< Acts 12 >
1 About that time, King Herod reached out to harm some who belonged to the church.
१उस समय हेरोदेस राजा ने कलीसिया के कई एक व्यक्तियों को दुःख देने के लिये उन पर हाथ डाले।
2 He had James, the brother of John, put to death with the sword.
२उसने यूहन्ना के भाई याकूब को तलवार से मरवा डाला।
3 And seeing that this pleased the Jews, Herod proceeded to seize Peter during the Feast of Unleavened Bread.
३जब उसने देखा, कि यहूदी लोग इससे आनन्दित होते हैं, तो उसने पतरस को भी पकड़ लिया। वे दिन अख़मीरी रोटी के दिन थे।
4 He arrested him and put him in prison, handing him over to be guarded by four squads of four soldiers each. Herod intended to bring him out to the people after the Passover.
४और उसने उसे पकड़कर बन्दीगृह में डाला, और रखवाली के लिये, चार-चार सिपाहियों के चार पहरों में रखा, इस मनसा से कि फसह के बाद उसे लोगों के सामने लाए।
5 So Peter was kept in prison, but the church was fervently praying to God for him.
५बन्दीगृह में पतरस की रखवाली हो रही थी; परन्तु कलीसिया उसके लिये लौ लगाकर परमेश्वर से प्रार्थना कर रही थी।
6 On the night before Herod was to bring him to trial, Peter was sleeping between two soldiers, bound with two chains, with sentries standing guard at the entrance to the prison.
६और जब हेरोदेस उसे उनके सामने लाने को था, तो उसी रात पतरस दो जंजीरों से बंधा हुआ, दो सिपाहियों के बीच में सो रहा था; और पहरेदार द्वार पर बन्दीगृह की रखवाली कर रहे थे।
7 Suddenly an angel of the Lord appeared and a light shone in the cell. He tapped Peter on the side and woke him up, saying, “Get up quickly.” And the chains fell off his wrists.
७तब प्रभु का एक स्वर्गदूत आ खड़ा हुआ और उस कोठरी में ज्योति चमकी, और उसने पतरस की पसली पर हाथ मारकर उसे जगाया, और कहा, “उठ, जल्दी कर।” और उसके हाथ से जंजीरें खुलकर गिर पड़ीं।
8 “Get dressed and put on your sandals,” said the angel. Peter did so, and the angel told him, “Wrap your cloak around you and follow me.”
८तब स्वर्गदूत ने उससे कहा, “कमर बाँध, और अपने जूते पहन ले।” उसने वैसा ही किया, फिर उसने उससे कहा, “अपना वस्त्र पहनकर मेरे पीछे हो ले।”
9 So Peter followed him out, but he was unaware that what the angel was doing was real. He thought he was only seeing a vision.
९वह निकलकर उसके पीछे हो लिया; परन्तु यह न जानता था कि जो कुछ स्वर्गदूत कर रहा है, वह सच है, बल्कि यह समझा कि मैं दर्शन देख रहा हूँ।
10 They passed the first and second guards and came to the iron gate leading to the city, which opened for them by itself. When they had gone outside and walked the length of one block, the angel suddenly left him.
१०तब वे पहले और दूसरे पहरे से निकलकर उस लोहे के फाटक पर पहुँचे, जो नगर की ओर है। वह उनके लिये आप से आप खुल गया, और वे निकलकर एक ही गली होकर गए, इतने में स्वर्गदूत उसे छोड़कर चला गया।
11 Then Peter came to himself and said, “Now I know for sure that the Lord has sent His angel and rescued me from Herod’s grasp and from everything the Jewish people were anticipating.”
११तब पतरस ने सचेत होकर कहा, “अब मैंने सच जान लिया कि प्रभु ने अपना स्वर्गदूत भेजकर मुझे हेरोदेस के हाथ से छुड़ा लिया, और यहूदियों की सारी आशा तोड़ दी।”
12 And when he had realized this, he went to the house of Mary the mother of John, also called Mark, where many people had gathered together and were praying.
१२और यह सोचकर, वह उस यूहन्ना की माता मरियम के घर आया, जो मरकुस कहलाता है। वहाँ बहुत लोग इकट्ठे होकर प्रार्थना कर रहे थे।
13 He knocked at the outer gate, and a servant girl named Rhoda came to answer it.
१३जब उसने फाटक की खिड़की खटखटाई तो रूदे नामक एक दासी सुनने को आई।
14 When she recognized Peter’s voice, she was so overjoyed that she forgot to open the gate, but ran inside and announced, “Peter is standing at the gate!”
१४और पतरस का शब्द पहचानकर, उसने आनन्द के मारे फाटक न खोला; परन्तु दौड़कर भीतर गई, और बताया कि पतरस द्वार पर खड़ा है।
15 “You are out of your mind,” they told her. But when she kept insisting it was so, they said, “It must be his angel.”
१५उन्होंने उससे कहा, “तू पागल है।” परन्तु वह दृढ़ता से बोली कि ऐसा ही है: तब उन्होंने कहा, “उसका स्वर्गदूत होगा।”
16 But Peter kept on knocking, and when they opened the door and saw him, they were astounded.
१६परन्तु पतरस खटखटाता ही रहा अतः उन्होंने खिड़की खोली, और उसे देखकर चकित रह गए।
17 Peter motioned with his hand for silence, and he described how the Lord had brought him out of the prison. “Send word to James and to the brothers,” he said, and he left for another place.
१७तब उसने उन्हें हाथ से संकेत किया कि चुप रहें; और उनको बताया कि प्रभु किस रीति से मुझे बन्दीगृह से निकाल लाया है। फिर कहा, “याकूब और भाइयों को यह बात कह देना।” तब निकलकर दूसरी जगह चला गया।
18 At daybreak there was no small commotion among the soldiers as to what had become of Peter.
१८भोर को सिपाहियों में बड़ी हलचल होने लगी कि पतरस कहाँ गया।
19 After Herod had searched for him unsuccessfully, he examined the guards and ordered that they be executed. Then he went down from Judea to Caesarea and spent some time there.
१९जब हेरोदेस ने उसकी खोज की और न पाया, तो पहरुओं की जाँच करके आज्ञा दी कि वे मार डाले जाएँ: और वह यहूदिया को छोड़कर कैसरिया में जाकर रहने लगा।
20 Now Herod was in a furious dispute with the people of Tyre and Sidon, and they convened before him. Having secured the support of Blastus, the king’s chamberlain, they asked for peace, because their region depended on the king’s country for food.
२०हेरोदेस सोर और सीदोन के लोगों से बहुत अप्रसन्न था। तब वे एक चित्त होकर उसके पास आए और बलास्तुस को जो राजा का एक कर्मचारी था, मनाकर मेल करना चाहा; क्योंकि राजा के देश से उनके देश का पालन-पोषण होता था।
21 On the appointed day, Herod donned his royal robes, sat on his throne, and addressed the people.
२१ठहराए हुए दिन हेरोदेस राजवस्त्र पहनकर सिंहासन पर बैठा; और उनको व्याख्यान देने लगा।
22 And they began to shout, “This is the voice of a god, not a man!”
२२और लोग पुकार उठे, “यह तो मनुष्य का नहीं ईश्वर का शब्द है।”
23 Immediately, because Herod did not give glory to God, an angel of the Lord struck him down, and he was eaten by worms and died.
२३उसी क्षण प्रभु के एक स्वर्गदूत ने तुरन्त उसे आघात पहुँचाया, क्योंकि उसने परमेश्वर की महिमा नहीं की और उसके शरीर में कीड़े पड़ गए और वह मर गया।
24 But the word of God continued to spread and multiply.
२४परन्तु परमेश्वर का वचन बढ़ता और फैलता गया।
25 When Barnabas and Saul had fulfilled their mission to Jerusalem, they returned, bringing with them John, also called Mark.
२५जब बरनबास और शाऊल अपनी सेवा पूरी कर चुके तो यूहन्ना को जो मरकुस कहलाता है, साथ लेकर यरूशलेम से लौटे।