< Psalms 91 >
1 Praise of a Song, by David. He that dwells in the help of the Highest, shall sojourn under the shelter of the God of heaven.
१जो परमप्रधान के छाए हुए स्थान में बैठा रहे, वह सर्वशक्तिमान की छाया में ठिकाना पाएगा।
2 He shall say to the Lord, Thou art my helper and my refuge: my God; I will hope in him.
२मैं यहोवा के विषय कहूँगा, “वह मेरा शरणस्थान और गढ़ है; वह मेरा परमेश्वर है, जिस पर मैं भरोसा रखता हूँ”
3 For he shall deliver thee from the snare of the hunters, from [every] troublesome matter.
३वह तो तुझे बहेलिये के जाल से, और महामारी से बचाएगा;
4 He shall overshadow thee with his shoulders, and thou shalt trust under his wings: his truth shall cover thee with a shield.
४वह तुझे अपने पंखों की आड़ में ले लेगा, और तू उसके परों के नीचे शरण पाएगा; उसकी सच्चाई तेरे लिये ढाल और झिलम ठहरेगी।
5 Thou shalt not be afraid of terror by night; nor of the arrow flying by day;
५तू न रात के भय से डरेगा, और न उस तीर से जो दिन को उड़ता है,
6 [nor] of the [evil] thing that walks in darkness; [nor] of calamity, and the evil spirit at noon-day.
६न उस मरी से जो अंधेरे में फैलती है, और न उस महारोग से जो दिन-दुपहरी में उजाड़ता है।
7 A thousand shall fall at thy side, and ten thousand at thy right hand; but it shall not come nigh thee.
७तेरे निकट हजार, और तेरी दाहिनी ओर दस हजार गिरेंगे; परन्तु वह तेरे पास न आएगा।
8 Only with thine eyes shalt thou observe and see the reward of sinners.
८परन्तु तू अपनी आँखों की दृष्टि करेगा और दुष्टों के अन्त को देखेगा।
9 For thou, O Lord, art my hope: thou, my soul, hast made the Most High thy refuge.
९हे यहोवा, तू मेरा शरणस्थान ठहरा है। तूने जो परमप्रधान को अपना धाम मान लिया है,
10 No evils shall come upon thee, and no scourge shall draw nigh to thy dwelling.
१०इसलिए कोई विपत्ति तुझ पर न पड़ेगी, न कोई दुःख तेरे डेरे के निकट आएगा।
11 For he shall give his angels charge concerning thee, to keep thee in all thy ways.
११क्योंकि वह अपने दूतों को तेरे निमित्त आज्ञा देगा, कि जहाँ कहीं तू जाए वे तेरी रक्षा करें।
12 They shall bear thee up on their hands, lest at any time thou dash thy foot against a stone.
१२वे तुझको हाथों हाथ उठा लेंगे, ऐसा न हो कि तेरे पाँवों में पत्थर से ठेस लगे।
13 Thou shalt tread on the asp and basilisk: and thou shalt trample on the lion and dragon.
१३तू सिंह और नाग को कुचलेगा, तू जवान सिंह और अजगर को लताड़ेगा।
14 For he has hoped in me, and I will deliver him: I will protect him, because he has known my name.
१४उसने जो मुझसे स्नेह किया है, इसलिए मैं उसको छुड़ाऊँगा; मैं उसको ऊँचे स्थान पर रखूँगा, क्योंकि उसने मेरे नाम को जान लिया है।
15 He shall call upon me, and I will hearken to him: I am with him in affliction; and I will deliver him, and glorify him.
१५जब वह मुझ को पुकारे, तब मैं उसकी सुनूँगा; संकट में मैं उसके संग रहूँगा, मैं उसको बचाकर उसकी महिमा बढ़ाऊँगा।
16 I will satisfy him with length of days, and shew him my salvation.
१६मैं उसको दीर्घायु से तृप्त करूँगा, और अपने किए हुए उद्धार का दर्शन दिखाऊँगा।