< Numbers 15 >
1 And the Lord said to Moses,
याहवेह ने मोशेह को आज्ञा दी,
2 Say to the children of Israel, When you have come into the land which I am giving to you for your resting-place,
“इस्राएल के घराने को यह आज्ञा दो: ‘जब तुम उस देश में प्रवेश करोगे, जहां तुम्हें बस जाना है, जो मैं तुम्हें देने जा रहा हूं,
3 And are going to make an offering by fire to the Lord, a burned offering or an offering in connection with an oath, or an offering freely given, or at your regular feasts, an offering for a sweet smell to the Lord, from the herd or the flock:
तब तुम वहां याहवेह के लिए अपनी भेड़-बकरियां और गाय-बैलों में से आग के द्वारा बलि चढ़ाना; होमबलि अथवा विशेष मन्नत पूरी करने के लिए या स्वेच्छा बलि या निर्धारित अवसरों से संबंधित बलि, कि यह याहवेह के सामने सुगंध हो जाए.
4 Then let him who is making his offering, give to the Lord a meal offering of a tenth part of a measure of the best meal mixed with a fourth part of a hin of oil:
वह, जो याहवेह को भेंट बलि अर्पण करेगा, वह डेढ़ किलो मैदे को एक लीटर तेल में मिलाएगा.
5 And for the drink offering, you are to give with the burned offering or other offering, the fourth part of a hin of wine for every lamb.
हर एक मेमने की बलि अथवा होमबलि के साथ तुम पेय बलि के लिए एक लीटर दाखमधु भेंट करोगे.
6 Or for a male sheep, give as a meal offering two tenth parts of a measure of the best meal mixed with a third part of a hin of oil:
“‘अथवा मेढ़े की बलि चढ़ाने के लिए तुम तीन किलो मैदा, 1.30 लीटर तेल में मिलाओगे.
7 And for the drink offering give a third part of a hin of wine, for a sweet smell to the Lord.
पेय बलि के रूप में तुम याहवेह को सुखद-सुगंध के लिए एक लीटर दाखमधु चढ़ाओगे.
8 And when you make ready a young ox for a burned or other offering, or for the effecting of an oath, or for peace-offerings to the Lord:
“‘जब तुम याहवेह को विशेष मन्नत पूरी करने के रूप में या मेल बलि स्वरूप होमबलि या बलि के लिए बछड़े को तैयार करो,
9 Then with the ox give a meal offering of three tenth parts of a measure of the best meal mixed with half a hin of oil.
तब तुम उस बछड़े के साथ पांच किलो मैदे के साथ 1.9 लीटर तेल का मिश्रण चढ़ाओगे.
10 And for the drink offering: give half a hin of wine, for an offering made by fire for a sweet smell to the Lord.
इसके अलावा तुम डेढ़ लीटर दाखमधु याहवेह के लिए सुखद-सुगंध चढ़ाओगे.
11 This is to be done for every young ox and for every male sheep or he-lamb or young goat.
हर एक बछड़े, हर एक मेढ़े, हर एक मेमने अथवा हर एक बकरे के लिए यही विधि ठहराई गई है.
12 Whatever number you make ready, so you are to do for every one.
हर एक पशु की संख्या के अनुसार हर एक के लिए यही किया जाना ज़रूरी है.
13 All those who are Israelites by birth are to do these things in this way, when giving an offering made by fire of a sweet smell to the Lord.
“‘हर एक, जो देश का निवासी है, इस विधि के अनुसार यह किया करेगा, कि आग के द्वारा भेंट यह याहवेह के लिए सुखद-सुगंध हो जाए.
14 And if a man from another country or any other person living among you, through all your generations, has the desire to give an offering made by fire of a sweet smell to the Lord, let him do as you do.
यदि तुम्हारे बीच कोई परदेशी है, चाहे थोड़े समय से या स्थायी रूप से, पीढ़ी-पीढ़ी से, और वह अग्निबलि भेंट करना चाहता है, कि यह याहवेह के लिए सुखद-सुगंध हो जाए, वह भी ठीक यही करेगा.
15 There is to be one law for you and for the man of another country living with you, one law for ever from generation to generation; as you are, so is he to be before the Lord.
पूरी सभा के लिए, चाहे तुम हो अथवा कोई परदेशी, एक ही विधि लागू होगी. यही तुम्हारी सारी पीढ़ियों के लिए स्थायी विधि होगी. याहवेह के सामने तुम सब परदेशी के समान हो.
16 The law and the rule are to be the same for you and for those from other lands living with you.
तुम्हारे लिए तथा उस परदेशी के लिए एक ही नियम तथा एक ही विधि होनी ज़रूरी है.’”
17 And the Lord said to Moses,
फिर याहवेह ने मोशेह को यह आज्ञा दी,
18 Say to the children of Israel, When you come into the land where I am guiding you,
“इस्राएल के घराने को संबोधित कर उन्हें आदेश दो, ‘जब तुम उस देश में प्रवेश करो, जहां मैं तुम्हें ले जा रहा हूं,
19 Then, when you take for your food the produce of the land, you are to give an offering lifted up before the Lord.
और जब तुम उस देश की उपज को खाने लगो, उसका एक अंश तुम याहवेह को भेंट करोगे.
20 Of the first of your rough meal you are to give a cake for a lifted offering, lifting it up before the Lord as the offering of the grain-floor is lifted up.
यह खलिहान का अर्पित किया हुआ अंश होगा. यह तुम याहवेह को चढ़ाओगे.
21 From generation to generation you are to give to the Lord a lifted offering from the first of your rough meal.
अपने पहले गूंधे हुए आटे के अंश को तुम अपनी सारी पीढ़ियों में याहवेह को भेंट करते रहोगे.
22 And if in error you go against any of these laws which the Lord has given to Moses,
“‘किंतु भूल से तुम इन आदेशों के पालन में असफल हो जाते हो, जो याहवेह ने मोशेह को बताए हैं,
23 All the laws which the Lord has given you by the hand of Moses, from the day when the Lord gave them, and ever after from generation to generation;
अर्थात् वह सभी, जो याहवेह ने तुम्हें मोशेह के द्वारा आज्ञा देकर पालन करने का आदेश दिया है, उस दिन से ले, जब ये आदेश दिए गए थे, तुम्हारी सारी पीढ़ियों तक,
24 Then, if the wrong is done in error, without the knowledge of the meeting of the people, let all the meeting give a young ox as a burned offering, a sweet smell to the Lord, with its meal offering and its drink offering, as is ordered in the law, together with a he-goat for a sin-offering.
यदि यह भूल से किया गया हो तथा जिसके विषय में सारी इस्राएली सभा को कोई जानकारी नहीं हो पाई है, तब सारी सभा गाय-बैलों से होमबलि के लिए एक बछड़ा भेंट करेगी, इसकी अन्नबलि तथा पेय बलि के साथ यह याहवेह के लिए नियम के अनुसार एक सुखद-सुगंध हो जाएगा.
25 So the priest will make the people free from sin, and they will have forgiveness; for it was an error, and they have given their offering made by fire to the Lord, and their sin-offering before the Lord, on account of their error:
फिर पुरोहित सारे इस्राएल के घराने की ओर से प्रायश्चित बलि भेंट करेगा और इससे उन्हें क्षमा दी जाएगी; क्योंकि यह अनजाने में की गई भूल थी; इसलिये उन्होंने यह भेंट चढ़ाई है. आग के द्वारा याहवेह को अर्पित बलि तथा अपनी भूल के लिए भेंट पापबलि.
26 And all the meeting of the children of Israel, as well as those from other lands living among them, will have forgiveness; for it was an error on the part of the people.
इस प्रकार इस्राएल के घराने की सारी सभा को क्षमा दे दी जाएगी-इसमें वह परदेशी भी शामिल होगा, जो उनके बीच रह रहा होगा, क्योंकि सभी इस्राएलियों में यह अनजाने में हुआ कार्य था.
27 And if one person does wrong, without being conscious of it, then let him give a she-goat of the first year for a sin-offering.
“‘इसके अलावा यदि कोई व्यक्ति भूल से पाप कर बैठता है, वह एक वर्षीय बकरी पापबलि के लिए भेंट करे.
28 And the priest will take away the sin of the person who has done wrong, if the wrong was done unconsciously, and he will have forgiveness.
पुरोहित याहवेह के सामने जाकर उस व्यक्ति के लिए प्रायश्चित करे, जो भूल से पाप कर बैठता है, जो रास्ते से भटक जाता है, पुरोहित ऐसे व्यक्ति के लिए प्रायश्चित करे, कि उस व्यक्ति को क्षमा प्राप्त हो जाए.
29 The law in connection with wrong done unconsciously is to be the same for him who is an Israelite by birth and for the man from another country who is living among them.
कोई भी व्यक्ति, जो भूल से कोई भी पाप कर बैठता है, उस पर एक ही नियम लागू किया जाए; वह, जो स्वदेशी है, और वह जो तुम्हारे बीच रह रहा विदेशी है.
30 But the person who does wrong in the pride of his heart, if he is one of you or of another nation by birth, is acting without respect for the Lord, and will be cut off from his people.
“‘किंतु वह व्यक्ति, जो ढिठाई करता है, चाहे वह स्वदेशी हो या तुम्हारे बीच रह रहा विदेशी, वह यह करते हुए याहवेह की निंदा कर रहा होता है, ऐसा व्यक्ति अपने लोगों के बीच से नाश कर दिया जाए.
31 Because he had no respect for the word of the Lord, and did not keep his law, that man will be cut off without mercy and his sin will be on him.
उसने याहवेह के आदेश को तुच्छ समझा और उनके आदेश को टाला है. उसे पूरी तरह नाश कर दिया जाए; इसके लिए वह स्वयं ही दोषी होगा.’”
32 Now while the children of Israel were in the waste land, they saw a man who was getting sticks on the Sabbath day.
जब इस्राएली निर्जन प्रदेश में रहते थे, एक ऐसे व्यक्ति से उनकी भेंट हुई, जो शब्बाथ के दिन ईंधन-लकड़ी इकट्ठी कर रहा था.
33 And those who saw him getting sticks took him before Moses and Aaron and all the people.
जिन्होंने उसे यह करते देखा, वे उसे मोशेह, अहरोन तथा सारी सभा के सामने ले आए.
34 And they had him shut up, because they had no directions about what was to be done with him.
जब तक उसके विषय में कोई निर्णय नहीं लिया गया, तब तक उसे बंदी बनाकर रखा गया.
35 Then the Lord said to Moses, Certainly the man is to be put to death: let him be stoned by all the people outside the tent-circle.
याहवेह ने मोशेह को यह आज्ञा दी: “अवश्य है कि उस व्यक्ति को निश्चित ही मृत्यु दंड दिया जाए. छावनी के बाहर ले जाकर सारी सभा उस पर पत्थराव करे.”
36 So all the people took him outside the tent-circle and he was stoned to death there, as the Lord gave orders to Moses.
तब सारी सभा ने उसे छावनी से दूर ले जाकर पत्थराव कर दिया, जैसा याहवेह ने मोशेह को आज्ञा दी थी.
37 And the Lord said to Moses,
याहवेह ने मोशेह को यह आज्ञा भी दी,
38 Say to the children of Israel that through all their generations they are to put on the edges of their robes an ornament of twisted threads, and in every ornament a blue cord;
“सारे इस्राएल को आज्ञा दो कि वे अपने-अपने वस्त्रों के किनारों पर पीढ़ी से पीढ़ी फुंदने लगाया करें तथा फुन्दनों के कोनों पर नीली डोरी हो.
39 So that, looking on these ornaments, you may keep in mind the orders of the Lord and do them; and not be guided by the desires of your hearts and eyes, through which you have been untrue to me:
यह फुंदना तुम्हारे लिए याहवेह की आज्ञा का चिन्ह होगा, कि तुम अपनी-अपनी मान्यताओं के अनुसार चलने न लगो, जैसा करके तुमने परमेश्वर के साथ दाम्पत्य विश्वासघात के समान काम किया था.
40 And that you may keep in mind all my orders and do them and be holy to your God.
तुम्हें मेरी सारी आज्ञाओं का पालन करना याद रहे, और तुम अपने परमेश्वर के सामने पवित्र बने रहो.
41 I am the Lord your God, who took you out of the land of Egypt, so that I might be your God: I am the Lord your God.
मैं तुम्हारा वही परमेश्वर, याहवेह हूं, मैंने तुम्हें मिस्र देश से इसलिये निकाला है, कि मैं तुम्हारा परमेश्वर ठहरूं. मैं ही तुम्हारा वह याहवेह परमेश्वर हूं!”