< Psalms 124 >

1 A song for pilgrims going up to Jerusalem. A psalm of David. If the Lord hadn't been for us, what would have happened? Let everyone in Israel say:
आराधना के लिए यात्रियों का गीत. दावीद की रचना. यदि हमारे पक्ष में याहवेह न होते— इस्राएली राष्ट्र यही कहे—
2 If the Lord hadn't been for us, what would have happened when people came and attacked us?
यदि हमारे पक्ष में याहवेह न होते जब मनुष्यों ने हम पर आक्रमण किया था,
3 They would have swallowed us alive when their anger raged against us.
जब उनका क्रोध हम पर भड़क उठा था वे हमें जीवित ही निगल गए होते;
4 Like a flood they would have swept over us; like a rushing torrent they would have submerged us.
बाढ़ ने हमें जलमग्न कर दिया होता, जल प्रवाह हमें बहा ले गया होता,
5 They would have rushed over us like raging waters, drowning us.
उग्र जल प्रवाह हमें दूर बहा ले गया होता.
6 Praise the Lord, who didn't hand us over to them as prey to be ripped apart by their teeth.
स्तवन हो याहवेह का, जिन्होंने हमें उनके दांतों से फाड़े जाने से बचा लिया है.
7 We escaped from them like a bird flying out of a hunter's trap. The trap was broken and we flew away!
हम उस पक्षी के समान हैं, जो बहेलिए के जाल से बच निकला है; वह जाल टूट गया, और हम बच निकले.
8 Our help comes from the Lord, who made heaven and earth.
हमारी सहायता याहवेह के नाम से है, जो स्वर्ग और पृथ्वी के कर्ता हैं.

< Psalms 124 >