< 1 Thessalonians 3 >
1 Therefore when we could not stand it any longer, we thought it good to be left behind at Athens alone,
१इसलिए जब हम से और न रहा गया, तो हमने यह ठहराया कि एथेंस में अकेले रह जाएँ।
2 and sent Timothy, our brother and God’s servant in the Good News of Christ, to establish you and to comfort you concerning your faith,
२और हमने तीमुथियुस को जो मसीह के सुसमाचार में हमारा भाई, और परमेश्वर का सेवक है, इसलिए भेजा, कि वह तुम्हें स्थिर करे; और तुम्हारे विश्वास के विषय में तुम्हें समझाए।
3 that no one would be moved by these afflictions. For you know that we are appointed to this task.
३कि कोई इन क्लेशों के कारण डगमगा न जाए; क्योंकि तुम आप जानते हो, कि हम इन ही के लिये ठहराए गए हैं।
4 For most certainly, when we were with you, we told you beforehand that we are to suffer affliction, even as it happened, and you know.
४क्योंकि पहले भी, जब हम तुम्हारे यहाँ थे, तो तुम से कहा करते थे, कि हमें क्लेश उठाने पड़ेंगे, और ऐसा ही हुआ है, और तुम जानते भी हो।
5 For this cause I also, when I could not stand it any longer, sent that I might know your faith, for fear that by any means the tempter had tempted you, and our labor would have been in vain.
५इस कारण जब मुझसे और न रहा गया, तो तुम्हारे विश्वास का हाल जानने के लिये भेजा, कि कहीं ऐसा न हो, कि परीक्षा करनेवाले ने तुम्हारी परीक्षा की हो, और हमारा परिश्रम व्यर्थ हो गया हो।
6 But Timothy has just now come to us from you, and brought us glad news of your faith and love, and that you have good memories of us always, longing to see us, even as we also long to see you.
६पर अभी तीमुथियुस ने जो तुम्हारे पास से हमारे यहाँ आकर तुम्हारे विश्वास और प्रेम का समाचार सुनाया और इस बात को भी सुनाया, कि तुम सदा प्रेम के साथ हमें स्मरण करते हो, और हमारे देखने की लालसा रखते हो, जैसा हम भी तुम्हें देखने की।
7 For this cause, brothers, we were comforted over you in all our distress and affliction through your faith.
७इसलिए हे भाइयों, हमने अपनी सारी सकेती और क्लेश में तुम्हारे विश्वास से तुम्हारे विषय में शान्ति पाई।
8 For now we live, if you stand fast in the Lord.
८क्योंकि अब यदि तुम प्रभु में स्थिर रहो तो हम जीवित हैं।
9 For what thanksgiving can we render again to God for you, for all the joy with which we rejoice for your sakes before our God,
९और जैसा आनन्द हमें तुम्हारे कारण अपने परमेश्वर के सामने है, उसके बदले तुम्हारे विषय में हम किस रीति से परमेश्वर का धन्यवाद करें?
10 night and day praying exceedingly that we may see your face and may perfect that which is lacking in your faith?
१०हम रात दिन बहुत ही प्रार्थना करते रहते हैं, कि तुम्हारा मुँह देखें, और तुम्हारे विश्वास की घटी पूरी करें।
11 Now may our God and Father himself, and our Lord Jesus Christ, direct our way to you.
११अब हमारा परमेश्वर और पिता आप ही और हमारा प्रभु यीशु, तुम्हारे यहाँ आने के लिये हमारी अगुआई करे।
12 May the Lord make you to increase and abound in love toward one another and toward all men, even as we also do toward you,
१२और प्रभु ऐसा करे, कि जैसा हम तुम से प्रेम रखते हैं; वैसा ही तुम्हारा प्रेम भी आपस में, और सब मनुष्यों के साथ बढ़े, और उन्नति करता जाए,
13 to the end he may establish your hearts blameless in holiness before our God and Father at the coming of our Lord Jesus with all his saints.
१३ताकि वह तुम्हारे मनों को ऐसा स्थिर करे, कि जब हमारा प्रभु यीशु अपने सब पवित्र लोगों के साथ आए, तो वे हमारे परमेश्वर और पिता के सामने पवित्रता में निर्दोष ठहरें।