< Psalms 33 >
1 [A Psalm] of David. Rejoice in the Lord, you righteous; praise becomes the upright.
ऐ सादिक़ो, ख़ुदावन्द में ख़ुश रहो। हम्द करना रास्तबाज़ों की ज़ेबा है।
2 Praise the Lord on the harp; platy to him on a lute of ten strings.
सितार के साथ ख़ुदावन्द का शुक्र करो, दस तार की बरबत के साथ उसकी सिताइश करो।
3 Sing to him a new song; play skilfully with a loud noise.
उसके लिए नया गीत गाओ, बुलन्द आवाज़ के साथ अच्छी तरह बजाओ।
4 For the word of the Lord is right; and all his works are faithful.
क्यूँकि ख़ुदावन्द का कलाम रास्त है; और उसके सब काम बावफ़ा हैं।
5 He loves mercy and judgement; the earth is full the mercy of the Lord.
वह सदाक़त और इन्साफ़ को पसंद करता है; ज़मीन ख़ुदावन्द की शफ़क़त से मा'मूर है।
6 By the word of the Lord the heavens were established; and all the host of them by the breath of his [mouth].
आसमान ख़ुदावन्द के कलाम से, और उसका सारा लश्कर उसके मुँह के दम से बना।
7 Who gathers the waters of the sea as [in] a bottle; who lays up the deeps in treasuries.
वह समन्दर का पानी तूदे की तरह जमा' करता है; वह गहरे समन्दरों को मख़ज़नों में रखता है।
8 Let all the earth fear the Lord; and let all that dwell in the world be moved because of him.
सारी ज़मीन ख़ुदावन्द से डरे, जहान के सब बाशिन्दे उसका ख़ौफ़ रख्खें।
9 For he spoke, and they were made; he commanded, and they were created.
क्यूँकि उसने फ़रमाया और हो गया; उसने हुक्म दिया और वाके' हुआ।
10 The Lord frustrates the counsels of the nations; he brings to nothing also the reasonings of the peoples, and brings to nothing the counsels of princes.
ख़ुदावन्द क़ौमों की मश्वरत को बेकार कर देता है; वह उम्मतों के मन्सूबों को नाचीज़ बना देता है।
11 But the counsel of the Lord endures for ever, the thoughts of his heart from generation to generation.
ख़ुदावन्द की मसलहत हमेशा तक क़ाईम रहेगी, और उसके दिल के ख़याल नसल दर नसल।
12 Blessed is the nation whose God is the Lord; the people whom he has chosen for his own inheritance.
मुबारक है वह क़ौम जिसका ख़ुदा ख़ुदावन्द है, और वह उम्मत जिसको उसने अपनी ही मीरास के लिए बरगुज़ीदा किया।
13 The Lord looks out of heaven; he beholds all the sons of men.
ख़ुदावन्द आसमान पर से देखता है, सब बनी आदम पर उसकी निगाह है।
14 He looks from his prepared habitation on all the dwellers on the earth;
अपनी सुकूनत गाह से वह ज़मीन के सब बाशिन्दों को देखता है।
15 who fashioned their hearts alone; who understands all their works.
वही है जो उन सबके दिलों को बनाता, और उनके सब कामों का ख़याल रखता है।
16 A king is not saved by reason of a great host; and a giant shall not be delivered by the greatness of his strength.
किसी बादशाह को फ़ौज की कसरत न बचाएगी; और किसी ज़बरदस्त आदमी को उसकी बड़ी ताक़त रिहाई न देगी।
17 A horse is vain for safety; neither shall he be delivered by the greatness of his power.
बच निकलने के लिए घोड़ा बेकार है, वह अपनी शहज़ोरी से किसी को नबचाएगा।
18 Behold, the eyes of the Lord are on them that fear him, those that hope in his mercy;
देखो ख़ुदावन्द की निगाह उन पर है जो उससे डरते हैं; जो उसकी शफ़क़त के उम्मीदवार हैं,
19 to deliver their souls from death, and to keep them alive in famine.
ताकि उनकी जान मौत से बचाए, और सूखे में उनको ज़िन्दा रख्खे।
20 Our soul waits on the Lord; for he is our helper and defender.
हमारी जान को ख़ुदावन्द की उम्मीद है; वही हमारी मदद और हमारी ढाल है।
21 For our heart shall rejoice in him, and we have hoped in his holy name.
हमारा दिल उसमें ख़ुश रहेगा, क्यूँकि हम ने उसके पाक नाम पर भरोसा किया है।
22 Let your mercy, O Lord, be upon us, according as we have hoped in you.
ऐ ख़ुदावन्द, जैसी तुझ पर हमारी उम्मीद है, वैसी ही तेरी रहमत हम पर हो।