< Numbers 31 >
1 And the Lord spoke to Moses, saying,
१फिर यहोवा ने मूसा से कहा,
2 Avenge the wrongs of the children of Israel on the Madianites, and afterwards thou shalt be added to thy people.
२“मिद्यानियों से इस्राएलियों का पलटा ले; उसके बाद तू अपने लोगों में जा मिलेगा।”
3 And Moses spoke to the people, saying, Arm some of you, and set yourselves in array before the Lord against Madian, to inflict vengeance on Madian from the Lord.
३तब मूसा ने लोगों से कहा, “अपने में से पुरुषों को युद्ध के लिये हथियार धारण कराओ कि वे मिद्यानियों पर चढ़कर उनसे यहोवा का पलटा लें।
4 Send a thousand of each tribe from all the tribes of the children of Israel to set themselves in array.
४इस्राएल के सब गोत्रों में से प्रत्येक गोत्र के एक-एक हजार पुरुषों को युद्ध करने के लिये भेजो।”
5 And they numbered of the thousands of Israel a thousand of [each] tribe, twelve thousands; [these were] armed for war.
५तब इस्राएल के सब गोत्रों में से प्रत्येक गोत्र के एक-एक हजार पुरुष चुने गये, अर्थात् युद्ध के लिये हथियार-बन्द बारह हजार पुरुष।
6 And Moses sent them away a thousand of every tribe with their forces, and Phinees the son of Eleazar the son of Aaron the priest: and the holy instruments, and the signal trumpets [were] in their hands.
६प्रत्येक गोत्र में से उन हजार-हजार पुरुषों को, और एलीआजर याजक के पुत्र पीनहास को, मूसा ने युद्ध करने के लिये भेजा, और पीनहास के हाथ में पवित्रस्थान के पात्र और वे तुरहियां थीं जो साँस बाँध बाँधकर फूँकी जाती थीं।
7 And they set themselves in array against Madian, as the Lord commanded Moses; and they slew every male.
७और जो आज्ञा यहोवा ने मूसा को दी थी, उसके अनुसार उन्होंने मिद्यानियों से युद्ध करके सब पुरुषों को घात किया।
8 And they slew the kings of Madian together with their slain [subjects]; even Evi and Rocon, and Sur, and Ur, and Roboc, five kings of Madian; and they slew with the sword Balaam the son of Beor with their [other] slain.
८और शेष मारे हुओं को छोड़ उन्होंने एवी, रेकेम, सूर, हूर, और रेबा नामक मिद्यान के पाँचों राजाओं को घात किया; और बोर के पुत्र बिलाम को भी उन्होंने तलवार से घात किया।
9 And they made a prey of the women of Madian, and their store, and their cattle, and all their possessions: and they spoiled their forces.
९और इस्राएलियों ने मिद्यानी स्त्रियों को बाल-बच्चों समेत बन्दी बना लिया; और उनके गाय-बैल, भेड़-बकरी, और उनकी सारी सम्पत्ति को लूट लिया।
10 And they burnt with fire all their cities in the places of their habitation and they burnt their villages with fire.
१०और उनके निवास के सब नगरों, और सब छावनियों को फूँक दिया;
11 And they took all their plunder, and all their spoils, both man and beast.
११तब वे, क्या मनुष्य क्या पशु, सब बन्दियों और सारी लूट-पाट को लेकर
12 And they brought to Moses and to Eleazar the priest, and to all the children of Israel, the captives, and the spoils, and the plunder, to the camp to Araboth Moab, which is at Jordan by Jericho.
१२यरीहो के पास की यरदन नदी के तट पर, मोआब के अराबा में, छावनी के निकट, मूसा और एलीआजर याजक और इस्राएलियों की मण्डली के पास आए।
13 And Moses and Eleazar the priest and all the rulers of the synagogue went forth out of the camp to meet them.
१३तब मूसा और एलीआजर याजक और मण्डली के सब प्रधान छावनी के बाहर उनका स्वागत करने को निकले।
14 And Moses was angry with the captains of the host, the heads of thousands and the heads of hundreds who came from the battle-array.
१४और मूसा सहस्रपति-शतपति आदि, सेनापतियों से, जो युद्ध करके लौटे आते थे क्रोधित होकर कहने लगा,
15 And Moses said to them, Why have ye saved every female alive?
१५“क्या तुम ने सब स्त्रियों को जीवित छोड़ दिया?
16 For they were [the occasion] to the children of Israel by the word of Balaam of their revolting and despising the word of the Lord, because of Phogor; and there was a plague in the congregation of the Lord.
१६देखो, बिलाम की सम्मति से, पोर के विषय में इस्राएलियों से यहोवा का विश्वासघात इन्हीं स्त्रियों ने कराया, और यहोवा की मण्डली में मरी फैली।
17 Now then slay every male in all the spoil, slay every woman, who has known the lying with man.
१७इसलिए अब बाल-बच्चों में से हर एक लड़के को, और जितनी स्त्रियों ने पुरुष का मुँह देखा हो उन सभी को घात करो।
18 And as for all the captivity of women, who have not known the lying with man, save ye them alive.
१८परन्तु जितनी लड़कियों ने पुरुष का मुँह न देखा हो उन सभी को तुम अपने लिये जीवित रखो।
19 And ye shall encamp outside the [great] camp seven days; every one who has slain and who touches a dead body, shall be purified on the third day, and ye and your captivity [shall purify yourselves] on the seventh day.
१९और तुम लोग सात दिन तक छावनी के बाहर रहो, और तुम में से जितनों ने किसी प्राणी को घात किया, और जितनों ने किसी मरे हुए को छुआ हो, वे सब अपने-अपने बन्दियों समेत तीसरे और सातवें दिनों में अपने-अपने को पाप छुड़ाकर पावन करें।
20 And ye shall purify every garment and every leathern utensil, and all furniture of goat skin, and every wooden vessel.
२०और सब वस्त्रों, और चमड़े की बनी हुई सब वस्तुओं, और बकरी के बालों की और लकड़ी की बनी हुई सब वस्तुओं को पावन कर लो।”
21 And Eleazar the priest said to the men of the host that came from the battle-array, This [is] the ordinance of the law which the Lord has commanded Moses.
२१तब एलीआजर याजक ने सेना के उन पुरुषों से जो युद्ध करने गए थे कहा, “व्यवस्था की जिस विधि की आज्ञा यहोवा ने मूसा को दी है वह यह है:
22 Beside the gold, and the silver, and the brass, and the iron, and lead, and tin,
२२सोना, चाँदी, पीतल, लोहा, टीन, और सीसा,
23 every thing that shall pass through the fire shall so be clean, nevertheless it shall be purified with the water of sanctification; and whatsoever will not pass through the fire shall pass through water.
२३जो कुछ आग में ठहर सके उसको आग में डालो, तब वह शुद्ध ठहरेगा; तो भी वह अशुद्धता से छुड़ानेवाले जल के द्वारा पावन किया जाए; परन्तु जो कुछ आग में न ठहर सके उसे जल में डुबाओ।
24 And on the seventh day ye shall wash your garments, and be clean; and afterwards ye shall come into the camp.
२४और सातवें दिन अपने वस्त्रों को धोना, तब तुम शुद्ध ठहरोगे; और तब छावनी में आना।”
25 And the Lord spoke to Moses, saying,
२५फिर यहोवा ने मूसा से कहा,
26 Take the sum of the spoils of the captivity both of man and beast, thou and Eleazar the priest, and the heads of the families of the congregation.
२६“एलीआजर याजक और मण्डली के पितरों के घरानों के मुख्य-मुख्य पुरुषों को साथ लेकर तू लूट के मनुष्यों और पशुओं की गिनती कर;
27 And ye shall divide the spoils between the warriors that went out to battle, and the whole congregation.
२७तब उनको आधा-आधा करके एक भाग उन सिपाहियों को जो युद्ध करने को गए थे, और दूसरा भाग मण्डली को दे।
28 And ye shall take a tribute for the Lord from the warriors that went out to battle; one soul out of five hundred, from the men, and from the cattle, even from the oxen, and from the sheep, and from the asses; and ye shall take from their half.
२८फिर जो सिपाही युद्ध करने को गए थे, उनके आधे में से यहोवा के लिये, क्या मनुष्य, क्या गाय-बैल, क्या गदहे, क्या भेड़-बकरियाँ
29 And thou shalt give [them] to Eleazar the priest [as] the first-fruits of the Lord.
२९पाँच सौ के पीछे एक को कर मानकर ले ले; और यहोवा की भेंट करके एलीआजर याजक को दे दे।
30 And from the half belonging to the children of Israel thou shalt take one in fifty from the men, and from the oxen, and from the sheep, and from the asses, and from all the cattle; and thou shalt give them to the Levites that keep the charges in the tabernacle of the Lord.
३०फिर इस्राएलियों के आधे में से, क्या मनुष्य, क्या गाय-बैल, क्या गदहे, क्या भेड़-बकरियाँ, क्या किसी प्रकार का पशु हो, पचास के पीछे एक लेकर यहोवा के निवास की रखवाली करनेवाले लेवियों को दे।”
31 And Moses and Eleazar the priest did as the Lord commanded Moses.
३१यहोवा की इस आज्ञा के अनुसार जो उसने मूसा को दी मूसा और एलीआजर याजक ने किया।
32 And that which remained of the spoil which the warriors took, was—of the sheep, six hundred and seventy-five thousand:
३२और जो वस्तुएँ सेना के पुरुषों ने अपने-अपने लिये लूट ली थीं उनसे अधिक की लूट यह थी; अर्थात् छः लाख पचहत्तर हजार भेड़-बकरियाँ,
33 and oxen, seventy-two thousand:
३३बहत्तर हजार गाय बैल,
34 and asses, sixty-one thousand.
३४इकसठ हजार गदहे,
35 And persons of women who had not known lying with man, all the souls, thirty-two thousand.
३५और मनुष्यों में से जिन स्त्रियों ने पुरुष का मुँह नहीं देखा था वह सब बत्तीस हजार थीं।
36 And the half, [even] the portion of them that went out to war, from the number of the sheep, was three hundred and thirty-seven thousand and five hundred.
३६और इसका आधा, अर्थात् उनका भाग जो युद्ध करने को गए थे, उसमें भेड़-बकरियाँ तीन लाख साढ़े सैंतीस हजार,
37 And the tribute to the Lord from the sheep was six hundred and seventy-five.
३७जिनमें से पौने सात सौ भेड़-बकरियाँ यहोवा का कर ठहरीं।
38 And the oxen, six and thirty thousand, and the tribute to the Lord seventy-two.
३८और गाय-बैल छत्तीस हजार, जिनमें से बहत्तर यहोवा का कर ठहरे।
39 And asses, thirty thousand and five hundred, and the tribute to the Lord, sixty-one:
३९और गदहे साढ़े तीस हजार, जिनमें से इकसठ यहोवा का कर ठहरे।
40 and the persons, sixteen thousand, and the tribute of them to the Lord, thirty-two souls.
४०और मनुष्य सोलह हजार जिनमें से बत्तीस प्राणी यहोवा का कर ठहरे।
41 And Moses gave the tribute to the Lord, the heave-offering of God, to Eleazar the priest, as the Lord commanded Moses;
४१इस कर को जो यहोवा की भेंट थी मूसा ने यहोवा की आज्ञा के अनुसार एलीआजर याजक को दिया।
42 from the half belonging to the children of Israel, whom Moses separated from the men of war.
४२इस्राएलियों की मण्डली का आधा भाग, जिसे मूसा ने युद्ध करनेवाले पुरुषों के पास से अलग किया था
43 And the half [taken] from the sheep, belonging to the congregation, was three hundred and thirty-seven thousand and five hundred.
४३तीन लाख साढ़े सैंतीस हजार भेड़-बकरियाँ
44 And the oxen, thirty-six thousand;
४४छत्तीस हजार गाय-बैल,
45 asses, thirty thousand and five hundred;
४५साढ़े तीस हजार गदहे,
46 and persons, sixteen thousand.
४६और सोलह हजार मनुष्य हुए।
47 And Moses took of the half belonging to the children of Israel the fiftieth part, of men and of cattle, and he gave them to the Levites who keep the charges of the tabernacle of the Lord, as the Lord commanded Moses.
४७इस आधे में से, यहोवा की आज्ञा के अनुसार मूसा ने, क्या मनुष्य क्या पशु, पचास में से एक लेकर यहोवा के निवास की रखवाली करनेवाले लेवियों को दिया।
48 And all those who were appointed to be officers of thousands of the host, captains of thousands and captains of hundreds, approached Moses, and said to Moses,
४८तब सहस्रपति-शतपति आदि, जो सरदार सेना के हजारों के ऊपर नियुक्त थे, वे मूसा के पास आकर कहने लगे,
49 Thy servants have taken the sum of the men of war with us, and not one is missing.
४९“जो सिपाही हमारे अधीन थे उनकी तेरे दासों ने गिनती ली, और उनमें से एक भी नहीं घटा।
50 And we have brought our gift to the Lord, [every] man who has found an article of gold, whether an armlet, or a chain, or a ring, or a bracelet, or a clasp for hair, to make atonement for us before the Lord.
५०इसलिए पायजेब, कड़े, मुंदरियाँ, बालियाँ, बाजूबन्द, सोने के जो गहने, जिसने पाया है, उनको हम यहोवा के सामने अपने प्राणों के निमित्त प्रायश्चित करने को यहोवा की भेंट करके ले आए हैं।”
51 And Moses and Eleazar the priest took the gold from them, even every wrought article.
५१तब मूसा और एलीआजर याजक ने उनसे वे सब सोने के नक्काशीदार गहने ले लिए।
52 And all the wrought gold, even the offering that they offered to the Lord, was sixteen thousand and seven hundred and fifty shekels from the captains of thousands and the captains of hundreds.
५२और सहस्त्रपतियों और शतपतियों ने जो भेंट का सोना यहोवा की भेंट करके दिया वह सब सोलह हजार साढ़े सात सौ शेकेल का था।
53 For the men of war took plunder every one for himself.
५३(योद्धाओं ने तो अपने-अपने लिये लूट ले ली थी।)
54 And Moses and Eleazar the priest took the gold from the captains of thousands and captains of hundreds, and brought the vessels into the tabernacle of witness, a memorial of the children of Israel before the Lord.
५४यह सोना मूसा और एलीआजर याजक ने सहस्त्रपतियों और शतपतियों से लेकर मिलापवाले तम्बू में पहुँचा दिया, कि इस्राएलियों के लिये यहोवा के सामने स्मरण दिलानेवाली वस्तु ठहरे।