< Psalms 136 >
1 Praise the Lord, for he is good: for his mercy endureth for ever.
ख़ुदावन्द का शुक्र करो, क्यूँकि वह भला है, कि उसकी शफ़क़त हमेशा की है।
2 Praise ye the God of gods: for his mercy endureth for ever.
इलाहों के ख़ुदा का शुक्र करो, कि उसकी शफ़क़त हमेशा की है।
3 Praise ye the Lord of lords: for his mercy endureth for ever.
मालिकों के मालिक का शुक्र करो, कि उसकी शफ़क़त हमेशा की है।
4 Who alone doth great wonders: for his mercy endureth for ever.
उसी का जो अकेला बड़े बड़े 'अजीब काम करता है, कि उसकी शफ़क़त हमेशा कीहै।
5 Who made the heavens in understanding: for his mercy endureth for ever.
उसी का जिसने 'अक़्लमन्दी से आसमान बनाया, कि उसकी शफ़क़त हमेशा कीहै।
6 Who established the earth above the waters: for his mercy endureth for ever.
उसी का जिसने ज़मीन को पानी पर फैलाया, कि उसकी शफ़क़त हमेशा कीहै।
7 Who made the great lights: for his mercy endureth for ever.
उसी का जिसने बड़े — बड़े सितारे बनाए, कि उसकी शफ़क़त हमेशा की है।
8 The sun to rule over the day: for his mercy endureth for ever.
दिन को हुकूमत करने के लिए आफ़ताब, कि उसकी शफ़क़त हमेशा की है।
9 The moon and the stars to rule the night: for his mercy endureth for ever.
रात को हुकूमत करने के लिए माहताब और सितारे, कि उसकी शफ़क़त हमेशा की है।
10 Who smote Egypt with their firstborn: for his mercy endureth for ever.
उसी का जिसने मिस्र के पहलौठों को मारा, कि उसकी शफ़क़त हमेशाकी है।
11 Who brought Israel from among them: for his mercy endureth for ever.
और इस्राईल को उनमें से निकाल लाया, कि उसकी शफ़क़त हमेशा कीहै।
12 With a mighty hand and a stretched out arm: for his mercy endureth for ever.
क़वी हाथ और बलन्द बाज़ू से, कि उसकी शफ़क़त हमेशा की है।
13 Who divided the Red Sea into parts: for his mercy endureth for ever.
उसी का जिसने बहर — ए — कु़लजु़म को दो हिस्से कर दिया, कि उसकी शफ़क़त हमेशा की है।
14 And brought out Israel through the midst thereof: for his mercy endureth for ever.
और इस्राईल को उसमें से पार किया, कि उसकी शफ़क़त हमेशा की है।
15 And overthrew Pharao and his host in the Red Sea: for his mercy endureth for ever.
लेकिन फ़िर'औन और उसके लश्कर को बहर — ए — कु़लजु़म में डाल दिया, कि उसकी शफ़क़त हमेशा की है।
16 Who led his people through the desert: for his mercy endureth for ever.
उसी का जो वीरान में अपने लोगों का राहनुमा हुआ, कि उसकी शफ़क़त हमेशा की है।
17 Who smote great kings: for his mercy endureth for ever.
उसी का जिसने बड़े — बड़े बादशाहों को मारा, कि उसकी शफ़क़त हमेशा की है;
18 And slew strong kings: for his mercy endureth for ever.
और नामवर बादशाहों को क़त्ल किया, कि उसकी शफ़क़त हमेशा की है।
19 Sehon king of the Amorrhites: for his mercy endureth for ever.
अमोरियों के बादशाह सीहोन को, कि उसकी शफ़क़त हमेशा की है।
20 And Og king of Basan: for his mercy endureth for ever.
और बसन के बादशाह 'ओज की, कि उसकी शफ़क़त हमेशा की है;
21 And he gave their land for an inheritance: for his mercy endureth for ever.
और उनकी ज़मीन मीरास कर दी, कि उसकी शफ़क़त हमेशा की है;
22 For an inheritance to his servant Israel: for his mercy endureth for ever.
या'नी अपने बन्दे इस्राईल की मीरास, कि उसकी शफ़क़त हमेशा की है।
23 For he was mindful of us in our affliction: for his mercy endureth for ever.
जिसने हमारी पस्ती में हम को याद किया, कि उसकी शफ़क़त हमेशा की है;
24 And he redeemed us from our enemies: for his mercy endureth for ever.
और हमारे मुख़ालिफ़ों से हम को छुड़ाया, कि उसकी शफ़क़त हमेशा की है।
25 Who giveth food to all flesh: for his mercy endureth for ever.
जो सब बशर को रोज़ी देता है, कि उसकी शफ़क़त हमेशा की है।
26 Give glory to the God of heaven: for his mercy endureth for ever.
आसमान के ख़ुदा का शुक्र करो, कि उसकी सफ़कत हमेशा की है।