< 2 Kings 12 >

1 In the seventh year of Jehu, Jehoash began to reign; and he reigned forty years in Jerusalem; and his mother's name was Zibiah of Beer-sheba.
येहू के राज्य के सातवें वर्ष में योआश राज्य करने लगा, और यरूशलेम में चालीस वर्ष तक राज्य करता रहा। उसकी माता का नाम सिब्या था जो बेर्शेबा की थी।
2 And Jehoash did what was right in the sight of Jehovah, all the days wherein Jehoiada the priest instructed him.
और जब तक यहोयादा याजक योआश को शिक्षा देता रहा, तब तक वह वही काम करता रहा जो यहोवा की दृष्टि में ठीक है।
3 Only, the high places were not removed: the people still sacrificed and burned incense on the high places.
तो भी ऊँचे स्थान गिराए न गए; प्रजा के लोग तब भी ऊँचे स्थान पर बलि चढ़ाते और धूप जलाते रहे।
4 And Jehoash said to the priests, All the money of the hallowed things that is brought into the house of Jehovah, the money of every one that passes [the account], the money at which every man is valued, [and] all the money that comes into any man's heart to bring into the house of Jehovah,
योआश ने याजकों से कहा, “पवित्र की हुई वस्तुओं का जितना रुपया यहोवा के भवन में पहुँचाया जाए, अर्थात् गिने हुए लोगों का रुपया और जितना रुपया देने के जो कोई योग्य ठहराया जाए, और जितना रुपया जिसकी इच्छा यहोवा के भवन में ले आने की हो,
5 let the priests take it, every man of his acquaintance; and let them repair the breaches of the house, wherever any breach is found.
इन सब को याजक लोग अपनी जान-पहचान के लोगों से लिया करें और भवन में जो कुछ टूटा फूटा हो उसको सुधार दें।”
6 And it was [so that] in the twenty-third year of king Jehoash, the priests had not repaired the breaches of the house.
तो भी याजकों ने भवन में जो टूटा फूटा था, उसे योआश राजा के राज्य के तेईसवें वर्ष तक नहीं सुधारा था।
7 Then king Jehoash called for Jehoiada the priest, and the priests, and said to them, Why have ye not repaired the breaches of the house? And now receive no money of your acquaintances, but give it for the breaches of the house.
इसलिए राजा योआश ने यहोयादा याजक, और याजकों को बुलवाकर पूछा, “भवन में जो कुछ टूटा फूटा है, उसे तुम क्यों नहीं सुधारते? अब से अपनी जान-पहचान के लोगों से और रुपया न लेना, और जो तुम्हें मिले, उसे भवन के सुधारने के लिये दे देना।”
8 And the priests consented to receive no money of the people, and that they should only repair the breaches of the house.
तब याजकों ने मान लिया कि न तो हम प्रजा से और रुपया लें और न भवन को सुधारें।
9 And Jehoiada the priest took a chest, and bored a hole in the lid, and set it beside the altar, on the right side as one comes into the house of Jehovah; and the priests that kept the door put into it all the money brought into the house of Jehovah.
तब यहोयादा याजक ने एक सन्दूक लेकर, उसके ढ़क्कन में छेद करके उसको यहोवा के भवन में आनेवालों के दाहिने हाथ पर वेदी के पास रख दिया; और द्वार की रखवाली करनेवाले याजक उसमें वह सब रुपया डालने लगे जो यहोवा के भवन में लाया जाता था।
10 And it came to pass when they saw that there was much money in the chest, that the king's scribe and the high priest came up, and they tied up and counted the money that was found in the house of Jehovah.
१०जब उन्होंने देखा, कि सन्दूक में बहुत रुपया है, तब राजा के प्रधान और महायाजक ने आकर उसे थैलियों में बाँध दिया, और यहोवा के भवन में पाए हुए रुपये को गिन लिया।
11 And they gave the money, weighed out into the hands of them that did the work, who were appointed over the house of Jehovah; and they laid it out to the carpenters and builders that wrought upon the house of Jehovah,
११तब उन्होंने उस तौले हुए रुपये को उन काम करानेवालों के हाथ में दिया, जो यहोवा के भवन में अधिकारी थे; और इन्होंने उसे यहोवा के भवन के बनानेवाले बढ़इयों, राजमिस्त्रियों, और संगतराशों को दिये।
12 and to masons, and hewers of stone, and to buy timber and hewn stone to repair the breaches of the house of Jehovah, and for all that had to be laid out on the house for repairs.
१२और लकड़ी और गढ़े हुए पत्थर मोल लेने में, वरन् जो कुछ भवन के टूटे फूटे की मरम्मत में खर्च होता था, उसमें लगाया।
13 However there were not made for the house of Jehovah basons of silver, knives, bowls, trumpets, nor any utensil of gold or utensil of silver, of the money that was brought [into] the house of Jehovah;
१३परन्तु जो रुपया यहोवा के भवन में आता था, उससे चाँदी के तसले, चिमटे, कटोरे, तुरहियां आदि सोने या चाँदी के किसी प्रकार के पात्र न बने।
14 but they gave that to the workmen, and repaired the house of Jehovah with it.
१४परन्तु वह काम करनेवाले को दिया गया, और उन्होंने उसे लेकर यहोवा के भवन की मरम्मत की।
15 And they did not reckon with the men into whose hand they gave the money to be bestowed on workmen; for they dealt faithfully.
१५और जिनके हाथ में काम करनेवालों को देने के लिये रुपया दिया जाता था, उनसे कुछ हिसाब न लिया जाता था, क्योंकि वे सच्चाई से काम करते थे।
16 The money of trespass-offerings, and the money of sin-offerings, was not brought into the house of Jehovah: it was for the priests.
१६जो रुपया दोषबलियों और पापबलियों के लिये दिया जाता था, यह तो यहोवा के भवन में न लगाया गया, वह याजकों को मिलता था।
17 Then Hazael king of Syria went up, and fought against Gath, and took it. And Hazael set his face to go up against Jerusalem.
१७तब अराम के राजा हजाएल ने गत नगर पर चढ़ाई की, और उससे लड़ाई करके उसे ले लिया। तब उसने यरूशलेम पर भी चढ़ाई करने को अपना मुँह किया।
18 And Jehoash king of Judah took all the hallowed things that Jehoshaphat and Jehoram and Ahaziah, his fathers, kings of Judah, had dedicated, and his own hallowed things, and all the gold found in the treasures of the house of Jehovah and in the king's house, and sent it to Hazael king of Syria; and he went away from Jerusalem.
१८तब यहूदा के राजा योआश ने उन सब पवित्र वस्तुओं को जिन्हें उसके पुरखा यहोशापात यहोराम और अहज्याह नामक यहूदा के राजाओं ने पवित्र किया था, और अपनी पवित्र की हुई वस्तुओं को भी और जितना सोना यहोवा के भवन के भण्डारों में और राजभवन में मिला, उस सब को लेकर अराम के राजा हजाएल के पास भेज दिया; और वह यरूशलेम के पास से चला गया।
19 And the rest of the acts of Joash, and all that he did, are they not written in the book of the chronicles of the kings of Judah?
१९योआश के और सब काम जो उसने किया, वह क्या यहूदा के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में नहीं लिखे हैं?
20 And his servants rose up and made a conspiracy, and smote Joash in the house of Millo, at the descent of Silla.
२०योआश के कर्मचारियों ने राजद्रोह की युक्ति करके, उसको मिल्लो के भवन में जो सिल्ला की ढलान पर था, मार डाला।
21 And Jozachar the son of Shimeath and Jehozabad the son of Shomer, his servants, smote him and he died; and they buried him with his fathers in the city of David. And Amaziah his son reigned in his stead.
२१अर्थात् शिमात का पुत्र योजाबाद और शोमेर का पुत्र यहोजाबाद, जो उसके कर्मचारी थे, उन्होंने उसे ऐसा मारा, कि वह मर गया। तब उसे उसके पुरखाओं के बीच दाऊदपुर में मिट्टी दी, और उसका पुत्र अमस्याह उसके स्थान पर राज्य करने लगा।

< 2 Kings 12 >