< 1 Samuel 17 >
1 Now the Philistines gathered together their armies to battle, and were gathered together at Shochoh, which [belongeth] to Judah, and pitched between Shochoh and Azekah, in Ephes-dammim.
फिर फ़िलिस्तियों ने जंग के लिए अपनी फ़ौजें जमा' कीं, और यहूदाह के शहर शोको में इकट्ठे हुए और शोक़े और 'अजीक़ा के बीच अफ़सदम्मीम में ख़ैमाज़न हुए।
2 And Saul and the men of Israel were gathered together, and pitched by the valley of Elah, and set the battle in array against the Philistines.
और साऊल और इस्राईल के लोगों ने जमा' होकर एला की वादी में डेरे डाले और लड़ाई के लिए फ़िलिस्तियों के मुक़ाबिल सफ़ आराई की।
3 And the Philistines stood on a mountain on the one side, and Israel stood on a mountain on the other side: and [there was] a valley between them.
और एक तरफ़ के पहाड़ पर फ़िलिस्ती और दूसरी तरफ़ के पहाड़ पर बनी इस्राईल खड़े हुए और इन दोनों के बीच वादी थी।
4 And there went out a champion out of the camp of the Philistines, named Goliath, of Gath, whose height [was] six cubits and a span.
और फ़िलिस्तियों के लश्कर से एक पहलवान निकला जिसका नाम जाती जूलियत था, उसका क़द छ हाथ और एक बालिश्त था।
5 And [he had] an helmet of brass upon his head, and he [was] armed with a coat of mail; and the weight of the coat [was] five thousand shekels of brass.
और उसके सर पर पीतल का टोपा था, और वह पीतल ही की ज़िरह पहने हुए था जो तोल में पाँच हज़ार पीतल की मिस्क़ाल के बराबर थी।
6 And [he had] greaves of brass upon his legs, and a target of brass between his shoulders.
और उसकी टाँगों पर पीतल के दो साकपोश थे और उसके दोनों शानों के बीच पीतल की बरछी थी।
7 And the staff of his spear [was] like a weaver’s beam; and his spear’s head [weighed] six hundred shekels of iron: and one bearing a shield went before him.
और उसके भाले की छड़ ऐसी थी जैसे जुलाहे का शहतीर और उसके नेज़े का फ़ल छ: सौ मिस्क़ाल लोहे का था और एक शख़्स ढाल लिए हुए उसके आगे आगे चलता था।
8 And he stood and cried unto the armies of Israel, and said unto them, Why are ye come out to set [your] battle in array? [am] not I a Philistine, and ye servants to Saul? choose you a man for you, and let him come down to me.
वह खड़ा हुआ, और इस्राईल के लश्करों को पुकार कर उन से कहने लगा कि तुमने आकर जंग के लिए क्यूँ सफ आराई की? क्या मैं फ़िलिस्ती नहीं और तुम साऊल के ख़ादिम नहीं? इसलिए अपने लिए किसी शख़्स को चुनो जो मेरे पास उतर आए।
9 If he be able to fight with me, and to kill me, then will we be your servants: but if I prevail against him, and kill him, then shall ye be our servants, and serve us.
अगर वह मुझे से लड़ सके और मुझे क़त्ल कर डाले तो हम तुम्हारे ख़ादिम हो जाएँगे लेकिन अगर मैं उस पर ग़ालिब आऊँ और उसे क़त्ल कर डालूँ तो तुम हमारे ख़ादिम हो जाना और हमारी ख़िदमत करना।
10 And the Philistine said, I defy the armies of Israel this day; give me a man, that we may fight together.
फिर उस फ़िलिस्ती ने कहा कि मैं आज के दिन इस्राईली फ़ौजों की बे'इज़्ज़ती करता हूँ कोई जवान निकालो ताकि हम लड़ें।
11 When Saul and all Israel heard those words of the Philistine, they were dismayed, and greatly afraid.
जब साऊल और सब इस्राईलियों ने उस फ़िलिस्ती की बातें सुनीं, तो परेशान हुए और बहुत डर गए।
12 Now David [was] the son of that Ephrathite of Beth-lehem-judah, whose name [was] Jesse; and he had eight sons: and the man went among men [for] an old man in the days of Saul.
और दाऊद बैतल हम यहूदाह के उस इफ़्राती आदमी का बेटा था जिसका नाम यस्सी था, उसके आठ बेटे थे और वह ख़ुद साऊल के ज़माना के लोगों के बीच बुड्ढा और उम्र दराज़ था।
13 And the three eldest sons of Jesse went [and] followed Saul to the battle: and the names of his three sons that went to the battle [were] Eliab the firstborn, and next unto him Abinadab, and the third Shammah.
और यस्सी के तीन बड़े बेटे साऊल के पीछे पीछे जंग में गए थे और उसके तीनों बेटों के नाम जो जंग में गए थे यह थे इलियाब जो पहलौठा था, और दूसरा अबीनदाब और तीसरा सम्मा।
14 And David [was] the youngest: and the three eldest followed Saul.
और दाऊद सबसे छोटा था और तीनों बड़े बेटे साऊल के पीछे पीछे थे।
15 But David went and returned from Saul to feed his father’s sheep at Beth-lehem.
और दाऊद बैतलहम में अपने बाप की भेड़ बकरयाँ चराने को साऊल के पास से आया जाया करता था।
16 And the Philistine drew near morning and evening, and presented himself forty days.
और वह फ़िलिस्ती सुबह और शाम नज़दीक आता और चालिस दिन तक निकल कर आता रहा।
17 And Jesse said unto David his son, Take now for thy brethren an ephah of this parched [corn], and these ten loaves, and run to the camp to thy brethren;
और यस्सी ने अपने बेटे दाऊद से कहा कि “इस भुने अनाज में से एक ऐफ़ा और यह दस रोटियाँ अपने भाइयों के लिए लेकर इनको जल्द लश्कर गाह, में अपने भाइयों के पास पहुचा दे।
18 And carry these ten cheeses unto the captain of [their] thousand, and look how thy brethren fare, and take their pledge.
और उनके हज़ारी सरदार के पास पनीर की यह दस टिकियाँ लेजा और देख कि तेरे भाइयों का क्या हाल है, और उनकी कुछ निशानी ले आ।”
19 Now Saul, and they, and all the men of Israel, [were] in the valley of Elah, fighting with the Philistines.
और साऊल और वह भाई और सब इस्राईली जवान एला की वादी में फ़िलिस्तियों से लड़ रहे थे।
20 And David rose up early in the morning, and left the sheep with a keeper, and took, and went, as Jesse had commanded him; and he came to the trench, as the host was going forth to the fight, and shouted for the battle.
और दाऊद सुबह को सवेरे उठा, और भेड़ बकरियों को एक रखवाले के पास छोड़ कर यस्सी के हुक्म के मुताबिक़ सब कुछ लेकर रवाना हुआ, और जब वह लश्कर जो लड़ने जा रहा था, जंग के लिए ललकार रहा था, उस वक़्त वह छकड़ों के पड़ाव में पहुँचा।
21 For Israel and the Philistines had put the battle in array, army against army.
और इस्राईलियों और फ़िलिस्तियों ने अपने — अपने लश्कर को आमने सामने करके सफ़ आराई की।
22 And David left his carriage in the hand of the keeper of the carriage, and ran into the army, and came and saluted his brethren.
और दाऊद अपना सामान असबाब के निगहबान के हाथ में छोड़ कर आप लश्कर में दौड़ गया और जाकर अपने भाइयों से ख़ैर — ओ — 'आफ़ियत पूछी।
23 And as he talked with them, behold, there came up the champion, the Philistine of Gath, Goliath by name, out of the armies of the Philistines, and spake according to the same words: and David heard [them].
और वह उनसे बातें करता ही था कि देखो वह पहलवान जात का फ़िलिस्ती जिसका नाम जूलियत था फ़िलिस्ती सफ़ों में से निकला और उसने फिर वैसी ही बातें कहीं और दाऊद ने उनको सुना।
24 And all the men of Israel, when they saw the man, fled from him, and were sore afraid.
और सब इस्राईली जवान उस शख़्स को देख कर उसके सामने से भागे और बहुत डर गए।
25 And the men of Israel said, Have ye seen this man that is come up? surely to defy Israel is he come up: and it shall be, [that] the man who killeth him, the king will enrich him with great riches, and will give him his daughter, and make his father’s house free in Israel.
तब इस्राईली जवान ऐसा कहने लगे, “तुम इस आदमी को जो निकला है देखते हो? यक़ीनन यह इस्राईल की बे'इज़्ज़ती करने को आया है, इसलिए जो कोई उसको मार डाले उसे बादशाह बड़ी दौलत से माला माल करेगा और अपनी बेटी उसे ब्याह देगा, और उसके बाप के घराने को इस्राईल के बीच आज़ाद कर देगा।”
26 And David spake to the men that stood by him, saying, What shall be done to the man that killeth this Philistine, and taketh away the reproach from Israel? for who [is] this uncircumcised Philistine, that he should defy the armies of the living God?
और दाऊद ने उन लोगों से जो उसके पास खड़े थे पूछा कि जो शख़्स इस फ़िलिस्ती को मार कर यह नंग इस्राईल से दूर करे उस से क्या सुलूक किया जाएगा? क्यूँकि यह ना मख्तून फ़िलिस्ती होता कौन है कि वह जिंदा ख़ुदा की फ़ौजों की बे'इज़्ज़ती करे?
27 And the people answered him after this manner, saying, So shall it be done to the man that killeth him.
और लोगों ने उसे यही जवाब दिया कि उस शख़्स से जो उसे मार डाले यह सुलूक किया जाएगा।
28 And Eliab his eldest brother heard when he spake unto the men; and Eliab’s anger was kindled against David, and he said, Why camest thou down hither? and with whom hast thou left those few sheep in the wilderness? I know thy pride, and the naughtiness of thine heart; for thou art come down that thou mightest see the battle.
और उसके सब से बड़े भाई इलियाब ने उसकी बातों को जो वह लोगों से करता था सुना और इलयाब का ग़ुस्सा दाऊद पर भड़का और वह कहने लगा, “तू यहाँ क्यूँ आया है? और वह थोड़ी सी भेड़ बकरियाँ तूने जंगल में किस के पास छोड़ीं? मैं तेरे घमंड और तेरे दिल की शरारत से वाक़िफ़ हूँ, तु लड़ाई देखने आया है।”
29 And David said, What have I now done? [Is there] not a cause?
दाऊद ने कहा, “मैंने अब क्या किया? क्या बात ही नहीं हो रही है?”
30 And he turned from him toward another, and spake after the same manner: and the people answered him again after the former manner.
और वह उसके पास से फिर कर दूसरे की तरफ़ गया और वैसी ही बातें करने लगा और लोगों ने उसे फिर पहले की तरह जवाब दिया।
31 And when the words were heard which David spake, they rehearsed [them] before Saul: and he sent for him.
और जब वह बातें जो दाऊद ने कहीं सुनने में आईं तो उन्होंने साऊल के आगे उनका ज़िक्र किया और उसने उसे बुला भेजा।
32 And David said to Saul, Let no man’s heart fail because of him; thy servant will go and fight with this Philistine.
और दाऊद ने साऊल से कहा कि उस शख़्स की वजह से किसी का दिल न घबराए, तेरा ख़ादिम जाकर उस फ़िलिस्ती से लड़ेगा।
33 And Saul said to David, Thou art not able to go against this Philistine to fight with him: for thou [art but] a youth, and he a man of war from his youth.
साऊल ने दाऊद से कहा कि तू इस क़ाबिल नहीं कि उस फ़िलिस्ती से लड़ने को उसके सामने जाए; क्यूँकि तू महज़ लड़का है और वह अपने बचपन से जंगी जवान है।
34 And David said unto Saul, Thy servant kept his father’s sheep, and there came a lion, and a bear, and took a lamb out of the flock:
तब दाऊद ने साऊल को जवाब दिया कि तेरा ख़ादिम अपने बाप की भेड़ बकरियाँ चराता था और जब कभी कोई शेर या रीछ आकर झुंड में से कोई बर्रा उठा ले जाता।
35 And I went out after him, and smote him, and delivered [it] out of his mouth: and when he arose against me, I caught [him] by his beard, and smote him, and slew him.
तो मैं उसके पीछे पीछे जाकर उसे मारता और उसे उसके मुँह से छुड़ाता था और जब वह मुझ पर झपटता तो मैं उसकी दाढ़ी पकड़ कर उसे मारता और हलाक कर देता था।
36 Thy servant slew both the lion and the bear: and this uncircumcised Philistine shall be as one of them, seeing he hath defied the armies of the living God.
तेरे ख़ादिम ने शेर और रीछ दोनों को जान से मारा इसलिए यह नामख़तून फ़िलिस्ती उन में से एक की तरह होगा, इसलिए कि उसने ज़िन्दा ख़ुदा की फ़ौजों की बे'इज़्ज़ती की है।
37 David said moreover, The LORD that delivered me out of the paw of the lion, and out of the paw of the bear, he will deliver me out of the hand of this Philistine. And Saul said unto David, Go, and the LORD be with thee.
फिर दाऊद ने कहा, “ख़ुदावन्द ने मुझे शेर और रीछ के पंजे से बचाया, वही मुझको इस फ़िलिस्ती के हाथ से बचाएगा।” साऊल ने दाऊद से कहा, “जा ख़ुदावन्द तेरे साथ रहे।”
38 And Saul armed David with his armour, and he put an helmet of brass upon his head; also he armed him with a coat of mail.
तब साऊल ने अपने कपड़े दाऊद को पहनाए, और पीतल का टोप उसके सर पर रख्खा और उसे ज़िरह भी पहनाई।
39 And David girded his sword upon his armour, and he assayed to go; for he had not proved [it]. And David said unto Saul, I cannot go with these; for I have not proved [them]. And David put them off him.
और दाऊद ने उसकी तलवार अपने कपड़ों पर कस ली और चलने की कोशिश की क्यूँकि उसने इनको आजमाया नहीं था, तब दाऊद ने साऊल से कहा, “मैं इनको पहन कर चल नहीं सकता क्यूँकि मैंने इनको आजमाया नहीं है।” इसलिए दाऊद ने उन सबको उतार दिया।
40 And he took his staff in his hand, and chose him five smooth stones out of the brook, and put them in a shepherd’s bag which he had, even in a scrip; and his sling [was] in his hand: and he drew near to the Philistine.
और उसने अपनी लाठी अपने हाथ में ली, और उस नाला से पाँच चिकने — चिकने पत्थर अपने वास्ते चुन कर उनको चरवाहे के थैले में जो उसके पास था, या'नी झोले में डाल लिया, और उसका गोफ़न उसके हाथ में था फिर वह फ़िलिस्ती के नज़दीक चला।
41 And the Philistine came on and drew near unto David; and the man that bare the shield [went] before him.
और वह फ़िलिस्ती बढ़ा, और दाऊद के नज़दीक़ आया और उसके आगे — आगे उसका सिपर बरदार था।
42 And when the Philistine looked about, and saw David, he disdained him: for he was [but] a youth, and ruddy, and of a fair countenance.
और जब उस फ़िलिस्ती ने इधर उधर निगाह की और दाऊद को देखा तो उसे नाचीज़ जाना क्यूँकि वह महज़ लड़का था, और सुर्ख़रु और नाज़ुक चेहरे का था।
43 And the Philistine said unto David, [Am] I a dog, that thou comest to me with staves? And the Philistine cursed David by his gods.
तब फ़िलिस्ती ने दाऊद से कहा, “क्या मैं कुत्ता हूँ, जो तू लाठी लेकर मेरे पास आता है?” और उस फ़िलिस्ती ने अपने मा'बूदों का नाम लेकर दाऊद पर ला'नत की।
44 And the Philistine said to David, Come to me, and I will give thy flesh unto the fowls of the air, and to the beasts of the field.
और उस फ़िलिस्ती ने दाऊद से कहा, “तू मेरे पास आ, और मैं तेरा गोश्त हवाई परिंदों और जंगली जानवरों को दूँगा।”
45 Then said David to the Philistine, Thou comest to me with a sword, and with a spear, and with a shield: but I come to thee in the name of the LORD of hosts, the God of the armies of Israel, whom thou hast defied.
और दाऊद ने उस फ़िलिस्ती से कहा कि “तू तलवार भाला और बरछी लिए हुए मेरे पास आता है, लेकिन मैं रब्ब — उल — अफ़वाज के नाम से जो इस्राईल के लश्करों का ख़ुदा है, जिसकी तूने बे'इज़्ज़ती की है तेरे पास आता हूँ।
46 This day will the LORD deliver thee into mine hand; and I will smite thee, and take thine head from thee; and I will give the carcases of the host of the Philistines this day unto the fowls of the air, and to the wild beasts of the earth; that all the earth may know that there is a God in Israel.
और आज ही के दिन ख़ुदावन्द तुझको मेरे हाथ में कर देगा, और मैं तुझको मार कर तेरा सर तुझ पर से उतार लूँगा और मैं आज के दिन फ़िलिस्तियों के लश्कर की लाशें हवाई परिंदों और ज़मीन के जंगली जानवरों को दूँगा ताकि दुनिया जान ले कि इस्राईल में एक ख़ुदा है।
47 And all this assembly shall know that the LORD saveth not with sword and spear: for the battle [is] the LORD’s, and he will give you into our hands.
और यह सारी जमा'अत जान ले कि ख़ुदावन्द तलवार और भाले के ज़रिए' से नहीं बचाता इसलिए कि जंग तो ख़ुदावन्द की है, और वही तुमको हमारे हाथ में कर देगा।”
48 And it came to pass, when the Philistine arose, and came and drew nigh to meet David, that David hasted, and ran toward the army to meet the Philistine.
और ऐसा हुआ, कि जब वह फ़िलिस्ती उठा, और बढ़ कर दाऊद के मुक़ाबिला के लिए नज़दीक आया, तो दाऊद ने जल्दी की और लश्कर की तरफ़ उस फ़िलिस्ती से मुक़ाबिला करने को दौड़ा।
49 And David put his hand in his bag, and took thence a stone, and slang [it], and smote the Philistine in his forehead, that the stone sunk into his forehead; and he fell upon his face to the earth.
और दाऊद ने अपने थैले में अपना हाथ डाला और उस में से एक पत्थर लिया और गोफ़न में रख कर उस फ़िलिस्ती के माथे पर मारा और वह पत्थर उसके माथे के अंदर घुस गया और वह ज़मीन पर मुँह के बल गिर पड़ा।
50 So David prevailed over the Philistine with a sling and with a stone, and smote the Philistine, and slew him; but [there was] no sword in the hand of David.
इसलिए दाऊद उस गोफ़न और एक पत्थर से उस फ़िलिस्ती पर ग़ालिब आया और उस फ़िलिस्ती को मारा और क़त्ल किया और दाऊद के हाथ में तलवार न थी।
51 Therefore David ran, and stood upon the Philistine, and took his sword, and drew it out of the sheath thereof, and slew him, and cut off his head therewith. And when the Philistines saw their champion was dead, they fled.
और दाऊद दौड़ कर उस फ़िलिस्ती के ऊपर खड़ा हो गया, और उसकी तलवार पकड़ कर मियाँन से खींची और उसे क़त्ल किया और उसी से उसका सर काट डाला और फ़िलिस्तियों ने जो देखा कि उनका पहलवान मारा गया तो वह भागे।
52 And the men of Israel and of Judah arose, and shouted, and pursued the Philistines, until thou come to the valley, and to the gates of Ekron. And the wounded of the Philistines fell down by the way to Shaaraim, even unto Gath, and unto Ekron.
और इस्राईल और यहूदाह के लोग उठे और ललकार कर फ़िलिस्तियों को गई और 'अक़रून के फाटकों तक दौड़ाया और फ़िलिस्तियों में से जो ज़ख़्मी हुए थे वह शा'रीम के रास्ते में और जात और 'अक्रू़न तक गिरते गए।
53 And the children of Israel returned from chasing after the Philistines, and they spoiled their tents.
तब बनी इस्राईल फ़िलिस्तियों के पीछे से उलटे फिरे और उनके ख़ेमों को लूटा।
54 And David took the head of the Philistine, and brought it to Jerusalem; but he put his armour in his tent.
और दाऊद उस फ़िलिस्ती का सर लेकर उसे येरूशलेम में लाया और उसके हथियारों को उसने अपने डेरे में रख दिया।
55 And when Saul saw David go forth against the Philistine, he said unto Abner, the captain of the host, Abner, whose son [is] this youth? And Abner said, [As] thy soul liveth, O king, I cannot tell.
जब साऊल ने दाऊद को उस फ़िलिस्ती का मुक़ाबिला करने के लिए जाते देखा तो उसने लश्कर के सरदार अबनेर से पूछा अबनेर यह लड़का किसका बेटा है? अबनेर ने कहा, ऐ बादशाह तेरी जान की क़सम में नहीं जानता।
56 And the king said, Enquire thou whose son the stripling [is].
तब बादशाह ने कहा, तू मा'लूम कर कि यह नौजवान किस का बेटा है।
57 And as David returned from the slaughter of the Philistine, Abner took him, and brought him before Saul with the head of the Philistine in his hand.
और जब दाऊद उस फ़िलिस्ती को क़त्ल कर के फ़िरा तो अबनेर उसे लेकर साऊल के पास लाया और फ़िलिस्ती का सर उसके हाथ में था।
58 And Saul said to him, Whose son [art] thou, [thou] young man? And David answered, I [am] the son of thy servant Jesse the Beth-lehemite.
तब साऊल ने उससे कहा, “ऐ जवान तू किसका बेटा है?” दाऊद ने जवाब दिया, “मैं तेरे ख़ादिम बैतलहमी यस्सी का बेटा हूँ।”