< John 2 >
1 And on the third day a marriage took place in Cana of Galilee, and the mother of Jesus was there.
तीसरे दिन गलील प्रदेश के काना नगर में एक विवाहोत्सव था. मसीह येशु की माता वहां उपस्थित थी.
2 And Jesus also, and his disciples, were invited to the marriage.
मसीह येशु और उनके शिष्य भी वहां आमंत्रित थे.
3 And wine being deficient, the mother of Jesus says to him, They have no wine.
जब वहां दाखरस कम पड़ने लगा तो मसीह येशु की माता ने उनसे कहा, “उनका दाखरस समाप्त हो गया है.”
4 Jesus says to her, What have I to do with thee, woman? mine hour has not yet come.
इस पर मसीह येशु ने उनसे कहा, “हे स्त्री, इससे आपका और मेरा क्या संबंध? मेरा समय अभी नहीं आया है.”
5 His mother says to the servants, Whatever he may say to you, do.
उनकी माता ने सेवकों से कहा, “जो कुछ वह तुमसे कहें, वही करो.”
6 Now there were standing there six stone water-vessels, according to the purification of the Jews, holding two or three measures each.
वहां यहूदी परंपरा के अनुसार शुद्ध करने के लिए जल के छः पत्थर के बर्तन रखे हुए थे. हर एक में लगभग सौ सवा सौ लीटर जल समाता था.
7 Jesus says to them, Fill the water-vessels with water. And they filled them up to the brim.
मसीह येशु ने सेवकों से कहा, “बर्तनों को जल से भर दो.” उन्होंने उन्हें मुंह तक भर दिया.
8 And he says to them, Draw out now, and carry [it] to the feast-master. And they carried [it].
इसके बाद मसीह येशु ने उनसे कहा, “अब इसमें से थोड़ा निकालकर समारोह के संचालक के पास ले जाओ.” उन्होंने वैसा ही किया.
9 But when the feast-master had tasted the water which had been made wine (and knew not whence it was, but the servants knew who drew the water), the feast-master calls the bridegroom,
जब समारोह के प्रधान ने उस जल को चखा—जो वास्तव में दाखरस में बदल गया था और उसे मालूम नहीं था कि वह कहां से आया था, किंतु जिन्होंने उसे निकाला था, वे जानते थे—तब समारोह के प्रधान ने दुल्हे को बुलवाया
10 and says to him, Every man sets on first the good wine, and when [men] have well drunk, then the inferior; thou hast kept the good wine till now.
और उससे कहा, “हर एक व्यक्ति पहले उत्तम दाखरस परोसता है और जब लोग पीकर तृप्त हो जाते हैं, तब सस्ता, परंतु तुमने तो उत्तम दाखरस अब तक रख छोड़ा है!”
11 This beginning of signs did Jesus in Cana of Galilee, and manifested his glory; and his disciples believed on him.
यह मसीह येशु के अद्भुत चिह्नों के करने की शुरुआत थी, जो गलील प्रदेश के काना नगर में हुआ, जिसके द्वारा उन्होंने अपना प्रताप प्रकट किया तथा उनके शिष्यों ने उनमें विश्वास किया.
12 After this he descended to Capernaum, he and his mother and his brethren and his disciples; and there they abode not many days.
इसके बाद मसीह येशु, उनकी माता, उनके भाई तथा उनके शिष्य कुछ दिनों के लिए कफ़रनहूम नगर चले गए.
13 And the passover of the Jews was near, and Jesus went up to Jerusalem.
जब यहूदियों का फ़सह उत्सव पास आया तो मसीह येशु अपने शिष्यों के साथ येरूशलेम गए.
14 And he found in the temple the sellers of oxen and sheep and doves, and the money-changers sitting;
उन्होंने मंदिर में बैल, भेड़ और कबूतर बेचने वालों तथा साहूकारों को व्यापार करते हुए पाया.
15 and, having made a scourge of cords, he cast [them] all out of the temple, both the sheep and the oxen; and he poured out the change of the money-changers, and overturned the tables,
इसलिये उन्होंने रस्सियों का एक कोड़ा बनाया और उन सबको बैलों और भेड़ों सहित मंदिर से बाहर निकाल दिया और साहूकारों के सिक्के बिखेर दिए, उनकी चौकियों को उलट दिया
16 and said to the sellers of doves, Take these things hence; make not my Father's house a house of merchandise.
और कबूतर बेचने वालों से कहा, “इन्हें यहां से ले जाओ. मेरे पिता के भवन को व्यापारिक केंद्र मत बनाओ.”
17 [And] his disciples remembered that it is written, The zeal of thy house devours me.
यह सुन शिष्यों को पवित्र शास्त्र का यह लेख याद आया: “आपके भवन की धुन में जलते जलते मैं भस्म हुआ.”
18 The Jews therefore answered and said to him, What sign shewest thou to us, that thou doest these things?
तब यहूदी अगुओं ने मसीह येशु से कहा, “इन कामों पर अपना अधिकार प्रमाणित करने के लिए तुम हमें क्या चिह्न दिखा सकते हो?”
19 Jesus answered and said to them, Destroy this temple, and in three days I will raise it up.
मसीह येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “इस मंदिर को ढाह दो, इसे मैं तीन दिन में दोबारा खड़ा कर दूंगा.”
20 The Jews therefore said, Forty and six years was this temple building, and thou wilt raise it up in three days?
इस पर यहूदी अगुओं ने कहा, “इस मंदिर के निर्माण में छियालीस वर्ष लगे हैं, क्या तुम इसे तीन दिन में खड़ा कर सकते हो?”
21 But he spoke of the temple of his body.
परंतु मसीह येशु यहां अपने शरीर रूपी मंदिर का वर्णन कर रहे थे.
22 When therefore he was raised from among [the] dead, his disciples remembered that he had said this, and believed the scripture and the word which Jesus had spoken.
इसलिये मरे हुओं में से जी उठने के बाद शिष्यों को उनका यह कथन याद आया और उन्होंने पवित्र शास्त्र और मसीह येशु द्वारा कहे गए वचन में विश्वास किया.
23 And when he was in Jerusalem, at the passover, at the feast, many believed on his name, beholding his signs which he wrought.
फ़सह उत्सव के समय जब मसीह येशु येरूशलेम में थे, तो उनके द्वारा किए गए अद्भुत चिन्हों को देखकर अनेक लोगों ने उनमें विश्वास किया,
24 But Jesus himself did not trust himself to them, because he knew all [men],
किंतु मसीह येशु उनके प्रति आश्वस्त नहीं थे क्योंकि वह मनुष्य के स्वभाव से परिचित थे.
25 and that he had not need that any should testify of man, for himself knew what was in man.
उन्हें मनुष्य के विषय में मनुष्य की गवाही की ज़रूरत नहीं थी. वह जानते थे कि मनुष्य क्या है.