< Psalms 131 >
1 A Song of Degrees. O Lord, my heart is not exalted, neither have mine eyes been [haughtily] raised: neither have I exercised myself in great [matters], nor in things too wonderful for me.
ऐ ख़ुदावन्द! मेरा दिल मग़रूर नहीं और मै बुलंद नज़र नहीं हूँ न मुझे बड़े बड़े मु'आमिलो से कोई सरोकार है, न उन बातों से जो मेरी समझ से बाहर हैं,
2 [I shall have sinned] if I have not been humble, but have exulted my soul: according to [the relation of] a weaned child to his mother, so will you recompense my soul.
यक़ीनन मैंने अपने दिल को तिस्कीन देकर मुत्मइन कर दिया है, मेरा दिल मुझ में दूध छुड़ाए हुए बच्चे की तरह है; हाँ, जैसे दूध छुड़ाया हुआ बच्चा माँ की गोद में।
3 Let Israel hope in the Lord, from henceforth and for ever.
ऐ इस्राईल! अब से हमेशा तक, ख़ुदावन्द पर भरोसा कर!