< Exodus 8 >

1 Then the Lord told Moses, “Go and see Pharaoh and say to him, ‘This is what the Lord says: Let my people go, so that they can worship me.
फिर याहवेह ने मोशेह से कहा, “फ़रोह से कहो कि, याहवेह की ओर से यह आदेश है, ‘मेरे लोगों को जाने दो, ताकि वे मेरी वंदना कर सकें.
2 If you refuse to let them leave, I will send a plague of frogs all over your country.
यदि तुम उन्हें जाने न दोगे, तो पूरा देश मेंढकों से भर जायेगा.
3 They will swarm out of the Nile, and they will enter your palace and get into your bedroom and jump onto your bed. They will get into the houses of your officials and jump around your people—even into your ovens and breadmaking bowls.
नील नदी मेंढकों से भर जाएगी, मेंढक नदी में से निकलकर तुम्हारे घरों में, तुम्हारे बिछौनों पर, तुम्हारे सेवकों के घरों में और पूरी प्रजा के घरों में भी भर जाएंगे—यहां तक कि तुम्हारे तंदूरों में तथा तुम्हारे आटा गूंथने के बर्तनों में भी भर जायेंगे!
4 Frogs will jump all over you, your people, and all your officials.’”
तुम पर, तुम्हारी प्रजा पर तथा तुम्हारे सभी सेवकों पर मेढक चढ़ जायेंगे.’”
5 The Lord said to Moses, “Tell Aaron, ‘Hold out your walking stick in your hand over the rivers and canals and ponds, and make frogs spread over Egypt.’”
फिर याहवेह ने मोशेह से कहा, “अहरोन से कहो, ‘अपने हाथ में वह लाठी लेकर उसे नदियों, तालाबों तथा नालों की ओर बढ़ाए, ताकि मेंढक मिस्र देश में भर जाएं.’”
6 So Aaron held out his hand over the waters of Egypt, and frogs came up and covered the land.
तब अहरोन ने यही किया. मेंढक ऊपर तक आ गए तथा समस्त मिस्र देश पर छा गए.
7 But the Egyptian magicians did the same thing using their magic arts. They brought up frogs in Egypt.
जादूगरों ने भी अपनी गुप्‍त कला से वही कर दिखाया, वे भी मिस्र देश में मेंढक ले आए.
8 Pharaoh called for Moses and Aaron and pleaded with them, “Pray to the Lord, and ask him to take away the frogs from me and my people. Then I will let your people go so they can offer sacrifices to the Lord.”
फ़रोह ने मोशेह तथा अहरोन को बुलवाया और उनसे कहा, “याहवेह से बिनती करो कि वह इन मेंढकों को मुझसे तथा मेरी प्रजा से दूर कर दें, तब मैं तुम लोगों को यहां से जाने दूंगा, ताकि याहवेह को बलि चढ़ा सको.”
9 “You may have the honor of deciding when I'll pray for you, your officials, and your people that the frogs will be removed from you and your houses. They will remain only in the Nile.”
मोशेह ने फ़रोह को उत्तर दिया, “तुम ही मुझे बताओ कि कब मैं आपके लिये प्रार्थना करूं कि ये मेंढक तुम्हारे तथा तुम्हारे घरों से निकल जाएं और सिर्फ नील नदी में रह जाएं?”
10 “Do it tomorrow,” Pharaoh replied. Moses said, “It will happen as you have requested so you will know that there is no one like the Lord our God.
फ़रोह ने जवाब दिया, “कल प्रार्थना करना.” मोशेह बोले, “वैसा ही होगा, जैसा तुमने कहा है, ताकि तुमको यह मालूम हो जाए, कि याहवेह, हमारे परमेश्वर, के तुल्य दूसरा कोई नहीं है.
11 The frogs will leave you and your houses, your officials and your people, and they will remain only in the Nile.”
मेंढक तुमसे, तुम्हारे घरों से, तुम्हारे सेवकों तथा तुम्हारी प्रजा से दूर कर दिए जाएंगे और केवल नील नदी में दिखेंगे.”
12 Moses and Aaron left Pharaoh, and Moses pleaded with the Lord about the frogs he had sent against Pharaoh.
यह कहकर मोशेह तथा अहरोन फ़रोह के पास से चले गए. फिर मोशेह ने मेढकों के जाने के बारे में जैसा फ़रोह ने कहा था, याहवेह से प्रार्थना की.
13 The Lord did as Moses asked. The frogs in the houses, the courtyards, and the fields died.
याहवेह ने मोशेह की बात मानी, और घरों से, महल तथा खेतों के सब मेंढक मर गये.
14 The people collected them in pile upon pile, and the whole country smelled terrible.
तब लोगों ने मरे हुए सब मेंढकों को एक तरफ इकट्ठा किया, जिससे पूरे देश में बदबू फैल गई.
15 But when Pharaoh realized the plague had passed he chose to become hard and stubborn again, wouldn't listen to Moses and Aaron, just as the Lord had predicted.
जैसे ही फ़रोह ने यह देखा कि मेंढक सब मर गये और परेशानी सब दूर हो गई, उसने अपना मन फिर कठोर कर लिया और उनकी बात नहीं सुनी.
16 The Lord said to Moses, “Tell Aaron, ‘Pick up your walking stick and hit the dust of the ground. The dust will become gnats swarming all over Egypt.’”
फिर याहवेह ने मोशेह से कहा, “अहरोन से कहो कि वह अपनी लाठी बढ़ाए तथा ज़मीन पर मारे, ताकि पूरा मिस्र देश पिस्सुओं से भर जायें.”
17 They did what the Lord said. When Aaron lifted up his walking stick and hit the dust of the earth, gnats swarmed over both people and animals. The dust in the whole of Egypt turned into gnats.
अहरोन ने लाठी को ज़मीन पर मारा, जिससे पिस्सू मनुष्यों एवं पशुओं पर छा गए और पूरे मिस्र देश की भूमि की धूल पिस्सू बन गई.
18 The magicians also tried to make gnats using their magic arts, but they couldn't. The gnats stayed on both people and animals.
ऐसा ही जादू-टोना दिखाने वाले जादूगरों ने भी करने की कोशिश की, लेकिन नहीं कर पाये; तब मनुष्यों एवं पशुओं को पिस्सू ने परेशान कर दिया.
19 “This is an act of God,” the magicians told Pharaoh. But Pharaoh chose to be stubbornly hard-hearted, and he wouldn't listen to Moses and Aaron, just as the Lord had predicted.
तब जादूगरों ने फ़रोह से कहा “यह तो सचमुच परमेश्वर का काम है!” इस पर फ़रोह का मन और कठोर हो गया, जैसा याहवेह ने कहा था, इसलिये उसने उनकी ओर ध्यान नहीं दिया.
20 The Lord told Moses, “Tomorrow morning get up early and block Pharaoh's way as he walks down to the river. Tell him, ‘This is what the Lord says: Let my people go, so that they can worship me.
फिर याहवेह ने मोशेह से कहा, “सुबह जल्दी उठकर फ़रोह से मिलने जाना जब वह नदी की ओर जाए तब उससे कहना, ‘याहवेह का आदेश है: मेरे लोगों को जाने दे, कि वे मेरी आराधना करें.
21 If you don't let my people leave, I will send swarms of flies on you and your officials, and on your people and your houses. Every Egyptian house and even the ground on which they stand will be filled with swarms of flies.
अगर तुम मेरी प्रजा को जाने न दो, तो मैं तुम पर, तुम्हारे सेवकों, तुम्हारी प्रजा तथा तुम्हारे घरों में कीटों के झुंड को भेजूंगा. मिस्र के लोगों का घर और पूरा मिस्र कीटों से भर जाएगा.
22 However, on this occasion I will treat the land of Goshen differently—that's where my people live—there won't be any swarms of flies there. This is how you will know that I, the Lord, am here in your country.
“‘लेकिन गोशेन देश, जहां मेरी प्रजा रहती है; वहां कीट नहीं होगा, ताकि तुम्हें यह मालूम हो जाए कि मैं, याहवेह हूं, और इस देश में मेरा अधिकार है.
23 I will distinguish my people from your people. You will see this sign that confirms it tomorrow.”
मैं कल अपनी प्रजा तथा तुम्हारी प्रजा को अलग कर दूंगा.’”
24 The Lord did what he had said. Huge swarms of flies swept into Pharaoh's palace and into the houses of his officials. The whole of Egypt was devastated because of these swarms of flies.
अगले दिन याहवेह ने वही किया. फ़रोह के राजमहल में तथा उसके सेवकों के घरों को, कीटों से भर दिया. पूरा मिस्र देश कीटों के कारण नाश हो गया.
25 Pharaoh called for Moses and Aaron and told them, “Go and offer sacrifices to your God here in this country.”
फ़रोह ने मोशेह तथा अहरोन को बुलवाया और उनसे कहा कि तुम लोग जाओ और “अपने परमेश्वर को बलि चढ़ाओ, लेकिन मिस्र में ही रहना इससे बाहर मत जाना.”
26 “No, that wouldn't be the right thing to do,” Moses replied. “The sacrifices we offer to the Lord our God would be offensive to Egyptians. If we went ahead and offered sacrifices offensive to Egyptians, they'd stone us!
लेकिन मोशेह ने जवाब दिया, “हम, याहवेह अपने परमेश्वर को बलि मिस्र में रहकर नहीं कर सकते हैं. यदि हम मिस्रियों के सामने बलि अर्पण करेंगे, तो क्या वे हमारा पथराव न कर देंगे?
27 We must make a three-day journey into the wilderness and offer sacrifices there to the Lord our God as he has told us.”
हमें तो निर्जन देश में तीन दिन की दूरी पर जाना ही होगा, कि हम वहां याहवेह, अपने परमेश्वर, को उन्हीं के आदेश के अनुसार बलि अर्पित कर सकें.”
28 “I'll let you go and offer sacrifices to the Lord your God in the desert, but don't go very far,” Pharaoh answered. “Now pray for me that this plague ends.”
फ़रोह ने उत्तर दिया, “ठीक है, मैं तुम्हें जाने देता हूं, कि तुम निर्जन प्रदेश में जाकर याहवेह, अपने परमेश्वर को बलि चढ़ाओ, लेकिन बहुत दूर न जाना. वहां मेरे लिए भी प्रार्थना करना.”
29 “As soon as I leave you, I will pray to the Lord,” Moses replied, “and tomorrow the flies will leave Pharaoh and his officials and his people. But Pharaoh should be sure not to be deceitful again and refuse to let the people go and offer sacrifices to the Lord.”
यह सुन मोशेह ने उत्तर दिया, “अब मैं यहां से जा रहा हूं. और मैं याहवेह से बिनती करूंगा, कि कीटों को फ़रोह, उसके सेवकों तथा उसकी प्रजा से दूर कर दें; ऐसा न हो कि फ़रोह वापस चालाकी से प्रजा को रोकने की कोशिश करे.”
30 Moses left Pharaoh and prayed to the Lord,
तब मोशेह फ़रोह के पास से चले गए और याहवेह से बिनती की और
31 and the Lord did as Moses asked, and removed the swarms of flies from Pharaoh and his officials and his people. Not a single fly remained.
याहवेह ने कीटों के समूहों को फ़रोह, उसके सेवकों तथा उसकी प्रजा से हटा लिया, और एक भी न बचा.
32 But once again Pharaoh chose to be stubbornly hard-hearted and would not let the people leave.
फिर फ़रोह ने अपना मन कठोर कर लिया और प्रजा को जाने नहीं दिया.

< Exodus 8 >