< Psalms 73 >
1 BOOK III A Psalm of Asaph. Surely God is good to Israel, even to such as are pure in heart.
१आसाप का भजन सचमुच इस्राएल के लिये अर्थात् शुद्ध मनवालों के लिये परमेश्वर भला है।
2 But as for me, my feet were almost gone; my steps had well nigh slipped.
२मेरे डग तो उखड़ना चाहते थे, मेरे डग फिसलने ही पर थे।
3 For I was envious at the arrogant, when I saw the prosperity of the wicked.
३क्योंकि जब मैं दुष्टों का कुशल देखता था, तब उन घमण्डियों के विषय डाह करता था।
4 For there are no pangs at their death, and their body is sound.
४क्योंकि उनकी मृत्यु में वेदनाएँ नहीं होतीं, परन्तु उनका बल अटूट रहता है।
5 In the trouble of man they are not; neither are they plagued like men.
५उनको दूसरे मनुष्यों के समान कष्ट नहीं होता; और अन्य मनुष्यों के समान उन पर विपत्ति नहीं पड़ती।
6 Therefore pride is as a chain about their neck; violence covereth them as a garment.
६इस कारण अहंकार उनके गले का हार बना है; उनका ओढ़ना उपद्रव है।
7 Their eyes stand forth from fatness; they are gone beyond the imaginations of their heart.
७उनकी आँखें चर्बी से झलकती हैं, उनके मन की भावनाएँ उमड़ती हैं।
8 They scoff, and in wickedness utter oppression; they speak as if there were none on high.
८वे ठट्ठा मारते हैं, और दुष्टता से हिंसा की बात बोलते हैं; वे डींग मारते हैं।
9 They have set their mouth against the heavens, and their tongue walketh through the earth.
९वे मानो स्वर्ग में बैठे हुए बोलते हैं, और वे पृथ्वी में बोलते फिरते हैं।
10 Therefore His people return hither; and waters of fullness are drained out by them.
१०इसलिए उसकी प्रजा इधर लौट आएगी, और उनको भरे हुए प्याले का जल मिलेगा।
11 And they say: 'How doth God know? And is there knowledge in the Most High?'
११फिर वे कहते हैं, “परमेश्वर कैसे जानता है? क्या परमप्रधान को कुछ ज्ञान है?”
12 Behold, such are the wicked; and they that are always at ease increase riches.
१२देखो, ये तो दुष्ट लोग हैं; तो भी सदा आराम से रहकर, धन-सम्पत्ति बटोरते रहते हैं।
13 Surely in vain have I cleansed my heart, and washed my hands in innocency;
१३निश्चय, मैंने अपने हृदय को व्यर्थ शुद्ध किया और अपने हाथों को निर्दोषता में धोया है;
14 For all the day have I been plagued, and my chastisement came every morning.
१४क्योंकि मैं दिन भर मार खाता आया हूँ और प्रति भोर को मेरी ताड़ना होती आई है।
15 If I had said: 'I will speak thus', behold, I had been faithless to the generation of Thy children.
१५यदि मैंने कहा होता, “मैं ऐसा कहूँगा”, तो देख मैं तेरे सन्तानों की पीढ़ी के साथ छल करता।
16 And when I pondered how I might know this, it was wearisome in mine eyes;
१६जब मैं सोचने लगा कि इसे मैं कैसे समझूँ, तो यह मेरी दृष्टि में अति कठिन समस्या थी,
17 Until I entered into the sanctuary of God, and considered their end.
१७जब तक कि मैंने परमेश्वर के पवित्रस्थान में जाकर उन लोगों के परिणाम को न सोचा।
18 Surely Thou settest them in slippery places; Thou hurlest them down to utter ruin.
१८निश्चय तू उन्हें फिसलनेवाले स्थानों में रखता है; और गिराकर सत्यानाश कर देता है।
19 How are they become a desolation in a moment! They are wholly consumed by terrors.
१९वे क्षण भर में कैसे उजड़ गए हैं! वे मिट गए, वे घबराते-घबराते नाश हो गए हैं।
20 As a dream when one awaketh, so, O Lord, when Thou arousest Thyself, Thou wilt despise their semblance.
२०जैसे जागनेवाला स्वप्न को तुच्छ जानता है, वैसे ही हे प्रभु जब तू उठेगा, तब उनको छाया सा समझकर तुच्छ जानेगा।
21 For my heart was in a ferment, and I was pricked in my reins.
२१मेरा मन तो कड़वा हो गया था, मेरा अन्तःकरण छिद गया था,
22 But I was brutish, and ignorant; I was as a beast before Thee.
२२मैं अबोध और नासमझ था, मैं तेरे सम्मुख मूर्ख पशु के समान था।
23 Nevertheless I am continually with Thee; Thou holdest my right hand.
२३तो भी मैं निरन्तर तेरे संग ही था; तूने मेरे दाहिने हाथ को पकड़ रखा।
24 Thou wilt guide me with Thy counsel, and afterward receive me with glory.
२४तू सम्मति देता हुआ, मेरी अगुआई करेगा, और तब मेरी महिमा करके मुझ को अपने पास रखेगा।
25 Whom have I in heaven but Thee? And beside Thee I desire none upon earth.
२५स्वर्ग में मेरा और कौन है? तेरे संग रहते हुए मैं पृथ्वी पर और कुछ नहीं चाहता।
26 My flesh and my heart faileth; but God is the rock of my heart and my portion for ever.
२६मेरे हृदय और मन दोनों तो हार गए हैं, परन्तु परमेश्वर सर्वदा के लिये मेरा भाग और मेरे हृदय की चट्टान बना है।
27 For, lo, they that go far from Thee shall perish; Thou dost destroy all them that go astray from Thee.
२७जो तुझ से दूर रहते हैं वे तो नाश होंगे; जो कोई तेरे विरुद्ध व्यभिचार करता है, उसको तू विनाश करता है।
28 But as for me, the nearness of God is my good; I have made the Lord GOD my refuge, that I may tell of all Thy works.
२८परन्तु परमेश्वर के समीप रहना, यही मेरे लिये भला है; मैंने प्रभु यहोवा को अपना शरणस्थान माना है, जिससे मैं तेरे सब कामों को वर्णन करूँ।