< Kings III 9 >
1 And it came to pass when Solomon had finished building the house of the Lord, and the king's house, and all the work of Solomon, whatever he wished to perform,
१जब सुलैमान यहोवा के भवन और राजभवन को बना चुका, और जो कुछ उसने करना चाहा था, उसे कर चुका,
2 that the Lord appeared to Solomon a second time, as he appeared in Gabaon.
२तब यहोवा ने जैसे गिबोन में उसको दर्शन दिया था, वैसे ही दूसरी बार भी उसे दर्शन दिया।
3 And the Lord said to him, I have heard the voice of your prayer, and your supplication which you made before me: I have done for you according to all your prayer: I have hallowed this house which you have built to put my name there for ever, and mine eyes and my heart shall be there always.
३और यहोवा ने उससे कहा, “जो प्रार्थना गिड़गिड़ाहट के साथ तूने मुझसे की है, उसको मैंने सुना है, यह जो भवन तूने बनाया है, उसमें मैंने अपना नाम सदा के लिये रखकर उसे पवित्र किया है; और मेरी आँखें और मेरा मन नित्य वहीं लगे रहेंगे।
4 And if you will walk before me as David your father walked, in holiness of heart and uprightness, and so as to do according to all that I commanded him, and shall keep my ordinances and my commandments:
४और यदि तू अपने पिता दाऊद के समान मन की खराई और सिधाई से अपने को मेरे सामने जानकर चलता रहे, और मेरी सब आज्ञाओं के अनुसार किया करे, और मेरी विधियों और नियमों को मानता रहे, तो मैं तेरा राज्य इस्राएल के ऊपर सदा के लिये स्थिर करूँगा;
5 then will I establish the throne of your kingdom in Israel for ever, as I spoke to David your father, saying, There shall not fail you a man to rule in Israel.
५जैसे कि मैंने तेरे पिता दाऊद को वचन दिया था, ‘तेरे कुल में इस्राएल की गद्दी पर विराजनेवाले सदा बने रहेंगे।’
6 But if you or your children do in any wise revolt from me, and do not keep my commandments and my ordinances, which Moses set before you, and you go and serve other gods, and worship them:
६परन्तु यदि तुम लोग या तुम्हारे वंश के लोग मेरे पीछे चलना छोड़ दें; और मेरी उन आज्ञाओं और विधियों को जो मैंने तुम को दी हैं, न मानें, और जाकर पराए देवताओं की उपासना करें और उन्हें दण्डवत् करने लगें,
7 then will I cut off Israel from the land which I have given them, and this house which I have consecrated to my name I will cast out of my sight; and Israel shall be a desolation and a byword to all nations.
७तो मैं इस्राएल को इस देश में से जो मैंने उनको दिया है, काट डालूँगा और इस भवन को जो मैंने अपने नाम के लिये पवित्र किया है, अपनी दृष्टि से उतार दूँगा; और सब देशों के लोगों में इस्राएल की उपमा दी जाएगी और उसका दृष्टान्त चलेगा।
8 And this house, which is high, shall be [so that] every one that passes by it shall be amazed, and shall hiss; and they shall say, Therefore has the Lord done thus to this land, and to this house?
८और यह भवन जो ऊँचे पर रहेगा, तो जो कोई इसके पास होकर चलेगा, वह चकित होगा, और ताली बजाएगा और वे पूछेंगे, ‘यहोवा ने इस देश और इस भवन के साथ क्यों ऐसा किया है;’
9 And [men] shall say, Because they forsook the Lord their God, who brought out their fathers from Egypt, out of the house of bondage, and they attached themselves to strange gods, and worshipped them, and served them: therefore the Lord has brought this evil upon them. Then Solomon brought up the daughter of Pharao out of the city of David into his house which he built for himself in those days.
९तब लोग कहेंगे, ‘उन्होंने अपने परमेश्वर यहोवा को जो उनके पुरखाओं को मिस्र देश से निकाल लाया था। तजकर पराए देवताओं को पकड़ लिया, और उनको दण्डवत् की और उनकी उपासना की इस कारण यहोवा ने यह सब विपत्ति उन पर डाल दी।’”
10 [During] twenty years in which Solomon was building the two houses, the house of the Lord, and the house of the king,
१०सुलैमान को तो यहोवा के भवन और राजभवन दोनों के बनाने में बीस वर्ष लग गए।
11 Chiram king of Tyre helped Solomon with cedar wood, and fir wood, and with gold, and all that he wished for: then the king gave Chiram twenty cities in the land of Galilee.
११तब सुलैमान ने सोर के राजा हीराम को जिसने उसके मनमाने देवदार और सनोवर की लकड़ी और सोना दिया था, गलील देश के बीस नगर दिए।
12 So Chiram departed from Tyre, and went into Galilee to see the cities which Solomon gave to him; and they pleased him not. And he said,
१२जब हीराम ने सोर से जाकर उन नगरों को देखा, जो सुलैमान ने उसको दिए थे, तब वे उसको अच्छे न लगे।
13 What [are] these cities which you have given me, brother? And he called them Boundary until this day.
१३तब उसने कहा, “हे मेरे भाई, ये कैसे नगर तूने मुझे दिए हैं?” और उसने उनका नाम कबूल देश रखा। और यही नाम आज के दिन तक पड़ा है।
14 And Chiram brought to Solomon a hundred and twenty talents of gold,
१४फिर हीराम ने राजा के पास एक सौ बीस किक्कार सोना भेजा था।
१५राजा सुलैमान ने लोगों को जो बेगारी में रखा, इसका प्रयोजन यह था, कि यहोवा का और अपना भवन बनाए, और मिल्लो और यरूशलेम की शहरपनाह और हासोर, मगिद्दो और गेजेर नगरों को दृढ़ करे।
१६गेजेर पर तो मिस्र के राजा फ़िरौन ने चढ़ाई करके उसे ले लिया था और आग लगाकर फूँक दिया, और उस नगर में रहनेवाले कनानियों को मार डाला और, उसे अपनी बेटी सुलैमान की रानी का निज भाग करके दिया था,
१७अतः सुलैमान ने गेजेर और नीचेवाले बेथोरोन,
१८बालात और तामार को जो जंगल में हैं, दृढ़ किया, ये तो देश में हैं।
१९फिर सुलैमान के जितने भण्डारवाले नगर थे, और उसके रथों और सवारों के नगर, उनको वरन् जो कुछ सुलैमान ने यरूशलेम, लबानोन और अपने राज्य के सब देशों में बनाना चाहा, उन सब को उसने दृढ़ किया।
२०एमोरी, हित्ती, परिज्जी, हिब्बी और यबूसी जो रह गए थे, जो इस्राएली न थे,
२१उनके वंश जो उनके बाद देश में रह गए, और उनको इस्राएली सत्यानाश न कर सके, उनको तो सुलैमान ने दास करके बेगारी में रखा, और आज तक उनकी वही दशा है।
२२परन्तु इस्राएलियों में से सुलैमान ने किसी को दास न बनाया; वे तो योद्धा और उसके कर्मचारी, उसके हाकिम, उसके सरदार, और उसके रथों, और सवारों के प्रधान हुए।
२३जो मुख्य हाकिम सुलैमान के कामों के ऊपर ठहरके काम करनेवालों पर प्रभुता करते थे, ये पाँच सौ पचास थे।
२४जब फ़िरौन की बेटी दाऊदपुर से अपने उस भवन को आ गई, जो सुलैमान ने उसके लिये बनाया था, तब उसने मिल्लो को बनाया।
२५सुलैमान उस वेदी पर जो उसने यहोवा के लिये बनाई थी, प्रतिवर्ष तीन बार होमबलि और मेलबलि चढ़ाया करता था और साथ ही उस वेदी पर जो यहोवा के सम्मुख थी, धूप जलाया करता था, इस प्रकार उसने उस भवन को तैयार कर दिया।
26 even that for which king Solomon built a ship in Gasion Gaber near Aelath on the shore of the extremity of the sea in the land of Edom.
२६फिर राजा सुलैमान ने एस्योनगेबेर में जो एदोम देश में लाल समुद्र के किनारे एलोत के पास है, जहाज बनाए।
27 And Chiram sent in the ship together with the servants of Solomon servants of his own, mariners to row, men acquainted with the sea.
२७और जहाजों में हीराम ने अपने अधिकार के मल्लाहों को, जो समुद्र की जानकारी रखते थे, सुलैमान के सेवकों के संग भेज दिया।
28 And they came to Sophira, and took thence a hundred and twenty talents of gold, and brought them to king Solomon.
२८उन्होंने ओपीर को जाकर वहाँ से चार सौ बीस किक्कार सोना, राजा सुलैमान को लाकर दिया।