< Kings III 17 >
1 And Eliu the prophet, the Thesbite of Thesbae of Galaad, said to Achaab, As the Lord God of hosts, the God of Israel, lives, before whom I stand, there shall not be these years dew nor rain, except by the word of my mouth.
१तिशबी एलिय्याह जो गिलाद का निवासी था उसने अहाब से कहा, “इस्राएल का परमेश्वर यहोवा जिसके सम्मुख मैं उपस्थित रहता हूँ, उसके जीवन की शपथ इन वर्षों में मेरे बिना कहे, न तो मेंह बरसेगा, और न ओस पड़ेगी।”
2 And the word of the Lord came to Eliu, [saying],
२तब यहोवा का यह वचन उसके पास पहुँचा,
3 Depart hence eastward, and hide you by the brook of Chorrath, that is before Jordan.
३“यहाँ से चलकर पूरब की ओर जा और करीत नामक नाले में जो यरदन के पूर्व में है छिप जा।
4 And it shall be [that] you shall drink water of the brook, and I will charge the ravens to feed you there.
४उसी नदी का पानी तू पिया कर, और मैंने कौवों को आज्ञा दी है कि वे तुझे वहाँ खिलाएँ।”
5 And Eliu did according to the word of the Lord, and he sat by the brook of Chorrath before Jordan.
५यहोवा का यह वचन मानकर वह यरदन के पूर्व में करीत नामक नदी में जाकर छिपा रहा।
6 And the ravens brought him loaves in the morning, and flesh in the evening and he drank water of the brook.
६और सवेरे और साँझ को कौवे उसके पास रोटी और माँस लाया करते थे और वह नदी का पानी पिया करता था।
7 And it came to pass after some time, that the brook was dried up, because there had been no rain upon the earth.
७कुछ दिनों के बाद उस देश में वर्षा न होने के कारण नदी सूख गई।
8 And the word of the Lord came to Eliu, [saying],
८तब यहोवा का यह वचन उसके पास पहुँचा,
9 Arise, and go to Sarepta of the Sidonian [land]: behold, I have there commanded a widow-woman to maintain you.
९“चलकर सीदोन के सारफत नगर में जाकर वहीं रह। सुन, मैंने वहाँ की एक विधवा को तेरे खिलाने की आज्ञा दी है।”
10 And he arose and went to Sarepta, and came to the gate of the city: and, behold, a widow-woman was there gathering sticks; and Eliu cried after her, and said to her, Fetch me, I pray you, a little water in a vessel, that I may drink.
१०अतः वह वहाँ से चल दिया, और सारफत को गया; नगर के फाटक के पास पहुँचकर उसने क्या देखा कि, एक विधवा लकड़ी बीन रही है, उसको बुलाकर उसने कहा, “किसी पात्र में मेरे पीने को थोड़ा पानी ले आ।”
11 And she went to fetch it; and Eliu cried after her, and said, Bring me, I pray you, a morsel of the bread that is in your hand.
११जब वह लेने जा रही थी, तो उसने उसे पुकारके कहा “अपने हाथ में एक टुकड़ा रोटी भी मेरे पास लेती आ।”
12 And the woman said, [As] the Lord your God lives, I have not a cake, but only a handful of meal in the pitcher, and a little oil in a cruse, and, behold, I am going to gather two sticks, and I shall go in and dress it for myself and my children, and we shall eat it and die.
१२उसने कहा, “तेरे परमेश्वर यहोवा के जीवन की शपथ मेरे पास एक भी रोटी नहीं है केवल घड़े में मुट्ठी भर मैदा और कुप्पी में थोड़ा सा तेल है, और मैं दो एक लकड़ी बीनकर लिए जाती हूँ कि अपने और अपने बेटे के लिये उसे पकाऊँ, और हम उसे खाएँ, फिर मर जाएँ।”
13 And Eliu said to her, Be of good courage, go in and do according to your word: but make me thereof a little cake, and you shall bring [it] out to me first, and you shall make [some] for yourself and your children last.
१३एलिय्याह ने उससे कहा, “मत डर; जाकर अपनी बात के अनुसार कर, परन्तु पहले मेरे लिये एक छोटी सी रोटी बनाकर मेरे पास ले आ, फिर इसके बाद अपने और अपने बेटे के लिये बनाना।
14 For thus says the Lord, The pitcher of meal shall not fail, and the cruse of oil shall not diminish, until the day that the Lord gives rain upon the earth.
१४क्योंकि इस्राएल का परमेश्वर यहोवा यह कहता है, कि जब तक यहोवा भूमि पर मेंह न बरसाएगा तब तक न तो उस घड़े का मैदा समाप्त होगा, और न उस कुप्पी का तेल घटेगा।”
15 And the woman went and did [so], and did eat, she, and he, and her children.
१५तब वह चली गई, और एलिय्याह के वचन के अनुसार किया, तब से वह और स्त्री और उसका घराना बहुत दिन तक खाते रहे।
16 And the pitcher of meal failed not, and the cruse of oil was not diminished, according to the word of the Lord which he spoke by the hand of Eliu.
१६यहोवा के उस वचन के अनुसार जो उसने एलिय्याह के द्वारा कहा था, न तो उस घड़े का मैदा समाप्त हुआ, और न उस कुप्पी का तेल घटा।
17 And it came to pass afterward, that the son of the woman the mistress of the house was sick; and his sickness was very severe, until there was no breath left in him.
१७इन बातों के बाद उस स्त्री का बेटा जो घर की स्वामिनी थी, रोगी हुआ, और उसका रोग यहाँ तक बढ़ा कि उसका साँस लेना बन्द हो गया।
18 And she said to Eliu, What have I to do with you, O man of God? have you come in to me to bring my sins to remembrance, and to kill my son?
१८तब वह एलिय्याह से कहने लगी, “हे परमेश्वर के जन! मेरा तुझ से क्या काम? क्या तू इसलिए मेरे यहाँ आया है कि मेरे बेटे की मृत्यु का कारण हो और मेरे पाप का स्मरण दिलाए?”
19 And Eliu said to the woman, Give me your son. And he took him out of her bosom, and took him up to the chamber in which he himself lodged, and laid him on the bed.
१९उसने उससे कहा “अपना बेटा मुझे दे;” तब वह उसे उसकी गोद से लेकर उस अटारी पर ले गया जहाँ वह स्वयं रहता था, और अपनी खाट पर लिटा दिया।
20 And Eliu cried aloud, and said, Alas, O Lord, the witness of the widow with whom I sojourn, you have wrought evil [for her] in slaying her son.
२०तब उसने यहोवा को पुकारकर कहा, “हे मेरे परमेश्वर यहोवा! क्या तू इस विधवा का बेटा मार डालकर जिसके यहाँ मैं टिका हूँ, इस पर भी विपत्ति ले आया है?”
21 And he breathed on the child thrice, and called on the Lord, and said, O Lord my God, let, I pray you, the soul of this child return to him.
२१तब वह बालक पर तीन बार पसर गया और यहोवा को पुकारकर कहा, “हे मेरे परमेश्वर यहोवा! इस बालक का प्राण इसमें फिर डाल दे।”
22 And it was so, and the child cried out,
२२एलिय्याह की यह बात यहोवा ने सुन ली, और बालक का प्राण उसमें फिर आ गया और वह जी उठा।
23 and he brought him down from the upper chamber into the house, and gave him to his mother; and Eliu said, See, your son lives.
२३तब एलिय्याह बालक को अटारी पर से नीचे घर में ले गया, और एलिय्याह ने यह कहकर उसकी माता के हाथ में सौंप दिया, “देख तेरा बेटा जीवित है।”
24 And the woman said to Eliu, Behold, I know that you [are] a man of God, and the word of the Lord in your mouth [is] true.
२४स्त्री ने एलिय्याह से कहा, “अब मुझे निश्चय हो गया है कि तू परमेश्वर का जन है, और यहोवा का जो वचन तेरे मुँह से निकलता है, वह सच होता है।”