< Psalms 52 >
1 Why boast you yourself in mischief, O mighty man? the goodness of God endures continually.
ऐ ज़बरदस्त, तू शरारत पर क्यूँ फ़ख़्र करता है? ख़ुदा की शफ़क़त हमेशा की है।
2 The tongue devises evil; like a sharp razor, working deceitfully.
तेरी ज़बान महज़ शरारत ईजाद करती है; ऐ दग़ाबाज़, वह तेज़ उस्तरे की तरह है।
3 You love evil more than good; and lying rather than to speak righteousness. (Selah)
तू बदी को नेकी से ज़्यादा पसंद करता है, और झूट को सदाक़त की बात से।
4 You love all devouring words, O you deceitful tongue.
ऐ दग़ाबाज़ ज़बान! तू मुहलिक बातों को पसंद करती है।
5 God shall likewise destroy you for ever, he shall take you away, and pluck you out of your dwelling place, and root you out of the land of the living. (Selah)
ख़ुदा भी तुझे हमेशा के लिए हलाक कर डालेगा; वह तुझे पकड़ कर तेरे ख़ेमे से निकाल फेंकेगा, और ज़िन्दों की ज़मीन से तुझे उखाड़ डालेगा। (सिलाह)
6 The righteous also shall see, and fear, and shall laugh at him:
सादिक़ भी इस बात को देख कर डर जाएँगे, और उस पर हँसेंगे,
7 Lo, this is the man that made not God his strength; but trusted in the abundance of his riches, and strengthened himself in his wickedness.
कि देखो, यह वही आदमी है जिसने ख़ुदा को अपनी पनाहगाह न बनाया, बल्कि अपने माल की ज़यादती पर भरोसा किया, और शरारत में पक्का हो गया।
8 But I am like a green olive tree in the house of God: I trust in the mercy of God for ever and ever.
लेकिन मैं तो ख़ुदा के घर में जैतून के हरे दरख़्त की तरह हूँ। मेरा भरोसा हमेशा से हमेशा तक ख़ुदा की शफ़क़त पर है।
9 I will praise you for ever, because you have done it: and I will wait on your name; for it is good before your saints.
मैं हमेशा तेरी शुक्रगुज़ारी करता रहूँगा, क्यूँकि तू ही ने यह किया है; और मुझे तेरे ही नाम की आस होगी, क्यूँकि वह तेरे पाक लोगों के नज़दीक खू़ब है।