< Numbers 21 >

1 When the Canaanite king of Arad, who lived in the Negev, heard that Israel was coming along the road to Atharim, he attacked Israel and captured some prisoners.
तब अराद का कनानी राजा, जो दक्षिण देश में रहता था, यह सुनकर कि जिस मार्ग से वे भेदिए आए थे उसी मार्ग से अब इस्राएली आ रहे हैं, इस्राएल से लड़ा, और उनमें से कुछ को बन्धुआ कर लिया।
2 So Israel made a vow to the LORD: “If You will deliver this people into our hands, we will devote their cities to destruction.”
तब इस्राएलियों ने यहोवा से यह कहकर मन्नत मानी, “यदि तू सचमुच उन लोगों को हमारे वश में कर दे, तो हम उनके नगरों को सत्यानाश कर देंगे।”
3 And the LORD heard Israel’s plea and delivered up the Canaanites. Israel devoted them and their cities to destruction; so they named the place Hormah.
इस्राएल की यह बात सुनकर यहोवा ने कनानियों को उनके वश में कर दिया; अतः उन्होंने उनके नगरों समेत उनको भी सत्यानाश किया; इससे उस स्थान का नाम होर्मा रखा गया।
4 Then they set out from Mount Hor along the route to the Red Sea, in order to bypass the land of Edom. But the people grew impatient on the journey
फिर उन्होंने होर पहाड़ से कूच करके लाल समुद्र का मार्ग लिया कि एदोम देश से बाहर-बाहर घूमकर जाएँ; और लोगों का मन मार्ग के कारण बहुत व्याकुल हो गया।
5 and spoke against God and against Moses: “Why have you led us up out of Egypt to die in the wilderness? There is no bread or water, and we detest this wretched food!”
इसलिए वे परमेश्वर के विरुद्ध बात करने लगे, और मूसा से कहा, “तुम लोग हमको मिस्र से जंगल में मरने के लिये क्यों ले आए हो? यहाँ न तो रोटी है, और न पानी, और हमारे प्राण इस निकम्मी रोटी से दुःखित हैं।”
6 So the LORD sent venomous snakes among the people, and many of the Israelites were bitten and died.
अतः यहोवा ने उन लोगों में तेज विषवाले साँप भेजे, जो उनको डसने लगे, और बहुत से इस्राएली मर गए।
7 Then the people came to Moses and said, “We have sinned by speaking against the LORD and against you. Intercede with the LORD so He will take the snakes away from us.” So Moses interceded for the people.
तब लोग मूसा के पास जाकर कहने लगे, “हमने पाप किया है, कि हमने यहोवा के और तेरे विरुद्ध बातें की हैं; यहोवा से प्रार्थना कर कि वह साँपों को हम से दूर करे।” तब मूसा ने उनके लिये प्रार्थना की।
8 Then the LORD said to Moses, “Make a fiery serpent and mount it on a pole. When anyone who is bitten looks at it, he will live.”
यहोवा ने मूसा से कहा, “एक तेज विषवाले साँप की प्रतिमा बनवाकर खम्भे पर लटका; तब जो साँप से डसा हुआ उसको देख ले वह जीवित बचेगा।”
9 So Moses made a bronze snake and mounted it on a pole. If anyone who was bitten looked at the bronze snake, he would live.
अतः मूसा ने पीतल का एक साँप बनवाकर खम्भे पर लटकाया; तब साँप के डसे हुओं में से जिस-जिसने उस पीतल के साँप की ओर देखा वह जीवित बच गया।
10 Then the Israelites set out and camped at Oboth.
१०फिर इस्राएलियों ने कूच करके ओबोत में डेरे डालें।
11 They journeyed from Oboth and camped at Iye-abarim in the wilderness opposite Moab to the east.
११और ओबोत से कूच करके अबारीम में डेरे डालें, जो पूर्व की ओर मोआब के सामने के जंगल में है।
12 From there they set out and camped in the Valley of Zered.
१२वहाँ से कूच करके उन्होंने जेरेद नामक नाले में डेरे डालें।
13 From there they moved on and camped on the other side of the Arnon, in the wilderness that extends into the Amorite territory. Now the Arnon is the border between the Moabites and the Amorites.
१३वहाँ से कूच करके उन्होंने अर्नोन नदी, जो जंगल में बहती और एमोरियों के देश से निकलती है, उसकी दूसरी ओर डेरे खड़े किए; क्योंकि अर्नोन मोआबियों और एमोरियों के बीच होकर मोआब देश की सीमा ठहरी है।
14 Therefore it is stated in the Book of the Wars of the LORD: “Waheb in Suphah and the wadis of the Arnon,
१४इस कारण यहोवा के संग्राम नामक पुस्तक में इस प्रकार लिखा है, “सूपा में वाहेब, और अर्नोन की घाटी,
15 even the slopes of the wadis that extend to the site of Ar and lie along the border of Moab.”
१५और उन घाटियों की ढलान जो आर नामक नगर की ओर है, और जो मोआब की सीमा पर है।”
16 From there they went on to Beer, the well where the LORD said to Moses, “Gather the people so that I may give them water.”
१६फिर वहाँ से कूच करके वे बैर तक गए; वहाँ वही कुआँ है जिसके विषय में यहोवा ने मूसा से कहा था, “उन लोगों को इकट्ठा कर, और मैं उन्हें पानी दूँगा।”
17 Then Israel sang this song: “Spring up, O well, all of you sing to it!
१७उस समय इस्राएल ने यह गीत गाया, “हे कुएँ, उमड़ आ, उस कुएँ के विषय में गाओ!
18 The princes dug the well; the nobles of the people hollowed it out with their scepters and with their staffs.” From the wilderness the Israelites went on to Mattanah,
१८जिसको हाकिमों ने खोदा, और इस्राएल के रईसों ने अपने सोंटों और लाठियों से खोद लिया।” फिर वे जंगल से मत्ताना को,
19 and from Mattanah to Nahaliel, and from Nahaliel to Bamoth,
१९और मत्ताना से नहलीएल को, और नहलीएल से बामोत को,
20 and from Bamoth to the valley in Moab where the top of Pisgah overlooks the wasteland.
२०और बामोत से कूच करके उस तराई तक जो मोआब के मैदान में है, और पिसगा के उस सिरे तक भी जो यशीमोन की ओर झुका है पहुँच गए।
21 Then Israel sent messengers to Sihon king of the Amorites, saying,
२१तब इस्राएल ने एमोरियों के राजा सीहोन के पास दूतों से यह कहला भेजा,
22 “Let us pass through your land. We will not cut through any field or vineyard, or drink water from any well. We will stay on the King’s Highway until we have passed through your territory.”
२२“हमें अपने देश में होकर जाने दे; हम मुड़कर किसी खेत या दाख की बारी में तो न जाएँगे; न किसी कुएँ का पानी पीएँगे; और जब तक तेरे देश से बाहर न हो जाएँ तब तक सड़क ही से चले जाएँगे।”
23 But Sihon would not let Israel pass through his territory. Instead, he gathered his whole army and went out to confront Israel in the wilderness. When he came to Jahaz, he fought against Israel.
२३फिर भी सीहोन ने इस्राएल को अपने देश से होकर जाने न दिया; वरन् अपनी सारी सेना को इकट्ठा करके इस्राएल का सामना करने को जंगल में निकल आया, और यहस को आकर उनसे लड़ा।
24 And Israel put him to the sword and took possession of his land, from the Arnon to the Jabbok—but only up to the border of the Ammonites, because it was fortified.
२४तब इस्राएलियों ने उसको तलवार से मार दिया, और अर्नोन से यब्बोक नदी तक, जो अम्मोनियों की सीमा थी, उसके देश के अधिकारी हो गए; अम्मोनियों की सीमा तो दृढ़ थी।
25 Israel captured all the cities of the Amorites and occupied them, including Heshbon and all its villages.
२५इसलिए इस्राएल ने एमोरियों के सब नगरों को ले लिया, और उनमें, अर्थात् हेशबोन और उसके आस-पास के नगरों में रहने लगे।
26 Heshbon was the city of Sihon king of the Amorites, who had fought against the former king of Moab and taken all his land as far as the Arnon.
२६हेशबोन एमोरियों के राजा सीहोन का नगर था; उसने मोआब के पिछले राजा से लड़कर उसका सारा देश अर्नोन तक उसके हाथ से छीन लिया था।
27 That is why the poets say: “Come to Heshbon, let it be rebuilt; let the city of Sihon be restored.
२७इस कारण गूढ़ बात के कहनेवाले कहते हैं, “हेशबोन में आओ, सीहोन का नगर बसे, और दृढ़ किया जाए।
28 For a fire went out from Heshbon, a blaze from the city of Sihon. It consumed Ar of Moab, the rulers of Arnon’s heights.
२८क्योंकि हेशबोन से आग, सीहोन के नगर से लौ निकली; जिससे मोआब देश का आर नगर, और अर्नोन के ऊँचे स्थानों के स्वामी भस्म हुए।
29 Woe to you, O Moab! You are destroyed, O people of Chemosh! He gave up his sons as refugees, and his daughters into captivity to Sihon king of the Amorites.
२९हे मोआब, तुझ पर हाय! कमोश देवता की प्रजा नाश हुई, उसने अपने बेटों को भगोड़ा, और अपनी बेटियों को एमोरी राजा सीहोन की दासी कर दिया।
30 But we have overthrown them; Heshbon is destroyed as far as Dibon. We demolished them as far as Nophah, which reaches to Medeba.”
३०हमने उन्हें गिरा दिया है, हेशबोन दीबोन तक नष्ट हो गया है, और हमने नोपह और मेदबा तक भी उजाड़ दिया है।”
31 So Israel lived in the land of the Amorites.
३१इस प्रकार इस्राएल एमोरियों के देश में रहने लगा।
32 After Moses had sent spies to Jazer, Israel captured its villages and drove out the Amorites who were there.
३२तब मूसा ने याजेर नगर का भेद लेने को भेजा; और उन्होंने उसके गाँवों को ले लिया, और वहाँ के एमोरियों को उस देश से निकाल दिया।
33 Then they turned and went up the road to Bashan, and Og king of Bashan and his whole army came out to meet them in battle at Edrei.
३३तब वे मुड़कर बाशान के मार्ग से जाने लगे; और बाशान के राजा ओग ने उनका सामना किया, वह लड़ने को अपनी सारी सेना समेत एद्रेई में निकल आया।
34 But the LORD said to Moses, “Do not fear him, for I have delivered him into your hand, along with all his people and his land. Do to him as you did to Sihon king of the Amorites, who lived in Heshbon.”
३४तब यहोवा ने मूसा से कहा, “उससे मत डर; क्योंकि मैं उसको सारी सेना और देश समेत तेरे हाथ में कर देता हूँ; और जैसा तूने एमोरियों के राजा हेशबोनवासी सीहोन के साथ किया है, वैसा ही उसके साथ भी करना।”
35 So they struck down Og, along with his sons and his whole army, until no remnant was left. And they took possession of his land.
३५तब उन्होंने उसको, और उसके पुत्रों और सारी प्रजा को यहाँ तक मारा कि उसका कोई भी न बचा; और वे उसके देश के अधिकारी हो गए।

< Numbers 21 >