< Romans 6 >

1 What shall we say then? Shall we continue still in sinne, that grace may abounde? God forbid.
पस हम क्या कहें? क्या गुनाह करते रहें ताकि फ़ज़ल ज़्यादा हो?
2 Howe shall we, that are dead to sinne, liue yet therein?
हरगिज़ नहीं हम जो गुनाह के ऐ'तिबार से मर गए क्यूँकर उस में फिर से ज़िन्दगी गुज़ारें?
3 Knowe ye not, that all we which haue bene baptized into Iesus Christ, haue bene baptized into his death?
क्या तुम नहीं जानते कि हम जितनों ने मसीह ईसा में शामिल होने का बपतिस्मा लिया तो उस की मौत में शामिल होने का बपतिस्मा लिया?
4 We are buried then with him by baptisme into his death, that like as Christ was raysed vp from the dead to the glorie of the Father, so we also should walke in newnesse of life.
पस मौत में शामिल होने के बपतिस्मे के वसीले से हम उसके साथ दफ़्न हुए ताकि जिस तरह मसीह बाप के जलाल के वसीले से मुर्दों में से जिलाया गया; उसी तरह हम भी नई ज़िन्दगी में चलें।
5 For if we be planted with him to the similitude of his death, euen so shall we be to the similitude of his resurrection,
क्यूँकि जब हम उसकी मुशाबहत से उसके साथ जुड़ गए, तो बेशक उसके जी उठने की मुशाबहत से भी उस के साथ जुड़े होंगे।
6 Knowing this, that our old man is crucified with him, that the body of sinne might be destroied, that henceforth we should not serue sinne.
चुनाँचे हम जानते हैं कि हमारी पूरानी इंसान ियत उसके साथ इसलिए मस्लूब की गई कि गुनाह का बदन बेकार हो जाए ताकि हम आगे को गुनाह की ग़ुलामी में न रहें।
7 For he that is dead, is freed from sinne.
क्यूँकि जो मरा वो गुनाह से बरी हुआ।
8 Wherefore, if we bee dead with Christ, we beleeue that we shall liue also with him,
पस जब हम मसीह के साथ मरे तो हमें यक़ीन है कि उसके साथ जिएँगे भी।
9 Knowing that Christ being raised from the dead, dieth no more: death hath no more dominion ouer him.
क्यूँकि ये जानते हैं कि मसीह जब मुर्दों में से जी उठा है तो फिर नहीं मरने का; मौत का फिर उस पर इख़्तियार नहीं होने का।
10 For in that hee died, hee died once to sinne but in that he liueth, he liueth to God.
क्यूँकि मसीह जो मरा गुनाह के ऐ'तिबार से एक बार मरा; मगर अब जो ज़िन्दा हुआ तो ख़ुदा के ऐ'तिबार से ज़िन्दा है।
11 Likewise thinke ye also, that ye are dead to sin, but are aliue to God in Iesus Christ our Lord.
इसी तरह तुम भी अपने आपको गुनाह के ऐ'तिबार से मुर्दा; मगर ख़ुदा के ए'तिबार से मसीह ईसा में ज़िन्दा समझो।
12 Let not sinne reigne therefore in your mortal body, that ye should obey it in ye lusts therof:
पस गुनाह तुम्हारे फ़ानी बदन में बादशाही न करे; कि तुम उसकी ख़्वाहिशों के ताबे रहो।
13 Neither giue ye your members, as weapons of vnrighteousnes vnto sinne: but giue your selues vnto God, as they that are aliue from the dead, and giue your members as weapons of righteousnesse vnto God.
और अपने आ'ज़ा नारास्ती के हथियार होने के लिए गुनाह के हवाले न करो; बल्कि अपने आपको मुर्दों में से ज़िन्दा जानकर ख़ुदा के हवाले करो और अपने आ'ज़ा रास्तबाज़ी के हथियार होने के लिए ख़ुदा के हवाले करो।
14 For sinne shall not haue dominion ouer you: for ye are not vnder ye Lawe, but vnder grace.
इसलिए कि गुनाह का तुम पर इख़्तियार न होगा; क्यूँकि तुम शरी'अत के मातहत नहीं बल्कि फ़ज़ल के मातहत हो।
15 What then? shall we sinne, because we are not vnder the Law, but vnder grace? God forbid.
पस क्या हुआ? क्या हम इसलिए गुनाह करें कि शरी'अत के मातहत नहीं बल्कि फ़ज़ल के मातहत हैं? हरगिज़ नहीं;
16 Knowe ye not, that to whomsoeuer yee giue your selues as seruats to obey, his seruants ye are to whom ye obey, whether it be of sinne vnto death, or of obedience vnto righteousnesse?
क्या तुम नहीं जानते, कि जिसकी फ़रमाँबरदारी के लिए अपने आप को ग़ुलामों की तरह हवाले कर देते हो, उसी के ग़ुलाम हो जिसके फ़रमाँबरदार हो चाहे गुनाह के जिसका अंजाम मौत है चाहे फ़रमाँबरदारी के जिस का अंजाम रास्तबाज़ी है?
17 But God be thanked, that ye haue beene the seruants of sinne, but yee haue obeyed from the heart vnto the forme of the doctrine, wherunto ye were deliuered.
लेकिन ख़ुदा का शुक्र है कि अगरचे तुम गुनाह के ग़ुलाम थे तोभी दिल से उस ता'लीम के फ़रमाँबरदार हो गए; जिसके साँचे में ढाले गए थे।
18 Being then made free from sinne, yee are made the seruants of righteousnesse.
और गुनाह से आज़ाद हो कर रास्तबाज़ी के ग़ुलाम हो गए।
19 I speake after the maner of man, because of the infirmitie of your flesh: for as yee haue giuen your members seruants to vncleannes and to iniquitie, to commit iniquitie, so now giue your mebers seruants vnto righteousnesse in holinesse.
मैं तुम्हारी इंसानी कमज़ोरी की वजह से इंसानी तौर पर कहता हूँ; जिस तरह तुम ने अपने आ'ज़ा बदकारी करने के लिए नापाकी और बदकारी की ग़ुलामी के हवाले किए थे उसी तरह अब अपने आ'ज़ा पाक होने के लिए रास्तबाज़ी की ग़ुलामी के हवाले कर दो।
20 For when ye were the seruants of sinne, ye were freed from righteousnesse.
क्यूँकि जब तुम गुनाह के ग़ुलाम थे, तो रास्तबाज़ी के ऐ'तिबार से आज़ाद थे।
21 What fruit had ye then in those things, whereof ye are nowe ashamed? For the ende of those things is death.
पस जिन बातों पर तुम अब शर्मिन्दा हो उनसे तुम उस वक़्त क्या फल पाते थे? क्यूँकि उन का अंजाम तो मौत है।
22 But now being freed from sinne, and made seruants vnto God, ye haue your fruit in holines, and the end, euerlasting life. (aiōnios g166)
मगर अब गुनाह से आज़ाद और ख़ुदा के ग़ुलाम हो कर तुम को अपना फल मिला जिससे पाकीज़गी हासिल होती है और इस का अंजाम हमेशा की ज़िन्दगी है। (aiōnios g166)
23 For the wages of sinne is death: but the gift of God is eternall life, through Iesus Christ our Lord. (aiōnios g166)
क्यूँकि गुनाह की मज़दूरी मौत है मगर ख़ुदा की बख़्शिश हमारे ख़ुदावन्द ईसा मसीह में हमेशा की ज़िन्दगी है। (aiōnios g166)

< Romans 6 >