< Hosea 3 >
1 And the Lord said to me: Go yet again, and love a woman beloved of her friend, and an adulteress: as the Lord loveth the children of Israel, and they look to strange gods, and love the husks of the grapes.
१फिर यहोवा ने मुझसे कहा, “अब जाकर एक ऐसी स्त्री से प्रीति कर, जो व्यभिचारिणी होने पर भी अपने प्रिय की प्यारी हो; क्योंकि उसी भाँति यद्यपि इस्राएली पराए देवताओं की ओर फिरे, और किशमिश की टिकियों से प्रीति रखते हैं, तो भी यहोवा उनसे प्रीति रखता है।”
2 And I bought her to me for fifteen pieces of silver, and for a core of barley, and for half a core of barley.
२तब मैंने एक स्त्री को चाँदी के पन्द्रह टुकड़े और डेढ़ होमेर जौ देकर मोल लिया।
3 And I said to her: Thou shalt wait for me many days: thou shalt not play the harlot, and thou shalt be no man’s, and I also will wait for thee.
३मैंने उससे कहा, “तू बहुत दिन तक मेरे लिये बैठी रहना; और न तो छिनाला करना, और न किसी पुरुष की स्त्री हो जाना; और मैं भी तेरे लिये ऐसा ही रहूँगा।”
4 For the children of Israel shall sit many days without king, and without prince, and without sacrifice, and without altar, and without ephod, and without theraphim.
४क्योंकि इस्राएली बहुत दिन तक बिना राजा, बिना हाकिम, बिना यज्ञ, बिना स्तम्भ, और बिना एपोद या गृहदेवताओं के बैठे रहेंगे।
5 And after this the children of Israel shall return, and shall seek the Lord their God, and David their king: and they shall fear the Lord, and his goodness in the last days.
५उसके बाद वे अपने परमेश्वर यहोवा और अपने राजा दाऊद को फिर ढूँढ़ने लगेंगे, और अन्त के दिनों में यहोवा के पास, और उसकी उत्तम वस्तुओं के लिये थरथराते हुए आएँगे।