< Psalms 67 >

1 Unto the end, in, hymns, a psalm of a canticle for David. May God have mercy on us, and bless us: may he cause the light of his countenance to shine upon us, and may he have mercy on us.
ख़ुदा हम पर रहम करे और हम को बरक़त बख़्शे; और अपने चेहरे को हम पर जलवागर फ़रमाए, (सिलाह)
2 That we may know thy way upon earth: thy salvation in all nations.
ताकि तेरी राह ज़मीन पर ज़ाहिर हो जाए, और तेरी नजात सब क़ौमों पर।
3 Let people confess to thee, O God: let all people give praise to thee.
ऐ ख़ुदा! लोग तेरी ता'रीफ़ करें; सब लोग तेरी ता'रीफ़ करें।
4 Let the nations be glad and rejoice: for thou judgest the people with justice, and directest the nations upon earth.
उम्मते ख़ुश हों और ख़ुशी से ललकारें, क्यूँकि तू रास्ती से लोगों की 'अदालत करेगा, और ज़मीन की उम्मतों पर हुकूमत करेगा (सिलाह)
5 Let the people, O God, confess to thee: let all the people give praise to thee:
ऐ ख़ुदा! लोग तेरी ता'रीफ़ करें; सब लोग तेरी ता'रीफ़ करें।
6 The earth hath yielded her fruit. May God, our God bless us,
ज़मीन ने अपनी पैदावार दे दी, ख़ुदा या'नी हमारा ख़ुदा हम को बरकत देगा।
7 May God bless us: and all the ends of the earth fear him.
ख़ुदा हम को बरकत देगा; और ज़मीन की इन्तिहा तक सब लोग उसका डर मानेंगे।

< Psalms 67 >