< Genesis 50 >
1 Then Ioseph fell vpon his fathers face and wept vpon him, and kissed him.
१तब यूसुफ अपने पिता के मुँह पर गिरकर रोया और उसे चूमा।
2 And Ioseph commanded his seruantes the physicions, to enbaume his father, and the physicions enbaumed Israel.
२और यूसुफ ने उन वैद्यों को, जो उसके सेवक थे, आज्ञा दी कि उसके पिता के शव में सुगन्ध-द्रव्य भरे; तब वैद्यों ने इस्राएल के शव में सुगन्ध-द्रव्य भर दिए।
3 So fourtie dayes were accomplished (for so long did the dayes of them that were enbaumed last) and the Egyptians bewayled him seuentie dayes.
३और उसके चालीस दिन पूरे हुए, क्योंकि जिनके शव में सुगन्ध-द्रव्य भरे जाते हैं, उनको इतने ही दिन पूरे लगते है; और मिस्री लोग उसके लिये सत्तर दिन तक विलाप करते रहे।
4 And when the dayes of his mourning were past, Ioseph spake to the house of Pharaoh, saying, If I haue nowe found fauour in your eyes, speake, I pray you, in the eares of Pharaoh, and say,
४जब उसके विलाप के दिन बीत गए, तब यूसुफ फ़िरौन के घराने के लोगों से कहने लगा, “यदि तुम्हारे अनुग्रह की दृष्टि मुझ पर हो तो मेरी यह विनती फ़िरौन को सुनाओ,
5 My father made me sweare, saying, Loe, I die, bury me in my graue, which I haue made me in the land of Canaan: now therefore let me go, I pray thee, and bury my father, and I wil come againe.
५मेरे पिता ने यह कहकर, ‘देख मैं मरने पर हूँ,’ मुझे यह शपथ खिलाई, ‘जो कब्र मैंने अपने लिये कनान देश में खुदवाई है उसी में तू मुझे मिट्टी देगा।’ इसलिए अब मुझे वहाँ जाकर अपने पिता को मिट्टी देने की आज्ञा दे, तत्पश्चात् मैं लौट आऊँगा।”
6 Then Pharaoh said, Goe vp and bury thy father, as he made thee to sweare.
६तब फ़िरौन ने कहा, “जाकर अपने पिता की खिलाई हुई शपथ के अनुसार उसको मिट्टी दे।”
7 So Ioseph went vp to bury his father, and with him went all the seruants of Pharaoh, both the elders of his house, and all the elders of the land of Egypt.
७इसलिए यूसुफ अपने पिता को मिट्टी देने के लिये चला, और फ़िरौन के सब कर्मचारी, अर्थात् उसके भवन के पुरनिये, और मिस्र देश के सब पुरनिये उसके संग चले।
8 Likewise all the house of Ioseph, and his brethren, and his fathers house: onely their children, and their sheepe, and their cattell left they in the land of Goshen.
८और यूसुफ के घर के सब लोग, और उसके भाई, और उसके पिता के घर के सब लोग भी संग गए; पर वे अपने बाल-बच्चों, और भेड़-बकरियों, और गाय-बैलों को गोशेन देश में छोड़ गए।
9 And there went vp with him both charets and horsemen: and they were an exceeding great company.
९और उसके संग रथ और सवार गए, इस प्रकार भीड़ बहुत भारी हो गई।
10 And they came to Goren Atad, which is beyond Iorden, and there they made a great and exceeding sore lamentation: and he mourned for his father seuen dayes.
१०जब वे आताद के खलिहान तक, जो यरदन नदी के पार है, पहुँचे, तब वहाँ अत्यन्त भारी विलाप किया, और यूसुफ ने अपने पिता के लिये सात दिन का विलाप कराया।
11 And when the Canaanites the inhabitants of the lande sawe the mourning in Goren Atad, they sayde, This is a great mourning vnto the Egyptians: wherefore the name thereof was called Abel Mizraim, which is beyond Iorden.
११आताद के खलिहान में के विलाप को देखकर उस देश के निवासी कनानियों ने कहा, “यह तो मिस्रियों का कोई भारी विलाप होगा।” इसी कारण उस स्थान का नाम आबेलमिस्रैम पड़ा, और वह यरदन के पार है।
12 So his sonnes did vnto him, according as he had commanded them:
१२इस्राएल के पुत्रों ने ठीक वही काम किया जिसकी उसने उनको आज्ञा दी थी:
13 For his sonnes caried him into the lande of Canaan, and buried him in the caue of the fielde of Machpelah, which caue Abraham bought with the fielde, to be a place to bury in, of Ephron the Hittite besides Mamre.
१३अर्थात् उन्होंने उसको कनान देश में ले जाकर मकपेला की उस भूमिवाली गुफा में, जो मम्रे के सामने हैं, मिट्टी दी; जिसको अब्राहम ने हित्ती एप्रोन के हाथ से इसलिए मोल लिया था, कि वह कब्रिस्तान के लिये उसकी निज भूमि हो।
14 Then Ioseph returned into Egypt, he and his brethren, and al that went vp with him to bury his father, after that he had buried his father.
१४अपने पिता को मिट्टी देकर यूसुफ अपने भाइयों और उन सब समेत, जो उसके पिता को मिट्टी देने के लिये उसके संग गए थे, मिस्र लौट आया।
15 And when Iosephs brethren saw that their father was dead, they sayde, It may be that Ioseph will hate vs, and will pay vs againe all the euill, which we did vnto him.
१५जब यूसुफ के भाइयों ने देखा कि हमारा पिता मर गया है, तब कहने लगे, “कदाचित् यूसुफ अब हमारे पीछे पडे़, और जितनी बुराई हमने उससे की थी सब का पूरा बदला हम से ले।”
16 Therefore they sent vnto Ioseph, saying, Thy father commanded before his death, saying,
१६इसलिए उन्होंने यूसुफ के पास यह कहला भेजा, “तेरे पिता ने मरने से पहले हमें यह आज्ञा दी थी,
17 Thus shall ye say vnto Ioseph, Forgiue now, I pray thee, the trespasse of thy brethren, and their sinne: for they rewarded thee euil. And nowe, we pray thee, forgiue the trespasse of the seruants of thy fathers God. And Ioseph wept, when they spake vnto him.
१७‘तुम लोग यूसुफ से इस प्रकार कहना, कि हम विनती करते हैं, कि तू अपने भाइयों के अपराध और पाप को क्षमा कर; हमने तुझ से बुराई की थी, पर अब अपने पिता के परमेश्वर के दासों का अपराध क्षमा कर।’” उनकी ये बातें सुनकर यूसुफ रो पड़ा।
18 Also his brethren came vnto him, and fell downe before his face, and sayde, Beholde, we be thy seruants.
१८और उसके भाई आप भी जाकर उसके सामने गिर पड़े, और कहा, “देख, हम तेरे दास हैं।”
19 To whome Ioseph sayde, Feare not: for am not I vnder God?
१९यूसुफ ने उनसे कहा, “मत डरो, क्या मैं परमेश्वर की जगह पर हूँ?
20 When ye thought euill against mee, God disposed it to good, that he might bring to passe, as it is this day, and saue much people aliue.
२०यद्यपि तुम लोगों ने मेरे लिये बुराई का विचार किया था; परन्तु परमेश्वर ने उसी बात में भलाई का विचार किया, जिससे वह ऐसा करे, जैसा आज के दिन प्रगट है, कि बहुत से लोगों के प्राण बचे हैं।
21 Feare not nowe therefore, I will nourish you, and your children: and hee comforted them, and spake kindly vnto them.
२१इसलिए अब मत डरो: मैं तुम्हारा और तुम्हारे बाल-बच्चों का पालन-पोषण करता रहूँगा।” इस प्रकार उसने उनको समझा-बुझाकर शान्ति दी।
22 So Ioseph dwelt in Egypt, he, and his fathers house: and Ioseph liued an hundreth and tenne yeere.
२२यूसुफ अपने पिता के घराने समेत मिस्र में रहता रहा, और यूसुफ एक सौ दस वर्ष जीवित रहा।
23 And Ioseph saw Ephraims children, euen vnto the third generation: also the sonnes of Machir the sonne of Manasseh were brought vp on Iosephs knees.
२३और यूसुफ एप्रैम के परपोतों तक को देखने पाया और मनश्शे के पोते, जो माकीर के पुत्र थे, वे उत्पन्न हुए और यूसुफ ने उन्हें गोद में लिया।
24 And Ioseph sayd vnto his brethren, I am ready to dye, and God will surely visite you, and bring you out of this land, vnto ye land which hee sware vnto Abraham, vnto Izhak, and vnto Iaakob.
२४यूसुफ ने अपने भाइयों से कहा, “मैं तो मरने पर हूँ; परन्तु परमेश्वर निश्चय तुम्हारी सुधि लेगा, और तुम्हें इस देश से निकालकर उस देश में पहुँचा देगा, जिसके देने की उसने अब्राहम, इसहाक, और याकूब से शपथ खाई थी।”
25 And Ioseph tooke an othe of the children of Israel, saying, God will surely visite you, and ye shall cary my bones hence.
२५फिर यूसुफ ने इस्राएलियों से यह कहकर कि परमेश्वर निश्चय तुम्हारी सुधि लेगा, उनको इस विषय की शपथ खिलाई, “हम तेरी हड्डियों को यहाँ से उस देश में ले जाएँगे।”
26 So Ioseph died, when he was an hundreth and ten yere olde: and they enbaumed him and put him in a chest in Egypt.
२६इस प्रकार यूसुफ एक सौ दस वर्ष का होकर मर गया: और उसके शव में सुगन्ध-द्रव्य भरे गए, और वह शव मिस्र में एक शवपेटी में रखा गया।