ने उत्तर देकर कहा, “हाँ, शापात का पुत्र एलीशा जो एलिय्याह के हाथों को धुलाया करता था वह तो यहाँ है।”
12 And Josaphat said, He has the word of the Lord. And the king of Israel, and Josaphat king of Juda, and the king of Edom, went down to him.
१२तब यहोशापात ने कहा, “उसके पास यहोवा का वचन पहुँचा करता है।” तब इस्राएल का राजा और यहोशापात और एदोम का राजा उसके पास गए।
13 And Elisaie said to the king of Israel, What have I to do with you? go to the prophets of your father, and the prophets of your mother. And the king of Israel said to him, Has the Lord called the three kings to deliver them into the hands of Moab?
१३तब एलीशा ने इस्राएल के राजा से कहा, “मेरा तुझ से क्या काम है? अपने पिता के भविष्यद्वक्ताओं और अपनी माता के नबियों के पास जा।” इस्राएल के राजा ने उससे कहा, “ऐसा न कह, क्योंकि यहोवा ने इन तीनों राजाओं को इसलिए इकट्ठा किया, कि इनको मोआब के हाथ में कर दे।”
14 And Elisaie said, [As] the Lord of hosts before whom I stand lives, unless I regarded the presence of Josaphat the king of Juda, I would not have looked on you, nor seen you.
१४एलीशा ने कहा, “सेनाओं का यहोवा जिसके सम्मुख मैं उपस्थित रहा करता हूँ, उसके जीवन की शपथ यदि मैं यहूदा के राजा यहोशापात का आदरमान न करता, तो मैं न तो तेरी ओर मुँह करता और न तुझ पर दृष्टि करता।
15 And now fetch me a harper. And it came to pass, as the harper harped, that the hand of the Lord came upon him.
१५अब कोई बजानेवाला मेरे पास ले आओ।” जब बजानेवाला बजाने लगा, तब यहोवा की शक्ति एलीशा पर हुई
16 And he said, Thus says the Lord, Make this valley full of trenches.
१६और उसने कहा, “इस नाले में तुम लोग इतना खोदो, कि इसमें गड्ढे ही गड्ढे हो जाएँ।
17 For thus says the Lord, You shall not see wind, neither shall you see rain, yet this valley shall be filled with water, and you, and your flocks, and your cattle shall drink.
१७क्योंकि यहोवा यह कहता है, ‘तुम्हारे सामने न तो वायु चलेगी, और न वर्षा होगी; तो भी यह नदी पानी से भर जाएगी; और अपने गाय बैलों और पशुओं समेत तुम पीने पाओगे।
18 And this [is] a light [thing] in the eyes of the Lord: I will also deliver Moab into your hand.
१८और यह यहोवा की दृष्टि में छोटी सी बात है; यहोवा मोआब को भी तुम्हारे हाथ में कर देगा।
19 And you shall strike every strong city, and you shall cut down every good tree, and you shall stop all wells of water, and spoil every good piece [of land] with stones.
१९तब तुम सब गढ़वाले और उत्तम नगरों को नाश करना, और सब अच्छे वृक्षों को काट डालना, और जल के सब सोतों को भर देना, और सब अच्छे खेतों में पत्थर फेंककर उन्हें बिगाड़ देना।’”
20 And it came to pass in the morning, when the sacrifice was offered, that, behold! waters came from the way of Edom, and the land was filled with water.
२०सवेरे को अन्नबलि चढ़ाने के समय एदोम की ओर से जल बह आया, और देश जल से भर गया।
21 And all Moab heard that the three kings were come up to fight against them; and they cried out on every [side, even] all that were girded with a girdle, and they said, Ho! and stood upon the border.
२१यह सुनकर कि राजाओं ने हम से युद्ध करने के लिये चढ़ाई की है, जितने मोआबियों की अवस्था हथियार बाँधने योग्य थी, वे सब बुलाकर इकट्ठे किए गए, और सीमा पर खड़े हुए।
22 And they rose early in the morning, and the sun rose upon the waters, and Moab saw the waters on the opposite side red as blood.
२२सवेरे को जब वे उठे उस समय सूर्य की किरणें उस जल पर ऐसी पड़ीं कि वह मोआबियों के सामने की ओर से लहू सा लाल दिखाई पड़ा।
23 And they said, This [is] the blood of the sword; and the kings have fought, and each man has struck his neighbor; now then to the spoils, Moab.
२३तो वे कहने लगे, “वह तो लहू होगा, निःसन्देह वे राजा एक दूसरे को मारकर नाश हो गए हैं, इसलिए अब हे मोआबियों लूट लेने को जाओ।”
24 And they entered into the camp of Israel; and Israel arose and struck Moab, and they fled from before them; and they went on and struck Moab as they went.
२४और जब वे इस्राएल की छावनी के पास आए ही थे, कि इस्राएली उठकर मोआबियों को मारने लगे और वे उनके सामने से भाग गए; और वे मोआब को मारते-मारते उनके देश में पहुँच गए।
25 And they razed the cities, and cast every man his stone on every good piece [of land] and filled it; and they stopped every well, and cut down every good tree, until they left [only] the stones of the wall cast down; and the slingers compassed [the land], and struck it.
२५और उन्होंने नगरों को ढा दिया, और सब अच्छे खेतों में एक-एक पुरुष ने अपना-अपना पत्थर डालकर उन्हें भर दिया; और जल के सब सोतों को भर दिया; और सब अच्छे-अच्छे वृक्षों को काट डाला, यहाँ तक कि कीरहरासत के पत्थर तो रह गए, परन्तु उसको भी चारों ओर गोफन चलानेवालों ने जाकर मारा।
26 And the king of Moab saw that the battle prevailed against him; and he took with him seven hundred men that drew sword, to cut through to the king of Edom: and they could not.
२६यह देखकर कि हम युद्ध में हार चले, मोआब के राजा ने सात सौ तलवार रखनेवाले पुरुष संग लेकर एदोम के राजा तक पाँति चीरकर पहुँचने का यत्न किया परन्तु पहुँच न सका।
27 And he took his oldest son whom he had designed to reign in his stead, and offered him up for a whole burnt offering on the walls. And there was a great indignation against Israel; and they departed from him, and returned to their land.
२७तब उसने अपने जेठे पुत्र को जो उसके स्थान में राज्य करनेवाला था पकड़कर शहरपनाह पर होमबलि चढ़ाया। इस कारण इस्राएल पर बड़ा ही क्रोध हुआ, इसलिए वे उसे छोड़कर अपने देश को लौट गए।

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